अदालत की हवालात से मुलजिम को भगाने वाले आरक्षक को एक वर्ष का सश्रम कारावास

  
Last Updated:  March 3, 2023 " 07:27 pm"

इंदौर : जेल से न्यायालय के समक्ष पेश करने के लिए लेकर गये मुल्जिम को भगाने वाले पुलिस आरक्षक को 1 वर्ष के सश्रम कारावास से दंडित किया गया है।

जिला लोक अभियोजन अधिकारी संजीव श्रीवास्तव, ने बताया कि न्यायालय- ऋचा बठेजा, न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी, जिला इंदौर ने थाना एम.जी.रोड़, जिला इंदौर के अपराध क्रमांक 400/2009 आपराधिक प्रकरण क्रमांक 4305367/2010 में निर्णय पारित करते हुए आरोपी तुकाराम पिता श्रीराम कुमावत आयु 53 वर्ष, निवासी – डी-1-9-1, डी.आर.पी.लाइन, जिला इंदौर को धारा 225ए भा.दं.सं. में 01 वर्ष का सश्रम कारावास तथा कुल 2000/- रुपये के अर्थदण्ड से दण्डित किया है। प्रकरण में अभियोजन की ओर से पैरवी सहायक जिला लोक अभियोजन अधिकारी सुनील जाट द्वारा की गई।

अभियोजन का मामला संक्षेप में यह है कि आरक्षी केंद्र एम.जी. रोड़, इंदौर में पुलिस उप-निरीक्षक के पद पर पदस्थ होते हुए दिनांक 11.09.2009 को जाफ्ता प्रभारी उप-निरीक्षक जी.एस.चौहान मय हमराही फोर्स के डी.आर.पी. लाइन से रवाना होकर जिला जेल पहुंचे जहां से 79 पुरूष बंदी व 04 महिला बंदी प्राप्त किए थे। न्यायालय में पेशी के दौरान पुरूष बंदी 79 को जिला न्यायालय की हवालात में बंद कर दिया व चाबी आरक्षक चंचलसिंह 989 के सुपुर्द की गई। प्रधान आरक्षक शाहवरदान 690 द्वारा कोर्ट रूम क्रमांक 15 ए.डी.जे. सुरेशसिंह की अदालत से चपरासी द्वारा आरोपी मनोज पिता बच्चुसिंह का वारंट प्राप्त हुआ था, इस हेतु आरक्षक तुकाराम 234 डी.आर.पी. लाइन द्वारा हवालात से बंदी मनोज को निकालकर कोर्ट रूम क्रमांक 15 में पेश करने हेतु आरक्षक 1535 का नंबर लिखवाकर ले गया था। आरक्षक तुकाराम 234 मय मुल्जिम मनोज के साथ गायब हो गया। तुकाराम उसके शासकीय क्वाटर से भी गायब पाया गया। इस संबंध में आरक्षक भरतसिंह 1535 से पूछने पर बताया कि उसकी सेंट्रल जेल के बंदियों को पेश करने हेतु ड्युटी लगायी गयी थी। तुकाराम ने शाहवरदान को मेरा नाम गलत नोट कराया है। वह अकेले ही मुल्जिम मनोज को हथकड़ी लगाकर कोर्ट रूम में पेश करने गया था। तुकाराम ने मुल्जिम मनोज को वापस हवालात में जमा नहीं किया, जिसकी तस्दीक उप-निरीक्षक जी.एस. चौहान, जाफ्ता प्रभारी द्वारा की गयी थी। अभियोगी की रिपोर्ट के आधार पर अभियुक्त के विरुद्ध अपराध क्रमांक – 400/2009, अंतर्गत धारा – 225ए भारतीय दंड संहिता के अंतर्गत प्रथम सूचना रिपोर्ट लेखबद्ध की गई एवं विवेचना उपरांत अभियोग-पत्र न्यायालय में दिनांक 11.03.2010 को प्रस्तुत किया गया। जिस पर से आरोपी को उक्त सजा सुनाई गई।

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