*छत्रपति शिवाजी महाराज का 348 वा राज्याभिषेक दिवस।
सौ. शोभा कुटुंबले स्मृति व्याख्यान माला का पांचवा पुष्प।
इंदौर : मात्र 15 वर्ष की उम्र में छत्रपति शिवाजी ने सैनिकों को एकत्रित कर मुगलों से लोहा लेना शुरू कर दिया था। उन्होंने दो किले कोहिड़ा और कोंडाना जीत भी लिए थे। संसाधनों की कमी के चलते सीधी लड़ाई लड़ने की बजाय वे दुश्मन को घेरकर मारते थे।वे सैन्य परम्परा के शिरोमणि थे।
ये विचार रिटायर्ड मेजर जनरल शशिकांत पित्रे ने व्यक्त किए।वे छत्रपति शिवाजी महाराज के 348,वे राज्याभिषेक दिवस पर सुशीला मंच द्वारा आयोजित व्याख्यान में मुख्य वक्ता के बतौर बोल रहे थे। विषय था छत्रपति शिवाजी महाराज का अलौकिक रण कौशल्य। अध्यक्षता वरिष्ठ पत्रकार कृष्ण कुमार अष्ठाना ने की।
अपने 1 घंटे के पावर प्वाइंट प्रेजेंटेशन में श्री पित्रे ने छत्रपति शिवाजी महाराज के आदिल शाही और मुगल सल्तनत के खिलाफ ताउम्र लड़े युद्ध को विस्तार से रेखांकित करते हुए कहा की शिवाजी महाराज बहुत वीर,साहसी ही नही बहुत चालाक भी थे। उनकी युद्ध नीति अद्भुत थी। यही कारण है कि उन्होंने आदिलशाह पर हमला किया।अफजल खां का वध किया और कई किले जीते। शिवाजी महाराज के पास दूरदृष्टि थी। उनका सैन्य अनुशासन गजब था।
अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में अष्ठाना ने कहा कि छत्रपति शिवाजी ने बाल उम्र में ही चातुर्य दिखाना शुरू कर दिया था। उन्होंने अपने सैन्य कौशल का परिचय देते हुए आदिलशाही को घुटने टेकने के लिए मजबूर कर दिया था। ऐसा साहसी व्यक्तित्व इतिहास में देखने को नही मिलता है।
स्वागत उद्बोधन देते हुए कार्यक्रम संयोजक श्रीनिवास कुटुंबले ने कहा कि युगप्रवर्तक शिवाजी महाराज का जीवन चरित्र इतिहास में विलक्षण, अद्भुत और चमत्कारी व्यक्तित्व के रूप में छाया हुआ है। उन्होंने अपने साथियों को साथ लेकर विदेशी आक्रांताओं का सामना किया। अपने प्रजा जनों में एक अपूर्व विश्वास और स्वाभिमान जाग्रत किया। इस महापुरुष के जीवन का अध्ययन हमारे युवाओ में नया उत्साह और साहस की प्रेरणा दे सकता है।
प्रारंभ में अतिथि परिचय मिलिंद दांडेकर ने दिया। अतिथि स्वागत अरविंद केतकर और सुधीर ताम्हने ने किया। कार्यक्रम का संचालन डॉ. माया इंगले ने किया। अंत में आभार आशुतोष कुटुंबले ने माना। कार्यक्रम में श्रोताओं द्वारा पूछे गए प्रश्नों के संतोषजनक जवाब भी मेजर जनरल पित्रे ने दिए।
कार्यक्रम में पूर्व लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन,पूर्व राज्यपाल वी एस कोकजे, मुकुंद कुलकर्णी, इंजीनियर मुकेश चौहान,डॉ. मोहन बांडे, दिलीप भालेराव, प्रफुल्ल कस्तूरे, दिनेश गुप्ता,नेताजी मोहिते, प्रवीण आमनापुरकर,आकांक्षा कुटुंबले, जया शर्मा, दिनेश गुप्ता,प्रवीण जोशी, अशोक पाटनकर,सुधाकर काले,संजू राजवाड़े,अश्विन खरे सहित बड़ी संख्या में श्रोता उपस्थित थे।