अमेरिका से व्यापार वार्ता में भारतीय खाद्य तेल उद्योग के हितों की रक्षा को प्राथमिकता दें सरकार

  
Last Updated:  March 11, 2025 " 01:21 am"

सोपा के चेयरमैन डॉ. डेविश जैन ने केंद्रीय उद्योग एवं वाणिज्य मंत्री को पत्र लिखकर किया आग्रह।

इंदौर: सोयाबीन प्रोसेसर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सोपा ) ने केंद्र सरकार से आग्रह किया है कि भारत-अमेरिका द्विपक्षीय व्यापार समझौते की वार्ता के दौरान देश के सोयाबीन और खाद्य तेल क्षेत्र के हितों की रक्षा सुनिश्चित की जाए। सोपा चेयरमेन  डॉ. डेविश जैन ने केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल को भेजे अपने पत्र में चेतावनी दी है कि यदि सोयाबीन, सोयाबीन तेल और सोयाबीन मील पर आयात शुल्क में कटौती की गई या अमेरिका से रियायती आयात को अनुमति दी गई, तो इससे 1 करोड़ भारतीय सोयाबीन किसानों की आजीविका पर गंभीर संकट आ सकता है। इससे खाद्य तेलों के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता के भारत के प्रयासों को भी गहरा झटका लग सकता है।
10 मार्च 2025 को भेजे पत्र में सोपा ने केंद्र सरकार से आग्रह किया कि सोयाबीन और इससे संबंधित उत्पादों पर मौजूदा आयात शुल्क बरकरार रखा जाए। संगठन ने आगाह किया कि शुल्क में कमी होने पर सस्ते आयात का भारी प्रवाह होगा, जिससे घरेलू सोयाबीन उत्पादन पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा और किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ेगा।
सोपा ने अपने पत्र में यह भी रेखांकित किया कि भारत अपनी खाद्य तेल आवश्यकताओं का 60 प्रतिशत से अधिक आयात के जरिए पूरा करता है। ऐसे में अमेरिका से रियायती आयात की अनुमति देने से ‘नेशनल मिशन ऑन एडिबल ऑयल्स (ऑयलसीड्स)’ के उद्देश्यों को गंभीर नुकसान हो सकता है।
खाद्य प्रसंस्करण उद्योग में नवाचार को बढ़ावा देने और देश में प्रोटीन की कमी को दूर करने के लिए, डॉ जैन ने सरकार को सुझाव दिया है कि सोया प्रोटीन आइसोलेट्स और कंसंट्रेट्स जैसे मूल्य-वर्धित सोया उत्पादों के लिए रियायती शुल्क व्यवस्था पर विचार किया जाए।
संगठन ने अमेरिका द्वारा भारतीय ऑर्गेनिक सोयाबीन मील के निर्यात पर लगाए गए 283.91% के भारी प्रतिकूल शुल्क को कम करने के लिए भी सरकार से त्वरित हस्तक्षेप का आग्रह किया है। सोपा चेयरमेन ने कहा कि इस अत्यधिक शुल्क के कारण भारतीय निर्यातकों को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है और उनका व्यापार बुरी तरह प्रभावित हुआ है।
डॉ. जैन ने भरोसा जताया कि केंद्र सरकार भारतीय किसानों के हितों को प्राथमिकता देगी और एक ऐसा संतुलित व्यापार समझौता करेगी, जिससे भारत के सोयाबीन और खाद्य तेल क्षेत्र को सुरक्षा और स्थायित्व मिल सके।

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