अनूठे नृत्य – नाट्यविष्कार ‘मधुरव : बोरू ते ब्लॉग’ के जरिए मराठी भाषा की समृद्ध विरासत से रूबरू हुए दर्शक – श्रोता

  
Last Updated:  March 3, 2025 " 12:12 am"

इंदौर : मराठी भाषा का इतिहास लगभग 02 हजार साल पुराना है। संस्कृत और प्राकृत भाषाओं से मराठी का विकास हुआ। समय के साथ विकसित होते हुए यह जनमानस की भाषा बनीं। साहित्य और संस्कृति से बेहद समृद्ध मराठी भाषा का पहला ग्रंथ संत ज्ञानेश्वर ने लिखा बताया जाता है। बाद में संत तुकाराम सहित अन्य संत – महात्माओं ने इस परंपरा को आगे बढ़ाया। 18 वी और 19 वी शताब्दी में मराठी का फैलाव तेजी से हुआ। कवि, लेखक, विचारक और प्रबुद्धजनों ने अपने लेखन के जरिए मराठी साहित्य और ज्ञान परंपरा में अभिवृद्धि की और इसे जन – जन तक पहुंचाया। वर्तमान में देश – विदेश में आठ करोड़ से अधिक लोगों द्वारा बोली, समझी और पढ़ी जाने वाली मराठी, देश की प्रमुख भाषाओं में से एक है। हाल ही में मराठी को अभिजात भाषा का दर्जा भी हासिल हुआ है।

मराठी के ख्यात साहित्यकार और कवि विष्णु वामन शिरवाडकर, जिन्हें कुसुमाग्रज के नाम से जाना – पहचाना जाता है, की जयंती पर 27 फरवरी को मराठी गौरव दिवस मनाया जाता है। इसी उपलक्ष्य में संस्था सानंद न्यास ने खंडवा रोड स्थित देवी अहिल्या विवि के सभागृह में रविवार (02 मार्च)को एक अनूठा कार्यक्रम ‘मधुरव: बोरू ते ब्लॉग’ की प्रस्तुति दी गई। इस कार्यक्रम की खासियत ये रही की इसमें मराठी भाषा के उद्भव, उसके अस्तित्व का संघर्ष, समय के साथ साहित्य और सांस्कृतिक रूप से हुआ विकास और आम लोगों की भाषा बनने तक का दो हजार वर्षों का सफर नृत्य, नाट्य, कथा, कीर्तन, कविता, अभंग, गीत और संवाद के जरिए दर्शक – श्रोताओं के समक्ष पेश किया गया। मराठी भाषियों को उन्हीं की मातृभाषा की समृद्ध विरासत और अनछुए पहलुओं से रूबरू कराने वाले इस कार्यक्रम की संकल्पना, निर्माण और निर्देशन अभिनेत्री मधुरा वेलणकर साटम का था। उन्होंने इस कार्यक्रम में अभिनय भी किया। कार्यक्रम की स्क्रिप्ट समीरा गुजर ने लिखी है।आशीष व आकांक्षा गाढ़े ने कार्यक्रम में सहयोगी कलाकार की भूमिका निभाई। प्रकाश योजना – शीतल तलपदे, नेपथ्य – प्रदीप पाटिल और संगीत – श्रीनाथ म्हात्रे का था। इस नृत्य नाट्य अविष्कार के अनुरूप वेशभूषा चयन की जिम्मेदारी श्वेता बापट और अंकिता जठार ने निभाई।कार्यक्रम के व्यवस्थापन का भार अमित सुर्वे ने उठाया। बड़ी संख्या में दर्शक – श्रोताओं ने इस कार्यक्रम को देखा, सुना और सराहा। प्रारंभ में समाजसेवी वैशाली वाईकर और मराठी साहित्य अकादमी के निदेशक संतोष गोडबोले ने दीप प्रज्ज्वलित किया। अतिथि और कलाकारों का स्वागत सानंद न्यास के अध्यक्ष जयंत भिसे व मानद सचिव संजीव वाविकर ने किया।संचालन सानंद मित्र वृष्टि संत और पूर्वी केलकर ने किया। अंत में आभार जयंत भिसे ने माना। कार्यक्रम के आयोजन में मप्र मराठी साहित्य अकादमी और मप्र संस्कृति परिषद भोपाल की भी सहभागिता रही।

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