आनुसूचित जनजातियों के 15 अगस्त 2020 से पूर्व के सभी ऋण शून्य घोषित

  
Last Updated:  November 19, 2020 " 07:00 pm"

इंदौर : मध्यप्रदेश शासन द्वारा प्रदेश में अनुसूचित जनजाति ऋण विमुक्ति अधिनियम 2020 लागू कर दिया गया है। राज्यपाल के आदेशानुसार राजपत्र में सूचना का प्रकाशन भी कर दिया गया है। अनुसूचित जनजाति ऋण विमुक्ति अधिनियम 2020 के अंतर्गत अब 15 अगस्त 2020 से पूर्व के सभी ऐसे ऋण शून्य घोषित हो गए हैं (शासकीय ऋण को छोड़कर) जो किसी से भी लिए गए हों।
अधिनियम में स्पष्ट उल्लेख किया गया है कि ऋण में किसी लेनदार को देय, समस्त दायित्व, जो नकदी में हो, वस्तु रूप में हो, प्रतिभूत हो या अप्रतिभूत हो। जो किसी सिविल न्यायालय की डिग्री या आदेश के अधीन या अन्यथा संज्ञेय हो तथा 15 अगस्त 2020 को अस्तित्व में हो, चाहे वे शोध्य हो गए हो या शोध्य न हुए हो। 15 अगस्त 2020 तक दिया गया प्रत्येक ऋण, जिसमें ब्याज की रकम यदि कोई हो, को भी शामिल किया गया है। जो अनुसूचित क्षेत्र में निवासरत हो, अनूसूचित जनजाति के सदस्य द्वारा किसी लेनदार को देय हो पूर्णतः उन्मोचित (ऋणमुक्त) हो जाएगा।
अधिनियम में यह भी उल्लेख किया गया है कि विनिर्दिष्ट किसी भी ऋणी द्वारा गिरवी रखी गई प्रत्येक संपत्ति ऐसे ऋणी के पक्ष में निर्मुक्त हो जाएगी। वहीं लेनदार इस बात के लिए आबद्ध होगा कि वह उस ऋणी को वह संपत्ति तत्काल वापस कर दें। शासन द्वारा अधिनियम बन जाने के बाद से जिले के अनुसूचित जनजाति क्षेत्रों में वहां के नागरिकों की गिरवी रखी या ऋण को ऋणमुक्त कर दिया गया है। ऐसे नागरिक, जिन्होंने अपनी रकम किसी देनदार के पास रखी हो, तो वे वापस ले सकेंगे। व्यापारी द्वारा नहीं देने की दिशा में संबंधित एसडीएम को इसकी सूचना देकर अपनी सामग्री ले सकते हैं या ऋण देने वाला व्यक्ति राशि या ब्याज के लिए दबाव बना रहा है, तो भी संबंधित एसडीएम को शिकायत कर सकते हैं।

Facebook Comments

Related Posts

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *