इंदौर : सई परांजपे हिंदी, मराठी फिल्म, टीवी और रंगमंच का जाना माना नाम है। उनके लिए द्वारा लिखित और निर्देशित कई फिल्मों को राष्ट्रीय और फिल्मफेयर पुरस्कार मिल चुके हैं। उनके द्वारा लिखा और निर्देशित किया मराठी नाटक इवलेसे रोप इन दिनों रंगमंच पर धूम मचा रहा है। हाल ही में इस नाटक का मंचन सानंद के मंच पर देवी अहिल्या विश्वविद्यालय के खंडवा रोड स्थित सभागार में किया गया।
मानवीय संवेदनाओं की कसौटी पर रिश्तों की पड़ताल करते इस नाटक में मराठी रंगमंच के मंजे हुए कलाकार मंगेश कदम और लीना भागवत ने प्रमुख भूमिकाएं निभाई हैं। दोनों कलाकार पहले भी कई नाटकों में साथ काम कर चुके हैं। इस नाटक में भी उनकी केमेस्ट्री कमाल की बन पड़ी है।
नाटक में एक पौधे का प्रतीकात्मक इस्तेमाल किया गया है। जिस तरह पौधा लगाकर उसकी नियमित देखभाल की जाती है। खाद, पानी दिया जाता है तो समय के साथ उसकी ग्रोथ भी होती जाती है और कुछ सालों के बाद उसका रूपांतर बड़े वृक्ष में हो जाता है, रिश्ते भी इस पौधे की तरह ही होते हैं। आपसी मतभेद और झगड़ों को तूल न देकर संयम बरतते हुए एक – दूसरे की भावनाओं, विचारों और का सम्मान किया जाए तो समय के साथ रिश्ता परिपक्व और मजबूत होते चला जाता है। मानवीय संवेदनाओं से भरपूर इस नाटक में इसी बात को शिद्दत से पेश किया गया है। वर्तमान दौर में दरकते रिश्ते, मामूली बातों पर बढ़ते तलाक के मामलों को देखते हुए यह नाटक रिश्तों की मजबूती पर जोर देता है। सुख – दुख, परेशानी में एक – दूसरे का सहारा बनते हुए आपसी रिश्ते और जिंदगी को कैसे खुशगवार बनाया जा सकता है..? यही इस नाटक का असल मैसेज है।
नाटक एक सुखी बुजुर्ग दंपत्ति पर केंद्रित है, जिनका रिश्ता समय के साथ और प्रगाढ़ होता गया है। नाटक का कथानक वर्तमान और फ्लैशबैक में चलता है। जीवन में आने वाले उतार – चढ़ावों का सामना यह दंपत्ति किसतरह मिलकर करते हैं, इसकी बानगी नाटक में बखूबी पेश की गई है। मानवीय संवेदनाओं को झकझोरता यह नाटक कई मौकों पर दर्शकों की आंखें भी नम कर देता है। नाटक में प्रमुख भूमिकाएं मंगेश कदम और लीना भागवत ने निभाई हैं। दोनों के बीच का तालमेल देखते ही बनता है। नाटक में उनका साथ देने वाले अन्य कलाकार थे मुयरेश खोले, अनुष्का गीते और अक्षय भिसे।
प्रदीप मूल्ये का नेपथ्य, विजय गवंडे का संगीत, रवि करमरकर की प्रकाश योजना, सोनाली सावंत की वेशभूषा, विजय सुतार और सागर पेंढारी का ध्वनि संयोजन कथानक का प्रभाव बढ़ाने में सहायक सिद्ध हुआ। रंगभूषा सूरज माने और दुर्गेश शिर्के की थी। नाटक के सूत्रधार थे दिगंबर प्रभु।
सानंद के पांच दर्शक समूहों के लिए इस नाटक के पांच शो मंचित किए गए।