इंदौर : झाबुआ विधानसभा सीट बीजेपी के हाथ से छीन गई है। यहां हुए उपचुनाव में कांग्रेस के कांतिलाल भूरिया 27 हजार से भी अधिक मतों से जीत गए हैं। उन्होंने बीजेपी के उम्मीदवार भानु भूरिया को पराजित किया। दोनों ही दलों ने इस सीट पर अपनी पूरी ताकत झोंक दी थी। सीएम कमलनाथ ने यहां कांतिलाल भूरिया के समर्थन में कई सभाओं को संबोधित किया था। उनकी सरकार के करीब 14 मंत्री भी वहां डेरा जमाए हुए थे। उधर बीजेपी की ओर से प्रदेश अध्यक्ष राकेश सिंह सहित अनेक दिग्गज नेताओं ने पार्टी प्रत्याशी भानु भूरिया के लिए जमकर पसीना बहाया था। पूर्व सीएम शिवराज सिंह तो 3- 4 दिन वहीं डेरा डाले रहे। गांव- गांव घूमकर उन्होंने मतदाताओं से जीवंत संपर्क बनाया और पार्टी प्रत्याशी भानु भूरिया के पक्ष में माहौल बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी। सही मायने में देखा जाए तो सीएम कमलनाथ और पूर्व सीएम शिवराज के बीच यह उपचुनाव प्रतिष्ठा की लड़ाई बन गया था जिसमें कमलनाथ भारी पड़े।
जीएस डामोर के सांसद बनने से खाली हुई थी यह सीट।
झाबुआ सीट से 2018 में में हुए विधानसभा चुनाव में बीजेपी के जीएस डामोर विधायक चुने गए थे। बाद में इसी साल हुए लोकसभा चुनाव में डामोर को बीजेपी ने रतलाम- झाबुआ सीट से मैदान में उतारा था। जीएस डामोर सांसद चुने गए। सांसद बनने के बाद डामोर ने झाबुआ विधानसभा सीट से इस्तीफा दे दिया था। उनके सीट छोड़ने के कारण ही इस विधानसभा सीट पर उपचुनाव कराया गया।
कांग्रेस को मिली बढ़त ।
झाबुआ सीट जीतने के बाद कांग्रेस के विधायकों की संख्या बढ़कर 115 हो गई है। बीएसपी के दो, सपा के 2 और निर्दलीय 3 विधायकों के साथ कमलनाथ सरकार के पास अब 122 विधायक हो गए हैं जो बहुमत से 6 ज्यादा हैं। जबकि बीजेपी के विधायकों की संख्या घटकर 108 रह गई है।