एआई का औजार की तरह इस्तेमाल करें, उसके गुलाम न बनें : न्यायाधिपति बिंदल

  
Last Updated:  September 2, 2024 " 06:02 pm"

इंदौर : सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधिपति राजेश बिंदल ने कहा है कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस में यह ध्यान रखना चाहिए कि यह आर्टिफिशियल ही रहेगा , रियलिटी नहीं हो सकता है।आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस भी अत्याधुनिक तकनीक का ही हिस्सा है। ये सच है कि एआई जैसी तकनीक ने जीवन के हर क्षेत्र में काम की गति को बढ़ाया है, उसे आसान बनाया है पर इससे कई चुनौतियां भी हमारे समक्ष खड़ी हो गई है। एआई से साइबर अपराध को बढ़ावा मिला है। जरूरत इस बात की है कि हम एआई जैसे माध्यमों को महज एक औजार के बतौर इस्तेमाल करें, उसके गुलाम न बनें।
श्री बिंदल अभ्यास मंडल द्वारा आयोजित 63 वी वार्षिक व्याख्यान वाला को संबोधित कर रहे थे । उन्होंने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस अवसर एवं चुनौती विषय पर संबोधित किया । व्याख्यान माला की तीसरी संध्या पर आयोजित इस व्याख्यान में उन्होंने कहा कि अब हमारा समाज और हमारे बच्चे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से ज्यादा जुड़ गए हैं। आज बच्चे अपने पेरेंट्स के साथ नहीं बल्कि वे मोबाइल के साथ ज्यादा होते हैं । अब तो आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के माध्यम से लेक्चर भी बनकर आ रहे हैं। एक बात को ध्यान रखिए की आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस हमेशा आर्टिफिशियल ही होगा, वह कभी भी रियलिटी नहीं हो सकता है। हम जानकारी को एक भाषा से दूसरी भाषा में परिवर्तन करने का काम एआई के माध्यम से करते हैं । तो इसमें बड़ी त्रुटि होती है। अर्थ का अनर्थ हो जाता है। न्यायाधिपति बिंदल ने कहा कि एआई का उपयोग जीवन के हर क्षेत्र में होने लगा है। इससे कामकाज में आसानी हुई है लेकिन इसका बढ़ता दुरुपयोग चिंता का विषय है। डीपफेक वीडियो बनाकर चरित्रहनन और ब्लैकमेल करने के मामले लगातार सामने आ रहे हैं। साइबर अपराधों में एआई का इस्तेमाल हो रहा है। डिजिटल अरेस्ट कर लोगों के साथ ठगी करना इसी का उदाहरण है। हमारी निजता पर इसने सबसे बड़ा हमला किया है। उन्होंने आगाह किया कि सोशल मीडिया पर अपनी निजी जानकारी, फोटो, वीडियो अपलोड करने से बचें। इनका बेजा इस्तेमाल हो सकता है।

न्यायाधिपति बिंदल ने कहा कि हमारे देश में टैलेंट बहुत है । बहुत सारे सॉफ्टवेयर तो हमारे देश में ही बन रहे हैं । दूसरे देशों में तो आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के कारण नौकरी कम होने लगी है लेकिन ऐसा कोई खतरा भारत में आने वाले कुछ साल में नजर नहीं आता है । हम लोगों ने अपने दिमाग का उपयोग करना बंद किया और तकनीक पर निर्भर होते हैं। उन्होंने कहा कि हम तकनीक को औजार के रूप में उपयोग करें लेकिन उसके गुलाम न बनें।

कार्यक्रम के प्रारंभ में स्वागत भाषण महापौर पुष्यमित्र भार्गव ने दिया। कार्यक्रम को पूर्व न्यायाधीश एस एस केमकर, समाज सेवी अशोक बडजात्या ने भी संबोधित किया । कार्यक्रम में न्यायाधीश विजय कुमार शुक्ल, पूर्व न्यायाधीश आइएस श्रीवास्तव सहित बड़ी संख्या में अधिवक्तागण भी मौजूद थे । कार्यक्रम का संचालन अशोक कोठारी ने किया । कार्यक्रम के प्रारंभ में अतिथि स्वागत दीप्ति गौड़, अभिनव धनोतकर, अजिंक्य डगांवकर, श्रुति जैन ने किया । अतिथियों को स्मृति चिन्ह मेडिकैप्स विश्वविद्यालय के कुलपति रमेश मित्तल ने भेंट किए।

Facebook Comments

Related Posts

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *