अगले साल से इंजीनियरिंग के लिए एक ही प्रवेश परीक्षा

  
Last Updated:  February 11, 2017 " 09:41 am"

नई दिल्ली ।केंद्र सरकार ने 2018 से देश में एक ही इंजीनियरिंग प्रवेश परीक्षा कराने के प्रस्ताव शुक्रवार को मंजूरी दे दी है। मेडिकल में प्रवेश के लिए एकल परीक्षा नीट की भांति अब इंजीनियरिंग के लिए भी एक ही परीक्षा होगी। इसी परीक्षा से देश के साढ़े तीन हजार इंजीनियरिंग कॉलेजों में प्रवेश होंगे। इस परीक्षा की खूबी यह होगी कि सैट की भांति यह साल में दो बार आयोजित की जाएगी और छात्रों के बेस्ट स्कोर को शामिल किया जाएगा।
मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने शुक्रवार को इस बारे में अधिसूचना जारी कर दी है। इसमें एकल परीक्षा के प्रस्ताव को 2018 से लागू करने की मंजूरी देते हुए एआईसीटीई को इसके लिए आवश्यक नियम बनाने को कहा। परीक्षा का खाका तैयार करने के बाद केंद्र सरकार राज्यों से विचार-विमर्श करेगी।

एकल परीक्षा के पीछे सरकार की मुख्य मंशा इंजीनियरिंग शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार करना है। दूसरे, प्रवेश में की जाने वाली गड़बड़ियों को रोकना है, जिसमें कैपिटेशन फीस आदि की वसूली की शिकायतें शामिल हैं। तीसरे, छात्रों को एक से अधिक परीक्षाओं से मुक्ति दिलाना है।

विशेषज्ञ समिति ने दिया था सुझाव
कुछ समय पूर्व एआईसीटीई की विशेषज्ञ समिति ने एक इंजीनियरिंग प्रवेश परीक्षा का सुझाव दिया था। बाद में एआईसीटीई की बोर्ड बैठक में भी इसे मंजूरी प्रदान की गई थी। हिन्दुस्तान ने सबसे पहले सरकार की इस तैयारी की खबर को पिछले साल 26 मई को प्रमुखता से प्रकाशित किया था।

जेईई मेन में भी हो सकता है संशोधन
एआईसीटीई के अनुसार जेईई मेन परीक्षा को भी थोड़ा संशोधित करके इंजीनियरिंग एकल प्रवेश परीक्षा बनाया जा सकता है। इसमें औसतन 12 लाख छात्र बैठते हैं। एकल परीक्षा बनने से यह संख्या करीब 15 लाख तक पहुंचने की उम्मीद है। इस पर अभी चर्चा होनी है। हालांकि, आईआईटी के लिए पहले की भांति अलग परीक्षा जारी रहेगी।

साल दो बार होगी परीक्षा
एआईसीटीई के चेयरमैन डॉ. अनिल सहस्रबुद्धे ने कहा कि एकल परीक्षा की खूबी यह होगी कि वह कम से कम साल में दो बार आयोजित की जाएगी। छात्रों को उसमें बैठने का मौका मिलेगा और बेस्ट स्कोर को शामिल किया जाएगा। मूलत : सैट के पैटर्न पर यह परीक्षा आयोजित होगी। उन्होंने कहा कि मंत्रालय की हरी झंडी मिल चुकी है और अब एआईसीटीई परीक्षा का खाका तैयार करेगा।

फैसले का असर
– 17 लाख सीटें देशभर में इंजीनियरिंग के विभिन्न पाठ्यक्रमों में
– 9 लाख छात्र लेते प्रवेश, आठ लाख सीटें रह जाती हैं खाली
– 3500 कॉलेज इंजीनिरिंग की पढ़ाई कराते, आईआईटी अलग
परीक्षाओं का जंजाल
– 24 से अधिक परीक्षाएं देशभर में इंजीनियरिंग कॉलेजों के लिए होते
– बीएचयू, एएमयू, जैसे संस्थान अपने स्तर पर कराते हैं परीक्षाएं
– आईआईटी में प्रवेश के लिए जेईई एडवांस उत्तीर्ण करना जरूरी
एकल परीक्षा के फायदे
– छात्रों का कई परीक्षाओं से मुक्ति मिलेगी, फार्म भरने में आने वाला खर्च भी बचेगा।
– प्रबंधन कोटा में कैपिटेशन फीस से निजात मिलेगी, जिसमें अकसर कॉलेज मनमानी करते हैं।
-राष्ट्रीय स्तर पर होने वाले परीक्षा से सबसे योग्य उम्मीदवारों का चयन हो सकेगा।

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