भोजपर्व के रूप में 22 से 24 जनवरी तक आयोजित होगा नर्मदा साहित्य मंथन

  
Last Updated:  January 18, 2023 " 02:46 pm"

धार में होने वाले इस साहित्य मंथन में देशभर से साहित्यकार, लेखक, विचारक करेंगे शिरकत।

500 से अधिक हो चुके हैं ऑनलाइन पंजीयन।

राजा भोज के जीवन, कृतित्व, शासन व्यवस्था पर होगा विशेष सत्र।

इंदौर : संस्था विश्व संवाद केंद्र, मालवा के बैनर तले देश के प्रतिष्ठित साहित्योत्सव ‘नर्मदा साहित्य मंथन’ का द्वितीय सौपन भोज पर्व के रूप में मनाया जाएगा। राजा भोज की नगरी धार में 22 से 24 जनवरी 2023 तक आयोजित इस साहित्य मंथन में देश भर के साहित्यकार, लेखक, विचारक और इतिहासकार शिरकत करेंगे।

नर्मदा साहित्य मंथन के संयोजक डॉ. मुकेश मोड और विश्व संवाद केंद्र मालवा के अध्यक्ष दिनेश गुप्ता ने यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि नर्मदा साहित्य मंथन का उद्देश्य सभी साहित्यकारों, लेखकों और विचारकों को एक मंच पर लाकर वर्तमान और भावी पीढ़ी के बीच सेतु की भूमिका निभाना है। तीन दिवसीय इस आयोजन में विभिन्न सत्रों में साहित्यकार, लेखक और विचारक अपने विचार रखेंगे। नई पीढ़ी के साहित्यकार, लेखक और रचनाकार अतिथि वक्ताओं को सुनने के साथ उनसे संवाद भी कर सकेंगे।

डॉ. मोड और श्री गुप्ता ने बताया कि नर्मदा साहित्य मंथन के शुभारंभ के एक दिन पूर्व शाम को प्रदर्शनी का उद्घाटन धार के प्रबुद्धजनों की उपस्थिति में होगा। दिनांक 22 जनवरी को साहित्य संघोष, नर्मदाष्टक और कलश स्थापना के साथ नर्मदा साहित्य मंथन का औपचारिक शुभारंभ होगा। उदघाटन के बाद विभिन्न सत्रों का क्रम शुरू हो जाएगा। रात्रि में विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रम और नाट्य मंचन होंगे।

ये वक्ता, साहित्यकार, लेखक करेंगे शिरकत।

डॉ. मोड ने बताया कि साहित्य मंथन में उत्तराखंड के राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह, राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग के अध्यक्ष हर्ष चौहान, उपन्यास लेखक राजीव रंजन प्रसाद, डॉ. कुसुमलता केडिया, स्वामी सूर्यदेव, पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के पूर्व क्षेत्रीय निदेशक धर्मवीर शर्मा, लेखक प्रशांत पोल, द ऑर्गनाइजर के संपादक प्रफुल्ल केतकर, संविधान विशेषज्ञ डीके दुबे, सांची वि वि की कुलपति डॉ. नीरजा गुप्ता, संगीता वर्मा, बालमुकुंद, शिक्षाविद भगवती प्रकाश, शहीद समरसता मिशन के मोहन नारायण और मप्र साहित्य अकादमी के निदेशक डॉ. विकास दवे सहित अन्य साहित्य से जुड़े प्रबुद्धजन भाग लेंगे।

राजा भोज के कृतित्व पर डाला जाएगा प्रकाश।

आयोजकों के मुताबिक भोजपर्व के तहत राजा भोज के जीवन, कृतित्व, दर्शन, साहित्य, राजस्व, शासन व्यवस्था आदि की जानकारी विशेष सत्र के जरिए प्रतिभागियों को दी जाएगी, ताकि गौरवमयी अतीत से भी वे रूबरू हो सकें।

500 से अधिक हो चुके हैं पंजीयन।

डॉ. मोड और दिनेश गुप्ता ने बताया कि नर्मदा साहित्य मंथन को लेकर साहित्यकार और लेखकों में खासा उत्साह है।अभी तक 500 लोग अपना पंजीयन करा चुके हैं। नर्मदा साहित्य मंथन के बारे में सभी जानकारी narmadasahityamanthan.in पर उपलब्ध है।

इंदौर प्रेस क्लब में प्रेस वार्ता के जरिए दी गई इस जानकारी के दौरान नर्मदा साहित्य मंथन संबंधी पोस्टर का भी विमोचन किया गया है।

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