पंचकूला: एनआईए की स्पेशल कोर्ट ने 2007 में हुए समझौता एक्सप्रेस ब्लास्ट केस में स्वामी असीमानंद सहित चारों आरोपियों को बरी कर दिया है। शेष तीन आरोपियो लोकेश शर्मा, कमल चौहान और राजिंदर चौधरीं का कनेक्शन इंदौर जिले से रहा है।
ब्लास्ट में 68 यात्रियों की हुई थी मौत।
18 फरवरी 2007 को पानीपत हरियाणा के दीवाना स्टेशन के समीप दिल्ली से लाहौर जा रही समझौता एक्सप्रेस में ब्लास्ट होने से 67 यात्रियों की मौके पर ही मौत हो गई थी जबकि 1घायल की मौत अस्पताल में इलाज के दौरान हो गई थी। मारे गए यात्रियों में ज्यादातर पाकिस्तानी थे। कई मृतकों की शिनाख्त तक नहीं हो पाई थी।
सूटकेस कवर से जोड़ा था इंदौर का कनेक्शन।
बताया जाता है कि तत्कालीन हरियाणा सरकार ने समझौता ब्लास्ट की जांच के लिए एसआईटी का गठन किया था। चश्मदीदों के बयान के आधार पर पुलिस ने दो संदिग्धों के स्केच जारी किए थे। घटनास्थल से दो सूटकेस बम भी बरामद किए थे। उन्हीं सूटकेस कवर के जरिये हरियाणा पुलिस इंदौर पहुंची थी। उसका दावा था कि उक्त कवर ब्लास्ट से कुछ दिन पहले इंदौर से ही खरीदे गए थे। उसने महू निवासी लोकेश शर्मा और देपालपुर के रहनेवाले कमल चौहान और राजिंदर चौधरी को मामले में संदिग्ध बताते हुए पूछताछ के लिए हिरासत में लिया था। बाद में मालेगांव, मक्का मस्जिद और अन्य स्थानों पर हुए धमाकों की कड़ियां समझौता एक्सप्रेस ब्लास्ट से जुड़े होने की आशंका में 2010 में जांच एनआईए को सौंप दी गई।
एनआईए ने 8 को बनाया था आरोपी।
एनआईए ने समझौता ब्लास्ट मामले में 8 को आरोपी बनाया था। इनमे स्वामी असीमानंद के साथ सुनील जोशी, लोकेश शर्मा, कमल चौहान, राजिंदर चौधरी, रामचंद्र कलसांगरा, संदीप डांगे और अमित शामिल थे। हालांकि एनआईए संदीप डांगे, रामचंद्र कलसांगरा और अमित को पकड़ नहीं पाई। उनका आज भी कोई आता- पता नहीं है जबकि सुनील जोशी की मौत हो चुकी है। शेष चार आरोपियों को एनआईए कोर्ट ने आज { 20 मार्च } को दिए फैसले में रिहा कर दिया।