बिजासन रोड स्थित अखंड धाम आश्रम पर 55वें अ.भा. अखंड वेदांत संत सम्मेलन में संतों के आशीर्वचन।
इंदौर : आज देश में नैतिक मूल्यों का संकट खड़ा हो गया है। जब तक राष्ट्र का चरित्र ऊंचा नहीं उठेगा तब तक सामाजिक और व्यक्तिगत चरित्र भी नहीं बनेंगे। राष्ट्र चरित्र को ऊंचा उठाना आज की पहली जरूरत है। व्यक्ति से ही परिवार, समाज और राष्ट्र का निर्माण होता है। आज वाणी का प्रदूषण भी एक बड़ी समस्या बन गया है। वेदांत संत सम्मेलन जैसे आयोजन समाज और राष्ट्र के लिए हर दृष्टि से प्रासंगिक हैं। धर्म और संस्कृति के संवर्धन के लिए सबको संगठित होने की जरूरत है।
ये दिव्य विचार हैं जगदगुरू शंकराचार्य, भानपुरा पीठाधीश्वर स्वामी ज्ञानानंद तीर्थ के, जो उन्होंने शुक्रवार को बिजासन रोड स्थित अखंड धाम आश्रम पर चल रहे 55वें अ.भा. अखंड वेदांत संत सम्मेलन की धर्मसभा में मुख्य वक्ता के रूप में व्यक्त किए। अंतर्राष्ट्रीय रामस्नेही संप्रदाय के आचार्य जगदगुरू स्वामी रामदयाल महाराज, वृंदावन के महामंडलेश्वर स्वामी जगदीश्वरानंद, काशी के पं. रामेश्वर त्रिपाठी, गोधरा की साध्वी परमानंदा सरस्वती, आष्टा से आई साध्वी कृष्णादेवी, सारंगपुर से आई साध्वी अर्चना दुबे, डाकोर से आए वेदांताचार्य स्वामी देवकीनंदन दास, चौबारा जागीर के स्वामी नारायणानंद आदि ने भी वेदांत एवं आम लोगों के जीवन से जुड़े ज्वलंत विषयों पर अपने प्रभावी विचार व्यक्त किए। शंकराचार्यजी के आगमन पर अखंड धाम के महामंडलेश्वर डॉ. स्वामी चेतन स्वरूप, अध्यक्ष हरि अग्रवाल, महासचिव सचिन सांखला, संयोजक निरंजनसिंह चौहान गुड्डू, भावेश दवे, ठा. विजयसिंह परिहार, संत राजानंद, मोहनलाल सोनी आदि ने वैदिक मंगलाचरण के बीच उनका पाद पूजन किया। अतिथि संतों का स्वागत आदित्य सांखला, रज्जू पंचोली, विनय जैन, दीपक चाचर, किरण ओझा, वर्षा जैन, राजेन्द्र मित्तल, शैलेन्द्र मित्तल आदि ने किया।