दूर की सोच के चर्चे, बढ़ा दिए खर्चे..!

  
Last Updated:  August 31, 2023 " 04:27 pm"

🔹चुनावी चटखारे/कीर्ति राणा🔹

ग्वालियर, देवास, सोनकच्छ से लेकर डिंडोरी तक भाजपा ने जिन प्रत्याशियों को टिकट दिए हैं उन्हें लेकर स्थानीय कार्यकर्ता गुस्से में हैं।पार्टी ने दूर की सोचते हुए इन सीटों पर नाम घोषित किए हैं किंतु यह दूर की सोच प्रत्याशियों पर अप्रत्याशित खर्चे बढ़ाने वाली भी साबित हो रही है।प्रत्याशियों में कुछ तो ऐसे हैं जो तीन महीने पहले से शुरु हो रहे खर्च जितनी व्यवस्था जुटा पाने में असहाय हैं और मान कर चल रहे हैं कि टिकट देने वाले नेता ही फंड की व्यवस्था भी कराएंगे।दूसरी तरफ चुनाव प्रबंधन समिति संयोजक नरेंद्र सिंह तोमर से लेकर प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा तक प्रदर्शन का शिकार हो चुके हैं।जो समर्थक श्रीमंत के साथ भाजपा में आए थे उनके लिए तो खुद सिंधिया ने हाथ ऊंचे कर दिए हैं। साफ कह दिया है पट्ठावाद नहीं योग्यता ही टिकट मिलने का पैमाना होगा।

इन 39 टिकटों की जो पहली सूची जारी हुई है उससे खुद अमित शाह का खौफ भी खत्म हो गया है। माना जा रहा था कि जब अमित शाह के हाथ में सारे सूत्र हैं तो प्रत्याशियों का चयन भी अनोखा ही होगा लेकिन हरल्ले विधायकों, उम्रदराज चेहरों पर भरोसा कर के अमित शाह की चयनकर्ता मंडली जिस तरह मौन है तो फिर स्पष्ट हो गया है ‘खाता न बही, जो शाहजी कहें वही सही।

शिवपुरी के करेरा से पूर्व विधायक रणवीर सिंह को तो भाजपा नेताओ ने सबलगढ़ विधानसभा से तैयारी के संकेत भी दे दिए थे लेकिन यहां से नाम घोषित कर दिया 2018 में चुनाव हार चुकीं
सरला रावत को।रणवीर सिंह के बेटे आदित्य ने तो पार्टी के इस अप्रत्याशित फैसले के खिलाफ सोशल मीडिया पर विरोध भी जाहिर कर दिया था लेकिन नरेंद्र सिंह तोमर के दबाव के बाद यह पोस्ट हटाना पड़ी। इसी तरह सांवेर में जमीन तैयार कर चुके डॉ राजेश सोनकर को सोनकच्छ भेजना भी उनके समर्थकों के गले नहीं उतर रहा है। यदि सांवेर की अपेक्षा तुलसी सिलावट को सोनकच्छ से प्रत्याशी बनाया होता तो कांग्रेस के सज्जन वर्मा भी सोनकच्छ से बाहर नहीं निकल पाते और इस सीट के परिणाम पर पूरे प्रदेश की नजर लगी रहती। सोनकच्छ से भाजपा विधायक रहे राजेंद्र वर्मा भी धोखाधड़ी के शिकार हो गए हैं। इसी तरह सांवेर के डॉ. सोनकर समर्थक हों या महेश्वर में राजकुमार मेव समर्थक हों-इंदौर के उनके सारे समर्थक अपने नेता को जिताने के लिए जाहिर है महेश्वर और सोनकच्छ ही जाएंगे।रही बात इन सीटों सहित अन्य उन तमाम दावेदारों की जिन्हें टिकट नहीं मिला है तो पार्टी ऐसे सारे दावेदारों को अन्य क्षेत्रों में पर्यवेक्षक या अन्य किसी पद की जिम्मेदारी देकर सेंधमारी के इरादे पर रोक लगा देगी।क्योंकि पार्टी नेतृत्व साफ कह चुका है कि भले ही पहली सूची को लेकर चाहे जितना विरोध हो घोषित नाम बदले नहीं जाएंगे।

चांचोड़ा में प्रियंका मीणा हों, गोहद से लाल सिंह आर्य या राऊ से मधु वर्मा हों ऐसे सभी प्रत्याशियों के नाम करीब तीन महीने पहले घोषित करने का एक दूसरा पहलु यह भी है कि क्षेत्र के कार्यकर्ताओं और मतदाताओं को अपने पक्ष में करने के लिए इन्हें भरपूर खर्चा नाम घोषित होने के दिन से ही करना पड़ रहा है। इससे पहले तक चुनाव से एक महीने पहले प्रत्याशियों के नाम घोषित होने का फायदा यह रहता था कि प्रत्याशी को आचार संहिता के बंधन के चलते अनाप-शनाप खर्च करने में रियायत मिल जाती थी।

