इंदौर:दिवाली उमंग, उल्लास और खुशियों का पर्व है। रोशनाई के इस पर्व पर सुमधुर संगीत की सौगात भी मिल जाए तो इससे अच्छी बात भला क्या हो सकती है। 25 वर्ष पूरे कर अपनी रजत जयंती मना रही सांस्कृतिक संस्था सानंद ने इंदौर के रसिक श्रोताओं को दीपावली पर ऐसी ही सौगात दी। देवी अहिल्या विश्वविद्यालय के खंडवा रोड स्थित सभागार में सजाई गई संगीत ये महफ़िल कुछ अनूठी थी। अनूठी इस मायने में कई यहां गीतों को आवाज देने का काम कोई गायक नहीं बल्कि एक बाजा कर रहा था। बाजा याने हारमोनियम, इस जादुई पेटी से ऐसे- ऐसे मधुर गीत निकल रहे थे कि बड़ी तादाद में मौजूद सुनकार हैरत में पड़ गए।
दरअसल जादुई पेटी अर्थात हारमोनियम से मीठी धुने सुना रहे कलाकार थे मुम्बई से आये आदित्य ओक। साथ संगत में इस्तेमाल किये जाने वाले हारमोनियम के साथ ढेरों प्रयोग करते हुए आदित्य ने उसे अपना प्रमुख वाद्य बना लिया। यही नहीं हारमोनियम के जरिये वे देश- विदेश में 6 हज़ार से ज्यादा शो कर चुके हैं। इंदौर में उनका ये पहला कार्यक्रम था। पूरे वाद्यवृंद के साथ आदित्य जी ने अपनी जादुई पेटी के जरिये हिंदी-मराठी गीतों की मनभावन बानगी पेश की। उनका साथ की बोर्ड पर सत्यजीत प्रभु, तबले पर विनायक नेटके, ढोलकी पर प्रभाकर मौसमकर और सिंथेसाइजर पर मंदार गोगटे ने निभाया।
प्रारम्भ में आदित्य ओक और अन्य कलाकारों का स्वागत संस्था के अध्यक्ष सुधाकर काले ने किया। सूत्र संचालन अथर्व पंडित और दिविका तपस्वी ने किया। आभार जयंत भिसे ने माना।
दिवाली प्रभात में जादुई पेटी से निकले सुमधुर गीत
Last Updated: November 7, 2018 " 02:15 pm"
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