जयतीर्थ मेवुंडी और केतकी माटेगांवकर ने दी संत तुकाराम, नामदेव, एकनाथ, ज्ञानेश्वर रचित भजनों की प्रस्तुति।
इंदौर : आषाढी एकादशी के उपलक्ष्य में सानंद न्यास के फुलोरा उपक्रम के तहत रविवार शाम देवी अहिल्या विश्वविद्यालय के खंडवा रोड स्थित ऑडिटोरियम में भक्ति संगीत का कार्यक्रम आयोजित किया गया। विदुषी डॉक्टर धनश्री लेले के प्रभावी सूत्र संचालन के साथ शास्त्रीय गायक जयतीर्थ मेवुंडी और
केतकी माटेगावकर ने पंढरपुर के भगवान विट्ठल की भक्ति में संत तुकाराम,संत चोखामेळा, संत नामदेव, संत ज्ञानेश्वर और एकनाथ महाराज के एक से बढ़कर एक अभंग (भजन) प्रस्तुत किए। पूरे समय श्रोता भक्ति की धारा में भीगते हुए अलौकिक आनंद का अनुभव करते रहे।
दरअसल सानंद न्यास, अपने फुलोरा उपक्रम के तहत पंचम निषाद, मुंबई के संयुक्त तत्वावधान में आषाढी एकादशी निमित्त ‘बोलावा विठ्ठल’ कार्यक्रम प्रतिवर्ष आयोजित करता है। इस वर्ष यह कार्यक्रम रविवार को शाम आयोजित किया गया। सानंद न्यास के अध्यक्ष जयंत भिसे एवं मानद सचिव संजीव वावीकर ने बताया कि
कार्यक्रम का शुभारंभ देवी अहिल्या विश्वविद्यालय के कुलगुरू प्रो. राकेश सिंघई ने दीप प्रज्वलित कर किया।
किराणा घराना के शीर्ष गायक पं. जयतीर्थ मेवुंडी भारत रत्न पंडित भीमसेन जोशी के सुशिष्य हैं। वरिष्ठ संगीतज्ञ पराग तथा सुवर्णा माटेगांवकर की सुपुत्री, युवा गायिका एवं अभिनेत्री केतकी माटेगांवकर ने भी गायकी के क्षेत्र में काफी लोकप्रियता हासिल की है।
कार्यक्रम में साथी कलाकार थे तबले पर प्रशांत पाध्ये, पखावज पर सुखद मुंडे, हार्मोनियम-आदित्य ओक, बांसुरी-षडज गोडखिंडी और तालवाद्य पर सूर्यकांत सुर्वे।
अभंग अर्थात भजनों की भक्तिरस से सराबोर इस महफिल का लुत्फ उठाने के लिए सैकड़ों रसिक श्रोता उपस्थित थे।