इंदौर: गीत- संगीत जैसे इस शहर की साँसों में बसता है। आए दिन संगीत की महफिलें यहां जमती रहती हैं। श्रोताओं को भी इंतजार रहता है कि कब कोई महफ़िल सजे और वे वे उसका लुत्फ उठाएं। रविवार शाम संस्था सुर वंदन ने रवींद्र नाट्य गृह में सुरीले गीतों की महफ़िल सजाई।
‘ ऐ मोहब्बत जिंदाबाद ‘ के नाम से सजाए गए सदाबहार गीतों के इस गुलदस्ते में एक से बढ़कर एक गीत पिरोए गए थे जिन्हें उतनी ही संजीदगी और शिद्धत के साथ कलाकारों ने पेश किया। ज्यादातर एकल व युगल गीत लता दीदी, आशा भोसले और मोहम्मद रफी के गाए हुए थे जो आज भी लोगों के जेहन में रचे- बसे हैं। तारीफ करना होगी ज्योतिराम अय्यर, विवेक वाघोलिकर, प्राजक्ता सातरदेकर और शिफा अंसारी की, जिन्होंने ऐसे कालजयी कलाकारों के गाए गीतों के साथ पूरा न्याय किया। खासकर प्राजक्ता और शिफा जैसी उभरती गायिकाओं ने लता दीदी और आशाजी के गीतों को जिस तैयारी के गाया वो उनके गायकी के प्रति समर्पण को दर्शा रहा था। ज्योतिराम अय्यर और विवेक वाघोलिकर तो स्थापित कलाकार हैं हीं, उन्होंने जो भी गीत पेश किए वो सीधे श्रोताओं के दिल में उतर गए। अन्य कलाकारों में मनीष काबरा, मुकेश बुंदेला, संजय दुबे और मोहन पारवानी ने भी सुरीले अंदाज में अपनी प्रस्तुतियां दी। संगीत संयोजन नितेश भोला का था। गीतों की लड़ियों को गुलदस्ते में पिरोने याने सूत्र संचालन की अहम जिम्मेदारी संजय पटेल ने बखूबी निभाई।
ज्योतिराम अय्यर को सुर वंदन सम्मान।
कार्यक्रम के दौरान नागपुर से आए गायक ज्योतिराम अय्यर को सुर- वंदन सम्मान- 2019 से नवाजा गया। आईसीएआई के वाइस चेयरमैन सीए चर्चिल जैन,संस्था पदाधिकारी राधेश्याम साबू, हेमंत गट्टानी और संजय बाहेती ने श्री अय्यर का शॉल- श्रीफल और मानपत्र भेंट कर सम्मान किया।
ये गीत रहे महफ़िल की जान।
हमने तुझको प्यार किया है इतना, ये दिल तुम बिन कहीं लगता नहीं, उड़े जब- जब जुल्फें तेरी, नजर लागी राजा तोरे बंगले पर, इतना तो याद है मुझे, शीशा ए दिल इतना न उछालो, तुमने पुकारा और हम चले आए, चढ़ गयो पापी बिछुआ, जब रात है ऐसी मतवाली, ऐ मोहब्बत जिंदाबाद।