गुड़ी पड़वा से एक माह तक चलेगा विशेष भूमि सुपोषण व संरक्षण जन अभियान।
तीन साल पूर्व अक्षय कृषि परिवार और तीस से अधिक संस्थाओं ने शुरू किया था यह जन अभियान।
किसानों को जागरूक कर जैविक खेती करने के लिए करेंगे प्रेरित।
इंदौर : देश में कृषि भूमि के घटते कार्बन स्तर और बंजर हो रही जमीन को बचाने के लिए तीन वर्ष पूर्व अक्षय कृषि परिवार और देश के तीस से अधिक सामाजिक संगठनों द्वारा राष्ट्रीय भूमि सुपोषण एवं संरक्षण जन अभियान शुरू किया गया था। इस अभियान को मिली सफलता को देखते हुए आगामी वर्ष प्रतिपदा गुड़ी पड़वा (09अप्रैल) से एक माह का विशेष अभियान चलाया जाएगा। इसके तहत भूमि पूजन कार्यक्रमों के माध्यम से किसानों को एकत्रित करके उन्हें पेस्टीसाइड्स का उपयोग कम करने और जैविक खाद व प्राकृतिक कीटनाशकों का प्रयोग करने को लेकर जागरूक किया जाएगा।
ये जानकारी भूमि सुपोषण एवं संरक्षण जन अभियान के राष्ट्रीय संयोजक नवल रघुवंशी और ग्राम विकास संयोजक महेंद्र पाटीदार ने दी।अखिल भारतीय गायत्री परिवार के जेपी यादव भी इस दौरान मौजूद रहे।
बिगड़ रहा जमीन का जैविक संतुलन।
जन अभियान के आयोजकों के मुताबिक खेती की जमीन का भौतिक, रासायनिक और जैविक संतुलन बिगड़ता जा रहा है। जमीन में बढ़ते प्रदूषण के कारण उर्वरा शक्ति घट रही है। इसका उत्पादन पर भी प्रतिकूल असर दिखने लगा है। भूमि का जैविक कार्बन न्यूनतम जरूरत से बहुत नीचे आ गया है। इसी बात को देखते हुए रसायन मुक्त पारंपरिक खेती को बढ़ावा देने के लिए भूमि सुपोषण एवं संरक्षण जन अभियान शुरू किया गया।
15 प्रदेशों में चल रहा जन अभियान।
रघुवंशी और पाटीदार ने बताया कि बीते तीन वर्षों में यह जन अभियान 15 प्रदेशों के हजारों गांवों तक पहुंच चुका है। हजारों किसान इस अभियान से जुड़कर रसायन मुक्त जैविक खेती को अपना चुके हैं। एक लाख गांवों तक यह अभियान पहुंचाने का लक्ष्य रखा गया है।
मालवा प्रांत में एक हजार गांव चिन्हित।
रघुवंशी और पाटीदार ने बताया कि मालवा प्रांत (इंदौर व उज्जैन संभाग) के एक हजार गांव इस अभियान के लिए चिन्हित किए गए हैं। इनमें से 400 गांवों में काम शुरू हो गया है।
अभियान में ये होंगे कार्यक्रम।
गुड़ी पड़वा से चलाए जाने वाले विशेष अभियान भूमि सुपोषण एवं संरक्षण जन अभियान के दौरान एक माह तक गांव – गांव में भूमि पूजन कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। इस दौरान गौ आधारित कृषि को बढ़ावा देने, संगोष्ठियां,कार्यशालाएं, जागरूकता शिविर, प्रदर्शनियां और भूमि सुपोषण करने वाले कृषकों का सम्मान आदि गतिविधियां संचालित की जाएंगी। नगरीय क्षेत्रों में भी जैविक – अजैविक अपशिष्ट को अलग रखना, जैविक अपशिष्ट से खाद बनाना को लेकर जागरूकता कार्यक्रम चलाए जाएंगे। भूमि सुपोषण व संरक्षण जन अभियान से गौशालाओं, समाजसेवी संस्थाओं, कृषि विश्वविद्यालयों और कृषि विज्ञान केंद्रों को भी जोड़ने का प्रयास किया जा रहा है।