जिन क्षेत्रों में प्रत्याशियों का विरोध शुरु हो गया है उन सारे प्रत्याशियों चाहे घटिया से सतीश मालवीय हो, इंदौर के राऊ, सांवेर आदि क्षेत्रों के दावेदार हों, महिदपुर से दावेदारी कर रहे बहादुर सिंह चौहान हों या ग्वालियर-चंबल क्षेत्र के दावेदार, दबाव बनाने की वजह दूसरी सूची से पहले अपना दावा मजबूत करने की रणनीति भी मानी जा रही है।दूसरी सूची भाजपा सितंबर में घोषित करने वाली है, तब कांग्रेस की पहली सूची जारी होगी।भाजपा फूंक फूंक कर कदम इसलिए भी रख रही है कि दलबदल वाली भगदड़ को रोका जा सके।

जिला घोषित करने की जलेबी।

पांढुर्ना को राज्य का 55 वां जिला घोषित करने के साथ ही पूर्व मुख्यमंत्री-हनुमान भक्त कमलनाथ के इस क्षेत्र के जामसांवली में 35 करोड़ से अधिक की लागत से बनाए जाने वाले हनुमान लोक की आधार शिला रख कर सीएम शिवराज ने छिंदवाड़ा में कमलनाथ और उनके पुत्र नकुल नाथ की जड़ें कमजोर करने की शुरुआत कर दी है। पांढुर्ना से पहले मऊगंज और उज्जैन के नागदा को जिला बनाने की घोषणा सीएम शिवराज कर चुके हैं। ऐसा नहीं कि जिला बनाने की मांग थम गई है। ओंकारेश्वर में अगले माह प्रधानमंत्री मोदी आ रहे हैं। बहुत संभव है तब सीएम ओंकारेश्वर, बड़वाह को जिला बनाने की घोषणा कर दें। सोनकच्छ में भाजपा प्रत्याशी डॉ राजेश सोनकर के कार्यक्रम में जाएं तो सोनकच्छ को जिला बनाने की घोषणा कर दें। मांग तो देवास के बागली को भी जिला बनाने की है लेकिन यह मांग करने वाले पूर्व विधायक दीपक जोशी अब कांग्रेस में जा चुके है।वैसे तो हाटपीपलिया उप चुनाव में सीएम ने वादा भी कर दिया था लेकिन जोशी के पाला बदलने से यह मांग इस चुनाव में शायद ही पूरी हो।

दावेदारी पंचर करने का हुनर ।

नागौद से भाजपा विधायक नागेंद्र सिंह ने कमाल का हुनर दिखाया। कुछ दिन तक वो कहते रहे अब मैं बूढ़ा हो गया हूं, चुनाव नहीं लड़ूंगा। किसी युवा को नागौद से टिकट मिलना चाहिए। पूर्व मंत्री और सांसद रहे नागेंद्र सिंह जब खुद ऐसी घोषणा करें तो इस सीट से दावेदार क्यों नहीं हौंसला दिखाते। कुछ तो उनसे आशीर्वाद लेने के साथ ही भोपाल-दिल्ल्ली के बड़े नेताओं से सिफारिश का अनुरोध भी कर आए। पांच बार से विधायक नागेंद्र सिंह के सुर यकायक बदल गए हैं।क्षेत्र में उनकी मजबूत पकड़ है। अब वो गांव- गांव सक्रिय हो गए हैं।उचेहरा की सभा में तो साफ कह दिया कि ना मैं यह कह रहा कि नहीं लडूंगा, ना ही कह रहा कि मैं लड़ूंगा, पार्टी के आदेश का पालन करूंगा। उनकी इस रणनीति से खुद उन्होंने यह तो जान ही लिया है कि कौन कौन दावेदार या उनके विरोधी हैं।

सपा की पहली सूची में दो नाम।

भाजपा ने तो दूसरी सूची जारी की नहीं है लेकिन समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भाजपा के कब्जे वाली सीटो में से दो पर अपने प्रत्याशी घोषित कर दिए हैं। सीधी जिले में धोहनी से विश्वनाथ सिंह मरकाम और सिंगरौली जिले की चितरंगी सीट से श्रवण कुमार सिंह गोड़ को प्रत्याशी घोषित किया है।

डॉ.सोनकर का उत्तराधिकारी कौन?

सोनकच्छ में किला लड़ाने वाले डॉ. राजेश सोनकर अब इस चिंता से तो मुक्त हो गए हैं कि इंदौर ग्रामीण में भाजपा का धनीधोरी कौन होगा। जिला ग्रामीण अध्यक्ष पद के लिए भी दावेदार सक्रिय हो गए हैं।जिन दो दावेदारों के नाम चल रहे हैं, वे दोनों देपालपुर के हैं और यहीं से विधानसभा टिकट के दावेदार भी हैं। इनमें एक नाम तो विजयवर्गीय समर्थक चिंटू वर्मा का है जो अभी जिला महामंत्री हैं, दूसरा नाम श्रवण चांवड़ा का है जो जिला भाजपा में उपाध्यक्ष हैं।भाजपा संगठन किसे देपालपुर से प्रत्याशी बनाएगा यह तय नहीं है, इसी तरह यह भी तय नहीं कि इनमें से किस को जिला ग्रामीण अध्यक्ष का दायित्व मिलेगा।

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