इंदौर : जीएसटी के तहत व्यापरियों द्वारा मशीनरी या अन्य कोई पूंजीगत सम्पति (कैपिटल गुड्स) क्रय की जाती है तो उस पर जीएसटी का भुगतान करना होता है ! इस जीएसटी का उनके द्वारा इनपुट टैक्स क्रेडिट भी लिया जा सकता है ! केवल बिल्डिंग बनाने या क्रय करने पर, पैसेंजर कार क्रय करने पर या कुछ अन्य दशाओं में धारा 17 (5 ) में इनपुट टैक्स क्रेडिट की पात्रता नहीं होती !
ऐसे कैपिटल गुड्स को किसी कारण से बेचते समय उस पर जीएसटी चुकाना होता है। कुछ दशाओं में कैपिटल गुड्स पर इनपुट टैक्स क्रेडिट नहीं लेने के बावजूद उसके बेचने पर कर चुकाना होता है ! कैपिटल गुड्स से सम्बंधित इनपुट टैक्स क्रेडिट लेने एवं इनके विक्रय पर टैक्स की गणना किस प्रकार की जाएगी, उसके लिए टैक्स प्रैक्टिशनर्स एसोसिएशन, इंदौर एवं चार्टर्ड एकाउंटेंट्स की इंदौर शाखा द्वारा एक सेमिनार आयोजित किया गया।
डेप्रिसिएशन का लाभ नहीं लिया हो तभी मिलेगी जीएसटी क्रेडिट।
मुख्य वक्ता सीए कृष्ण गर्ग ने सभा को सम्बोधित करते हुए कहा कि कैपिटल गुड्स पर चुकाए जीएसटी की क्रेडिट तभी मिलती है जबकि उसको कैपिटलाइज़ करके उस पर डेप्रिसिएशन का लाभ नहीं लिया गया हो ! अर्थात व्यापारी द्वारा उस पर दोहरा लाभ नहीं लिया जाना चाहिए ! साथ ही ऐसे कैपिटल गुड्स की लाइफ जीएसटी के अंतर्गत 5 साल मानी जाती है ! व्यापारी द्वारा कैपिटल गुड्स को विक्रय किए जाने की दशा में उस पर कर की देयता दो बिंदुओं के आधार पर तय होती है ! प्रथमतया जिस मूल्य पर उस गुड्स को बेचा जा रहा है उस पर लागू दर से कर की राशि की गणना की जाती है ! इसके पश्चात् ऐसे गुड्स को क्रय करने के 5 साल के पहले बेचने पर बची हुई अवधि के लिए अनुपातिक रूप से अमान्य इनपुट टैक्स क्रेडिट की गणना की जाएगी ! उपरोक्त दोनों बिंदुओं में से जिस पर कर की देयता अधिक आती है उतनी राशि सरकार को चुकानी होगी !
उन्होंने कहा कि किसी कैपिटल गुड्स को खरीद कर उसको लीज या किराये पर देने से उस गुड्स पर प्रचलित दर से ही कर का भुगतान करना होगा ! अर्थात 5 % की कैपिटल गुड्स को लीज पर देने पर 5 % की दर से ही कर लगेगा ! यदि किसी व्यापारी द्वारा अपना पूरा व्यापार किसी दूसरे को हस्तांतरित किया जाता है तो उसको नोटिफिकेशन नंबर 12 /2017 के तहत कर से पूर्ण छूट प्रदान की गयी है। यदि ऐसे किसी गुड्स को स्क्रैप के रूप में बेचा जाता है तो उस पर सामान्य की बजाय स्क्रैप की दर से कर का भुगतान करना होता है।
मोटर कार पर इनपुट टैक्स क्रेडिट की पात्रता नहीं।
सीए गर्ग ने यह भी बताया कि मोटर कार पर चूँकि इनपुट टैक्स क्रेडिट की पात्रता नहीं होती अतः उस पर चुकाए गए कर को कार की लागत में जोड़कर उस पर आयकर के अंतर्गत डेप्रिसिएशन का लाभ लिया जाना चाहिए ! व्यापारी द्वारा ऐसी कार को आय कर के प्रावधानों के तहत लिए गए डेप्रिसिएशन के बाद बचे मूल्य (WDV) से अधिक पर बेचने पर नोटिफिकेशन नंबर 8 /2018 दिनांक 28 जून, 2017 के अनुसार कर का भुगतान करना होता है, जो अव्यवहारिक है !
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे सीए जेपी सराफ ने कहा कि जीएसटी के प्रावधानों को बारीकी से समझने कि आवश्यकता है। जरा सी गलती पर टैक्स के साथ ब्याज व पेनल्टी भी लग सकती है ! उन्होंने यह भी कहा कि बिल्डिंग या ऑफिस बनाने या क्रय करने पर सरकार ने इनपुट टैक्स क्रेडिट लेने पर रोक लगायी है परन्तु उसके पश्चात उसके रख रखाव पर हो रहे खर्च पर जीएसटी की क्रेडिट ली जा सकती है।इसीतरह सरकार मोटर कार पर क्रेडिट नहीं देती लेकिन क्रय करने के बाद इंश्योरेंस प्रीमियम एवं उसके रखरखाव पर किये जानने वाले खर्च पर भी क्रेडिट क्यों मान्य नहीं की जा रही, यह समझ से परे है !
कार्यक्रम में सीए एसएन गोयल, एससी बंसल, सुनील खंडेलवाल, शैलेन्द्र पोरवाल, सुनील पी जैन, उमेश गोयल,गिरिराज गोयल और बड़ी संख्या में चार्टर्ड एकाउंटेंट्स, कर सलाहकार एवं अभिभाषक उपस्थित थे। आभार प्रदर्शन अजय सामरिया ने किया।