इंदौर : चीन व ब्रिटेन में कोरोना के केसेस बढ़ने के साथ भारत में मुम्बई व गुजरात में भी कोरोना के नए वैरिएंट एक्सई से संक्रमित मरीज मिलने से लोगों की चिंता बढ़ गई है। डब्ल्यूएचओ ने भी कोरोना के एक्सई वैरिएंट को बेहद संक्रामक बताया है। इस बात को देखते हुए हमने एमजीएम मेडिकल कॉलेज, इंदौर के मेडिसिन विभाग के प्रमुख डॉ. वीपी पांडे से चर्चा की और उनसे तमाम पहलुओं पर जानकारी ली।
नया वैरिएंट संक्रामक है पर घातक नहीं।
डॉ. वीपी पांडे ने पुनः स्पष्ट किया कि नोवल कोरोना वायरस समय- समय पर अपना स्वरूप बदलता रहता है। वर्तमान में कोरोना का केवल एक्सई ही नहीं एक्स बी, एक्स और एक्स एफ वैरिएंट भी दस्तक दे चुके हैं। ये सभी बेहद संक्रामक हैं पर घातक नहीं हैं। विदेशों में भी जो लोग इनसे संक्रमित पाए जा रहे हैं, उनमें गंभीर स्थिति बहुत कम मरीजों की देखी जा रही है। हमारे यहां मुम्बई व गुजरात में एक्स ई वैरिएंट से संक्रमित मरीज मिले हैं पर इससे डरने की जरूरत बिल्कुल नहीं है।
सर्दी- जुकाम,सिरदर्द जैसे रहेंगे लक्षण।
डॉ. पांडे ने कहा कि एक्स ई वैरिएंट का प्रकोप बढ़ता भी है तो इसका असर सर्दी, जुकाम, सिरदर्द और हल्के बुखार तक ही सीमित रहेगा। अधिकांश मरीज तीन- चार दिनों में सामान्य उपचार से ही ठीक हो जाएंगे।
टीकाकरण से विकसित हो चुकी है रोग प्रतिरोधी क्षमता।
डॉ. पांडे का कहना है कि हमारे देश की ज्यादातर आबादी पहले ही संक्रमित हो चुकी है। इसी के साथ 85 प्रतिशत से अधिक आबादी का टीकाकरण भी हो चुका है। ऐसे में इस बात की संभावना बहुत कम है कि कोरोना का नया वैरिएंट कोई विपरीत असर छोड़ पाएगा।
प्रिकॉशन डोज़ जरूर लगवाएं।
डॉ. पांडे ने शतप्रतिशत टीकाकरण पर जोर देते हुए कहा कि जिन लोगों ने अभी भी टीकाकरण नहीं करवाया है, वे जल्द से जल्द कोरोना से बचाव का टीका लगवा लें। इसके अलावा जो लोग गंभीर बीमारियों से ग्रसित हैं, अथवा 60 वर्ष से अधिक उम्र के हैं, वे पिछले टीकाकरण की निर्धारित अवधि पूरी होते ही प्रिकॉशन डोज़ जरूर लगवाएं। किसी भी नए वैरिएंट से डरने की नहीं सावधानी बरतने की जरूरत है।
चीन की वैक्सीन असरकारी नहीं।
डॉ. पांडे ने भारतीय वैक्सीन कोविशील्ड और कोवाक्सिन को दुनिया की सबसे अच्छी कोरोना वैक्सीन बताते हुए कहा कि इसी से हम बचे हुए हैं। चीन में बढ़ते कोरोना के मामले और कई शहरों में लॉकडाउन लगाए जाने को लेकर डॉ. पांडे का कहना था कोरोना से निपटने की चीन की पालिसी दोषपूर्ण है।कैसेस इतने भी नहीं है कि लॉक डाउन लगाया जाए। दूसरा चीन की वैक्सीन साइनोवैक उतनी असरकारक नहीं पाई गई है, जितनी उम्मीद जताई जा रही थी। शायद यही कारण है कि चीन कोरोना पर नियंत्रण पाने में कामयाब नहीं हो पा रहा है।