सुमित्रा महाजन का नाम बदलकर अटलजी का नाम देने पर जताई आपत्ति।
पिछली निगम परिषद में परिषद हॉल का नामकरण सुमित्रा महाजन के नाम पर किए जाने का प्रस्ताव पारित किया गया था।
सुमित्रा महाजन द्वारा स्थिति साफ करने के बाद मामले का हुआ पटाक्षेप।
इंदौर : गुरुवार को निगम परिषद के सम्मेलन के पूर्व आयोजित सत्र में परिषद हॉल के नामकरण में किए गए बदलाव को लेकर नेता प्रतिपक्ष द्वारा उठाई गई आपत्ति पर हंगामा खड़ा हो गया। श्रीमती सुमित्रा महाजन द्वारा स्थिति स्पष्ट किए जाने के बाद मामला शांत हुआ।
दरअसल, नगर निगम मुख्यालय परिसर में नवनिर्मित परिषद हॉल अटल सदन में गुरुवार को निगम परिषद का साधारण सम्मेलन आयोजित किया गया। सम्मेलन के पूर्व पूर्व लोकसभा स्पीकर सुमित्रा महाजन के मुख्य आतिथ्य में मार्गदर्शन सत्र रखा गया। सुमित्रा ताई के औपचारिक स्वागत के बाद जैसे ही ताई को बोलने के लिए आमंत्रित किया गया, नेता प्रतिपक्ष चिंटू चौकसे ने परिषद हॉल के नामकरण का मुद्दा उठाते हुए उसमें बदलाव पर ऐतराज जताया और इसे सुमित्रा ताई का अपमान निरूपित किया। इसपर सदन में शोरशराबा होने लगा।
ये थी आपत्ति लेने की वजह :-
बताया जाता है कि पिछली निगम परिषद जिसमें मालिनी गौड़ महापौर थी और अजय नरूका सभापति थे, ने 19 फरवरी 2020 को अंतिम सम्मेलन में निर्माणाधीन परिषद हॉल का नामकरण सुमित्रा महाजन के नाम करने का प्रस्ताव सर्वानुमति से पारित किया था। बाद में वर्तमान निगम परिषद ने भी इस प्रस्ताव की अक्टूबर 2023 में पुष्टि की थी। हाल ही में महापौर पुष्यमित्र भार्गव ने इस हॉल का निर्माण कार्य पूरा करवाया। कुछ दिनों पूर्व इस नवनिर्मित परिषद हॉल का लोकार्पण मुख्यमंत्री मोहन यादव और नगरीय प्रशासन मंत्री कैलाश विजयवर्गीय के आतिथ्य में हुआ तब इसका नामकरण पूर्व प्रधानमंत्री स्व. अटल बिहारी वाजपेई के नाम पर अटल सदन कर दिया गया। इसी बात को सदन में रखते हुए नेता प्रतिपक्ष अपनी आपत्ति दर्ज कराई और नामकरण में किए बदलाव को श्रीमती महाजन का अपमान बताया।
सुमित्रा ताई ने स्पष्ट की स्थिति।
निगम परिषद के हॉल के नामकरण को लेकर उठे इस विवाद का पटाक्षेप स्वयं सुमित्रा ताई महाजन ने किया। उन्होंने परिषद हॉल को स्वर्गीय अटलजी का नाम देने को सर्वथा उचित ठहराते हुए कहा कि पिछली निगम परिषद ने इस हॉल को मेरा नाम देने का प्रस्ताव पारित किया था तब मैने असहमति जताते हुए विरोध किया था। बीते दिनों जब हॉल का निर्माण पूरा होने पर नामकरण प्रस्ताव को लेकर महापौर पुष्यमित्र भार्गव और एमआईसी सदस्य उनसे मिले थे उस दौरान भी मैने परिषद हॉल को मेरा नाम देने का विरोध किया क्योंकि मैं अभी जिंदा हूं और सामाजिक कार्यों में लगातार सक्रिय हूं। अटलजी एक ऐसे नेता थे जिनका सम्मान उनके राजनीतिक विरोधी भी करते थे।
सम्मान मांगा नहीं अर्जित किया जाता है।
सुमित्रा ताई ने अपने कथित अपमान की बात को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि किसी में इतनी हिम्मत नहीं है कि उनका अनादर करें। सम्मान मांगा नहीं जाता अपने आचरण और व्यवहार से कमाया जाता है। उन्हें पक्ष हो विपक्ष सभी का भरपूर स्नेह और प्यार मिला है। उन्हें जीवन में जो कुछ मिला वह महिला होने के नाते नहीं बल्कि योग्यता और कार्यक्षमता के बूते हासिल हुआ है।
बहरहाल, सुमित्रा ताई के स्पष्टीकरण के बाद परिषद हॉल के नामकरण विवाद का पटाक्षेप तो हो गया पर ये सवाल अनुत्तरित ही रहा कि निगम परिषद में सुमित्रा महाजन के नामकरण का दो – दो बार प्रस्ताव पारित होने के बावजूद किसके दबाव और इशारे पर परिषद हॉल का को अटल सदन नाम दे दिया गया..?