नई दिल्ली: देश की संसद ने मंगलवार को इतिहास रच दिया। तीन तलाक़ का अभिशाप झेल रही मुस्लिम महिलाओं को आखिरकार इससे मुक्ति मिल गयी। राज्यसभा ने लंबी बहस के बाद तीन तलाक़ बिल पारित कर दिया। बिल के पक्ष में 99 और विरोध में 84 वोट पड़े। टीडीपी, टीआरएस, बीएसपी, एनसीपी के सदस्य सदन में अनुपस्थित रहे जबकि जेडीयू और एआईएडीएमके ने वोटिंग के पूर्व सदन से वॉकआउट कर दिया। विपक्ष द्वारा बिल को सेलेक्ट कमेटी में भेजे जाने का प्रस्ताव भी बहुमत से खारिज हो गया वहीं कांग्रेस के सांसद दिग्विजय सिंह द्वारा लाया गया संशोधन प्रस्ताव भी गिर गया। लोकसभा इसे पहले ही पारित कर चुकी है।
राष्ट्रपति के हस्ताक्षर होते ही लेगा मौजूदा अध्यादेश की जगह।
राज्यसभा में पहले भी 2 बार तीन तलाक़ बिल पेश किया गया था पर बहुमत के अभाव में पारित नहीं हो सका था। इसके चलते सरकार को अध्यादेश लाने पर मजबूर होना पड़ा था लेकिन इस बार मोदी सरकार ने पुख्ता रणनीति के सहारे राज्यसभा में बीजेपी का बहुमत न होने बावजूद यह बिल पारित करवा ही लिया। राष्ट्रपति के हस्ताक्षर होते ही यह बिल मौजूदा अध्यादेश का स्थान ले लेगा।