स्टेट प्रेस क्लब, मप्र के टॉक शो में जिम्मेदारों ने कहा – दवा से नहीं जागरूकता से ही निदान संभव।
इंदौर : 45 लाख की आबादी में मलेरिया विभाग के 35 और इंदौर नगर निगम के 25 कर्मचारी अर्थात महज 60 कर्मचारी मच्छरों की समस्या से निजात दिलाने के लिए जुटे हैं। आबादी के मान से यह संख्या बेहद कम है। मच्छरों से मुक़ाबला करने के लिए फाग मशीन या दवाएँ कारगार नहीं हैं, बल्कि नागरिकों की जागरूकता से ही इस समस्या से मुक़ाबला किया जा सकता है ।
ये विचार स्टेट प्रेस क्लब,मप्र द्वारा ‘मच्छरों का बढ़ता प्रकोप’ विषय पर आयोजित टॉक शो में ज़िम्मेदार अधिकारियों ने व्यक्त किए।
ठहरे या जमा हुए पानी पर क्रूड या एडिबल ऑयल डालें।
जिला मलेरिया अधिकारी दौलत पटेल ने बताया कि यूँ तो मच्छरों की तीन सौ से अधिक प्रजातियाँ है लेकिन दस-बारह प्रजातियों के मच्छर बीमारी फैलाते हैं।मलेरिया,डेंगू,चिकनगुनियां,जापानी बुखार आदि प्रचलित बीमारियां हैं।श्री पटेल ने बताया कि ज़िले में विभाग के पैतीस कर्मचारी नियमित रूप से लार्वा का सर्वे और मशीन से दवा का छिड़काव कर रहे हैं। यही टीम जगह-जगह राहवासियों को जागरूक करने का काम भी करती है। उन्होंने सुझाव दिया कि मच्छरों की उत्पत्ति रोकने के लिए क्रूड या एडीएबल ऑइल ठहरे और जमें हुए पानी पर डाल सकते हैं । कीटनाशक दवा का उपयोग भी सतर्कतापूर्वक किया जा सकता है।
नागरिकों की जागरूकता से ही हो सकता है समस्या का निदान।
इंदौर नगर निगम के मुख्य स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. आशुतोष उपाध्याय ने कहा कि नगर निगम, मलेरिया विभाग या स्वास्थ्य विभाग अपने स्तर पर मच्छर विरोधी अभियान चलाते हैं लेकिन यह स्थायी विकल्प नहीं है। उन्होंने कहा कि नागरिकों की जागरूकता से ही इस समस्या से निजात पाया जा सकता है । घरों के आस-पास पानी की टंकियां, बर्तन कपड़े धोने के स्थल, वाहन धोने के स्थल पर मच्छर प्रजनन करते हैं इन्हें उनके जन्म स्थल पर ही रोकना इनसे बचने का प्रभावी उपाय है । उन्होंने कहा कि बड़े आयोजन स्थल सभागार आदि में तात्कालिक उपाय के बतौर फॉग मशीन कारगर है पर हर जगह यह स्थायी समाधान नहीं है। डॉ. उपाध्याय ने बताया कि इंदौर नगर निगम के 19 जोनल ऑफिस में दो-दो फॉगिंग मशीन है जो प्रतिदिन शाम के वक़्त धुएं के साथ दवा का छिड़काव करती हैं।उन्होंने स्वीकार किया कि इनमें से आधी मशीनें ख़राब हैं।
इंदौर नगर निगम मलेरिया विभाग के प्रमुख बृजलाल विशनार बताया कि तेज गर्मी और तेज ठंड से ही मच्छरों का प्रकोप कम होगा लेकिन इस वक़्त जो मौसम है उसमें मच्छर बड़ी तादाद में पैदा होंगे। उन्होंने बताया कि उनकी 25 सदस्यों की टीम तालाबों से जल कुम्भी निकालने, नालों से कचरा साफ़ करने और खुले स्थानों पर क्रूड ऑइल और दवा छिड़कने का काम करती है। शाम के वक़्त धूए की मशीनों से दवा भी छिड़कते हैं ।
स्वास्थ्य विभाग इंदौर संभाग के उप संचालक डॉ. माधव हसानी ने कहा कि वक़्त के साथ मच्छरों की प्रतिरोधक क्षमता में भी बढ़ोतरी हुई है, जिस वजह से क्वाइल, स्प्रे या टिकियाओं से मच्छर नहीं मर रहे। लोग अब इलेक्ट्रिक बेट से इन्हें मार रहे हैं। डॉ. हसानी ने सुझाव दिया कि मलेरिया- डेंगू से बचाव के लिए मच्छरदानी का इस्तेमाल किया जाना चाहिए। नागरिकों को चाहिए कि वो भी सफाई की तरह पानी या नमी वाले स्थल पर क्रूड ऑइल डालें या वो स्थान सुखाकर साफ़ रखें । एक प्रश्न के जवाब में डॉ. हसानी के कहा कि शहर में 10-12 ही मलेरिया के चिह्नित मरीज़ हैं। इन मरीज़ों की बीमारी शासकीय लैब से ही प्रमाणित की जाती है। शासन प्राइवेट लेब की रिपोर्ट को मान्यता नहीं देता।
प्रारंभ में स्टेट प्रेस क्लब के अध्यक्ष प्रवीण कुमार खारीवाल, सचिव आकाश चौकसे , गिरधर मोहनलाल मंत्री, गगन चतुर्वेदी, बंसीलाल लालवानी ने अतिथि वक्ताओं का स्वागत किया।अंत में प्रवीण धनौतिया ने आभार व्यक्त किया।