विजेता प्रतिभागियों दिए जाएंगे आकर्षक पुरस्कार।
इन्दौर : संस्कृति सरंक्षण के प्रयासों के तहत आजी-आजोबा गोष्ट सांगा प्रतियोगिता की प्राथमिक फेरी विभिन्न स्थानों पर सफलतापूर्वक आयोजित की गई। सानंद न्यास के अध्यक्ष श्रीनिवास कुटुंबळे एवं मानद् सचिव जयंत भिसे ने बताया कि प्रतियोगिता का फायनल शनिवार दिनांक 5 नवंबर को स्थानीय जाल सभागृह में शाम 6.30 बजे से होगा। कार्यक्रम का शुभारंभ एवं पुरस्कार वितरण जितेन्द्र दवे, संचालक दवे मसाला प्रा. लि. के आतिथ्य में होगा।
श्री कुटुंबले और भिसे ने बताया कि स्पर्धा का फाइनल 15 प्रतिभागियों के बीच होगा। इनमें रत्ना वाळवेकर, प्रशांत इंदूरकर, मनीषा सुपेकर, अरूणा कोटस्थाने, निशा देशपांडे, छाया पहुरकर, भारती सागोरकर, रसिका मैराळ, भक्ति मुले, शशिधर पेंडसे, डॉ. सुरूचि नाइक, दिलीप नजाण, विद्या धर्माधिकारी,अनिता गोरे और अमृता प्रभाकर शामिल हैं। निर्णायक होंगे लक्ष्मण नवाथे, जयश्री केळापूरे और रश्मि मंडपे।
फायनल में आए प्रतिभागियों का कहानी सुनाने तरीका, हाव-भाव में सुधार हो सके इस हेतु सानंद न्यास की ओर से रेखा देशपांडे, श्रीराम जोग, पंकज वागळे, सुमंगली पोतदार, सीमा देशमुख, कांचन तारे, वैशाली वाईकर, मीनू पोतनीस, मेधा खिरे, मनीषा भागवत, राजन देशमुख, अमोल श्रीखंडे, देवयानी धर्माधिकारी, डॉ. विजय पोतनीस और सुनंदा धुमाळ को मार्गदर्शक (मेंटर) मनोनीत किया गया है। कार्यक्रम में सभी प्राथमिक और सेमीफाइनल राउंड के निर्णायक एवं समन्वयकों का सम्मान भी किया जाएगा। फायनल के प्रथम, द्वितीय, तृतीय विजेताओं को चरित्र अभिनेता वरिष्ठ रंगकर्मी अच्युत पोतदार प्रायोजित ख्यात साहित्यकार स्व. व. पु. काळे व स्व. वसंत पोतदार स्मरणार्थ ‘वसंत
पुरस्कार’ और वामन हरि पेठे ज्वैलर्स की और से ‘सोने की नथ’ भी दी जाएगी।
स्पर्धा संयोजक रेणुका पिंगळे ने बताया कि दादा-दादी द्वारा संस्कारित करने वाली, व्यक्तित्व गढ़ने वाली कहानियां सुनाने की परंपरा कहीं गुम हो गई है। सानंद न्यास ने अपने सामाजिक दायित्व का निर्वाह करते हुए इसी परंपरा को पूर्नजीवित करने के उद्देश्य से आजी-आजोबा की गोष्ट सांगा प्रतियोगिता का आयोजन सानंद न्यास द्वारा बीते कई वर्षों से किया जा रहा है।