इंदौर : लॉक डाउन और कर्फ्यू में की जा रही तमाम सख्ती के बावजूद इंदौर के रेड जोन से बाहर आने के आसार फिलहाल दिखाई नहीं दे रहे हैं। पॉजिटिव मरीजों की संख्या में रोज इजाफा हो रहा है। विभागीय समन्वय नहीं होने से अब तो आंकड़ों में गड़बड़ी भी सामने आने लगी है।
कई रिपोर्ट्स का खुलासा ही नहीं…
सीएमएचओ कार्यालय से जो आंकड़े जारी हो रहे हैं, उन्हें ध्यान से देखें तो गड़बड़ी साफ पकड़ में आती है। जितने सैम्पल की रिपोर्ट जारी की जा रही है, उनमे से निगेटिव और पॉजिटिव सैम्पल को जोड़ने के बाद जो सैम्पल शेष रह जाते हैं, उनके बारे में कोई खुलासा नहीं किया जा रहा है। बुधवार 27 मई के आंकड़ों को ही ले लीजिए, कुल टेस्टिंग रिपोर्ट 891 प्राप्त होना दर्शाई गई है। इनमें से 769 निगेटिव और 78 सैम्पल पॉजिटिव बताए गए हैं। दोनों का जोड़ 847 होता है। रिपोर्ट 891 सैम्पल की प्राप्त हुई है तो जो 44 सैम्पल शेष बच रहे हैं उनका स्टेटस क्या है..? इस बारे में कोई जानकारी नहीं दी गई है। जिन मरीजों के ये सैम्पल्स हैं, क्या उनके इलाज पर इसका असर नहीं पड़ेगा जब उनकी रिपोर्ट ही स्पष्ट नहीं है। बात केवल यहीं तक सीमित नहीं है। पेंडिंग सैम्पल्स को लेकर भी भ्रम की स्थिति है।कितने सैम्पल पेंडिंग हैं, हैं तो क्यों है और उन्हें पेंडिंग क्यों रखा गया जबकि प्रशासन के पास निजी लैब में भी टेस्टिंग की सुविधा है। बुधवार के ही आंकड़ों को देखें तो 1317 सैम्पल में से 891 की रिपोर्ट आई है। याने 426 सैम्पल पेंडिंग रह गए। जब लैब की सुविधा है तो इन्हें पेंडिंग क्यों रखा गया। क्या इनकी भी जांच नहीं करवाई जा सकती थी..? स्वास्थ्य विभाग और मेडिकल कॉलेज की कार्यप्रणाली पर ऐसे कई सवाल उठ रहे हैं। समय रहते इन गड़बड़ियों और खामियों को ठीक नहीं किया गया तो इसका खामियाजा मरीजों को भुगतना पड़ सकता है।