मराठी भाषियों ने जुलूस निकालकर बुलंद की वीर सावरकर को भारतरत्न देने की मांग

  
Last Updated:  February 26, 2023 " 11:47 pm"

तिलक प्रतिमा से सावरकर प्रतिमा तक निकले जुलूस में हजारों मराठी भाषी हुए शामिल।

सावरकर प्रतिमा पर माल्यार्पण के साथ उनके जीवन कार्यों पर डाला गया प्रकाश।

इंदौर : स्वात्यंत्र्य वीर विनायक दामोदर सावरकर की 57 वी पुण्यतिथि के अवसर पर रविवार सुबह इंदौर सहित देश भर से पधारे हजारों मराठी भाषियों ने विशाल जुलूस निकाल कर केंद्र सरकार से वीर सावरकर को भारत रत्न देने की मांग की। उनका कहना था कि देश के लिए अपना सर्वस्व न्यौछावर करने वाले वीर सावरकर देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न के हकदार हैं।मराठी भाषियों ने वीर सावरकर के प्रति गलत बयानी करने वालों के खिलाफ भी आक्रोश जताया।

तिलक प्रतिमा से सावरकर प्रतिमा तक निकाला जुलूस।

दरअसल, बृहन्महाराष्ट् मंडल के 71 वे अधिवेशन के चलते इंदौर में देश भर के मराठी भाषी एकत्र हुए हैं। इन्हें साथ मिला इंदौर शहर में निवास करने वाले हजारों मराठी भाषियों का । रविवार को हजारों की संख्या में मराठी भाषियों ने तिलक प्रतिमा पलासिया चौराहे से जुलूस निकाला। जुलूस में घोड़े पर छत्रपति शिवाजी महाराज, लोकमान्य तिलक, वीर सावरकर, देवी अहिल्याबाई, माता जिजाऊ आदि महापुरुषों की वेशभूषा में बच्चे आकर्षण का केंद्र बनें हुए थे। जुलूस में बच्चे लेझिम नृत्य करते हुए भी चल रहे थे। हाथों में सावरकर को भारत रत्न देने की मांग की तख्तियां लिए लोग नारे भी लगा रहे थे सावरकर का अपमान नहीं सहेगा हिंदुस्तान। हाथ में भगवा ध्वज लिए महिलाएं और गले में भगवा दुपट्टा धारण किए हुए पुरुष पंक्तिबद्ध और अनुशासित रूप से तिलक प्रतिमा, हुकुमचंद चौराहा होते हुए सावरकर प्रतिमा स्थल पहुंचे। वीर सावरकर प्रतिमा पर माल्यार्पण के पश्चात मंच पर मिलिंद महाजन,महापौर पुष्यमित्र भार्गव, सत्यनारायण जटिया, प्रशांत बडवे , श्रीराम महाशब्दे, सुनील धर्माधिकारी ने उपस्थित लोगों को संबोधित किया। यहां उपस्थित समस्त नागरिकों की ओर से सरकार को दिए जाने वाले ज्ञापन में मांग की गई कि वीर सावरकर को भारत रत्न से अलंकृत किया जाए। देश के सुविख्यात कीर्तनकार चारुदत्त आफले और युवा क्रांतिकारी कीर्तनकार एवज भांडारे ने सावरकर के जीवन कार्य के बारे में जानकारी दी । जुलूस की यह विशेषता थी की इसमें महिलाएं और युवा भी बहुत बड़ी संख्या में शामिल हुए ।
यात्रा आयोजन के संयोजक वैभव ठाकुर, पराग लोंढे, सुधीर देडगे शांतनु किबे, सुनील देशपांडे, समीर पानसे और धर्मेंद्र ऊर्ध्वरेशे थे।

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