अनूठे परिसंवाद एवं सम्मान समारोह ‘शक्ति-भक्ति-सख्ती’ में शहर के प्रमुख गरबा मंडलों ने जताई प्रतिबद्धता।
इंदौर : गुजरात के बाहर देश के सबसे दर्शनीय गरबे इंदौर के हैं, इसका शहर को नाज़ है। शहर के गरबा संचालक इस बात को लेकर विशिष्ट ज़िम्मेदारी भी महसूस करते हैं। स्टेट प्रेस क्लब, म.प्र. द्वारा अभिनव कला समाज में आयोजित विशिष्ट परिसंवाद ‘शक्ति-भक्ति-सख्ती’ में शहर के सबसे प्रमुख 16 गरबा संचालकों ने एक स्वर में कहा कि गरबा आयोजनों में पवित्रता, पारंपरिकता को बरकरार रखने, अश्लीलता को कतई बर्दाश्त नहीं करने और महिला प्रतिभागियों की सुरक्षा व सम्मान को हर हालत में सुनिश्चित करने के लिए वे सभी प्रतिबद्ध हैं।
अपने तरह के अनूठे आयोजन ‘शक्ति-भक्ति-सख्ती’ में पहली बार शहर के सबसे प्रमुख 16 गरबा मंडलों के संचालक एक जाजम पर विराजे और इस बात पर मंथन किया कि बदलते समय के साथ शहर के बहुत विस्तारित हो चुके गरबा महोत्सवों में क्या नवाचार जरूरी है और किन बातों का विशेष ध्यान रखा जाना चाहिए..? साकेत न गरबा के संचालक नीरज याग्निक ने बताया कि उनके गरबा मंडल में महिला सुरक्षा के मद्देनज़र बिना किसी महिला के साथ आए, किसी पुरुष को प्रवेश नहीं दिया जाता।
अभिव्यक्ति गरबा महोत्सव के संचालक धर्मेश गोयल ने बताया कि इंदौर के गरबा आयोजनों के प्रति पूरे देश में सम्मान और उत्साह का भाव है। इंदौर गरबोत्सव के क्षेत्र में भी देश में अपनी पहचान बना चुका है।
ताल गरबा महोत्सव, अभय प्रशाल के शेखर भंडारी ने भी गरबा आयोजनों में पारिवारिकता का विशेष ध्यान रखने पर जोर दिया।
हिन्द रक्षक गरबा महोत्सव के लोकेन्द्र सिंह राठौर ने कहा कि समाज के सुदृढ़ीकरण के लिए शास्त्र के साथ शस्त्र के प्रति भी नई पीढ़ी का रुझान होना चाहिए और इसीलिए इस वर्ष उनके गरबा मंडल में पूरे नौ दिन शहर के अलग – अलग अखाड़े शस्त्रों सहित अपना प्रदर्शन करेंगे।
लक्ष्य गरबा महोत्सव के भरत पटवारी एवं सादगी गरबा महोत्सव के नीलेश चौधरी ने स्टेट प्रेस क्लब, म.प्र. को सभी गरबा संचालकों का पहला साझा कार्यक्रम करने के लिए साधुवाद दिया।
महिला प्रतिभागियों की सुरक्षा को लेकर सजग हैं गरबा मंडल।
समाज की गरबा संचालकों से अपेक्षाएं अभिव्यक्त करते हुए आयोजन के अतिथि इंदौर विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष जयपाल सिंह चावड़ा ने बताया कि पर्यावरण संरक्षण और महिला प्रतिभागियों की सुरक्षा को लेकर चिंता के मामले में इंदौर के सभी गरबा मंडल पूरे देश में प्रथम स्थान पर हैं। यहाँ देर रात भी गरबा समापन के बाद घर लौटती युवतियां भी सुरक्षित महसूस करती हैं जिसके लिए गरबा आयोजक बधाई के पात्र हैं।
परंपरा का गरबा आयोजनों में रखें ध्यान।
उस्ताद अलाउद्दीन खां संगीत व कला अकादमी के निदेशक एवं वरिष्ठ संस्कृतिकर्मी जयंत भिसे ने कहा कि सनातन संस्कृति अपने आप में इतनी समृद्ध है कि हमें गरबा आयोजनों में कहीं अन्य से कोई भी संगीत अथवा नृत्य शैली लेने की आवश्यकता नहीं है। पारंपरिकता का गरबा आयोजनों में ध्यान रखा जाना चाहिए।
भाजपा नेता एकलव्य सिंह गौड़ ने कहा कि नवदुर्गा शौर्य का भी प्रतीक हैं, यह सन्देश भी गरबा उत्सव के आयोजन के माध्यम से जाना चाहिए।
समाजसेविका माला सिंह ठाकुर ने कहा कि गरबा उत्सव में उन्हीं को प्रवेश दिया जाना चाहिए जिनकी माता रानी में आस्था है। उन्होंने बताया कि सबल नारी, सशक्त समाज के उद्घोष के साथ गरबा पांडाल में आने वाली महिलाओं को शहर में अभ्यास शिविर के माध्यम से आत्मरक्षा का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। अभी तक हज़ारों युवतियों को अपनी रक्षा स्वयं करने के मंत्र दिए गए हैं।
प्रमुख गरबा मंडल संचालकों का सम्मान।
इस अवसर पर शहर के 16 प्रमुख गरबा मंडलों के संचालकों का शहर की संस्कृति के उन्नयन में उनके योगदान के लिए सम्मान किया गया। जिन गरबा मंडल संचालकों का विशेष सम्मान किया गया उनमें प्रमुख हैं – साकेत ना गरबा महोत्सव के नीरज याग्निक, अभिव्यक्ति गरबा महोत्सव के धर्मेश गोयल, ताल गरबा महोत्सव के शेखर भंडारी, लक्ष्य गरबा महोत्सव के भरत पटवारी, हिन्द रक्षक गरबा महोत्सव के लोकेन्द्र सिंह राठौर, माँ कनकेश्वरी गरबा महोत्सव के रमेश मेंदोला, अभ्युदय गरबा महोत्सव के नीलेश दरियानी, सादगी गरबा महोत्सव के नीलेश चौधरी, राज गरबा महोत्सव के विश्वबंधु पांडे, रेड ऍफ़एम गरबा महोत्सव की पीयूषा भार्गव, रसरंग गरबा महोत्सव के नीलेश पटेल, बाणेश्वरी गरबा महोत्सव के सुनील जैन, रॉयल गरबा महोत्सव के सुरेन्द्र पुरी, गुजराती नव दुर्गा उत्सव मंडल के पं. शशिकांत पौराणिक, माँ शारदा गरबा मंडल के शिव वर्मा एवं चारभुजा ना गरबा के घनश्याम वैष्णव।
इस विशिष्ट परिसंवाद का संचालन संस्कृतिकर्मी आलोक बाजपेयी ने किया। कार्यक्रम के प्रारम्भ में अतिथियों का स्वागत स्टेट प्रेस क्लब, म.प्र. के अध्यक्ष प्रवीण कुमार खारीवाल, मुख्य महासचिव नवनीत शुक्ला, उपाध्यक्ष कमल कस्तूरी, समन्वयक आकाश चौकसे, सचिव विवान सिंह राजपूत, कोषाध्यक्ष सोनाली यादव, रचना जौहरी, प्रवीण धनोतिया, बंसीलाल लालवानी, राकेश द्विवेदी एवं गगन चतुर्वेदी ने किया। अंत में आभार शीतल रॉय ने व्यक्त किया। कार्यक्रम में बड़ी संख्या में संस्कृतिप्रेमी मौजूद थे।