श्री माधव नाथ दीपप्रकाश ग्रंथ का भी किया गया विमोचन।
संत परंपरा में अग्रणी रहा है महाराष्ट्र : स्वामी गोविंद देव गिरी महाराज
इंदौर : रामजन्म भूमि अयोध्या ट्रस्ट के कोषाध्यक्ष स्वामी गोविंद देव गिरी ने वैदिक मंत्रोच्चार के बीच जैसे ही बटन दबाकर एक साथ 52 दीप प्रकाशित किए उपस्थित भक्तों ने हर्ष ध्वनि के साथ सद्गुरु श्री माधवनाथ महाराज का उदघोष किया। मौका था श्री माधवनाथ दीपप्रकाश ग्रंथ शताब्दी पर ग्रंथ विमोचन एवं दीप स्तंभ अनावरण महोत्सव का।
श्रीनाथ मन्दिर संस्थान द्वारा आयोजित इस समारोह मे पूर्व लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन, सुश्री विशुध्यानंद भारती, पूर्व राज्यपाल वीएस कोकजे, बाबा साहेब प्रदीप तराणेकर, संस्थान के सचिव संजय गो. नामजोशी विशेष रूप से उपस्थित थे।
समारोह में अपने संबोधन में स्वामी गोविंद देवगिरी महाराज ने कहा कि संत परंपरा में महाराष्ट्र सबसे अग्रणी रहा है, जहाँ संत नामदेव से लेकर संत ज्ञानेश्वर्, संत एकनाथ,संत तुकाराम, स्वामी रामदास आदि संतों की एक लंबी श्रृंखला रही है,जिहोेंने पैदल ही गाँव- गाँव घूम घूम कर धर्म और अध्यात्म का प्रचार प्रसार किया। नामदेव महाराज ने तो इतने सुंदर अभंग रचे कि उसमें से 64 अभंग तो सिख समाज के पवित्र ग्रंथ श्री गुरु ग्रंथ साहिब में अंकित है।
उन्होंने कहा कि दर्शन, तत्व और गहनता की दृष्टि से ज्ञानेश्वरी सबसे रसीला, उत्तम और महान ग्रंथ है। देश की संस्कॄति, शिक्षा,साहित्य और विकास में भी महाराष्ट्र का बड़ा योगदान है। मराठी में समृद्ध साहित्य है। उन्होंने आगे कहा कि संत तुकाराम और संत नामदेव संसारी थे, लेकिन उनका मन केवल परमार्थ और प्रभु में रमता था। संत रामदास स्वामी और संत ज्ञानेश्वर तो पारंभ से ही प्रभु भक्ति में लीन हो गए थे, वे सांसारिक जीवन के प्रपंच में ही नहीं पड़े। संत एकनाथ ऐसे संत हुए जिन्होंने संसार और परमार्थ दोनों को अच्छे से जिया। संत एकनाथ ने तो श्रीमद भागवत के 11वे स्कंध को मराठी भाषा मे लिखकर महान पुण्य कार्य किया।
लव जिहाद रोकने के लिए बच्चों को धर्म की शिक्षा दें।
स्वामीजी ने कहा कि हिंदू लड़कियां लव जिहाद का इसलिये भी शिकार हो रही हैं,क्योंकि हमारे बच्चों को हम धर्म की शिक्षा नहीं देते। आज केरल में हजारों लड़कियां लव जिहाद का शिकार हो रही हैं। उन पर अंकुश लगाने का कार्य आचार्य मनोज जैसे हिंदूवादी आचार्य कर रहे हैं। आचार्य मनोज ने अब तक 70 हजार हिंदू लड़कियों को इस नर्क से बाहर निकाला है।
नाथ मंदिर के सचिव संजय नामजोशी ने कहा कि बाल माधव नाथ महाराज का जन्म सन 1857 को गुड़ी पड़वा पर हुआ था 10 वर्ष की अवस्था में वे कठोर तपस्या हेतु हिमालय गए, जहाँ उन्होंने 7 वर्ष तक कठोर तप किया। संत महंतो की समाधि के साथ 12 जयोतिलिंग के दर्शन किये। पुणे में दगडू शेठ श्री रामचंद्र हलवाई गणेश मन्दिर की स्थापना की। 1936 में इंदौर में श्रीनाथ मन्दिर का निर्माण किया।
समारोह में अतिथि स्वागत प्रदीप चौधरी, डॉ. संदीप तारे, नितिन पुण्डलिक, प्रभाकर आपटे ने किया।
मंगेश भागवत ने बताया कि 4 दिवसीय महोत्सव का समापन रुद्राभिषेक से हुआ। वैदिक विद्वानों ने मंत्र पढ़े। भक्तों ने आहुति दी।
यशवंत शेगाँवकर ने बताया कि सुबह कांकड आरती हुई। अकोला, मुंबई, नागपुर, रावेर, नासिक, पुणे से पधारे सैकड़ों भक्तो ने सामूहिक श्री नाथ जय नाथ जय जय नाथ का जाप किया। इस मौके पर मनीष ओक, चिन्मय विप्रदास ,राहुल लालगे अश्विन फड़नवीस, अनिल सरवटे, तुषार जोशी राज ऋषि हरने, राहुल गिध सहित अन्य लोग भी मौजूद थे।