जिम में होने वाली मौतें- कारण और उपाय पर वैज्ञानिक सत्र का आयोजन।
इंदौर : बीते दिनों में ऐसी कई घटनाएं सामने आई जब जिम में एक्सरसाइज करते हुए लोगों को अटैक आया और वे चल बसे।इनमें कई सेलिब्रिटीज का भी समावेश था। इसतरह के लगातार सामने आ रहे मामलों ने चिकित्सकों को भी हैरत में डाल रखा है। आखिर इसकी वजह क्या हो सकती है..? इसपर कई शोध व अध्ययन भी चल रहे हैं। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन की इंदौर इकाई ने इस दिशा में पहल करते हुए ‘जिम में होने वाली मौतें कारण और उपाय’ विषय पर एक वैज्ञानिक सत्र का आयोजन किया। सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल के सभागार में रखे गए इस वैज्ञानिक सत्र को ख्यात कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. एके पंचोलिया ने संबोधित किया।
डॉ. पंचौलिया ने कहा, हर शरीर भिन्न है। शरीर की आवश्यकता तथा व्यायाम का मानस भी अलग है। ऐसे में व्यायाम की क्षमता भी सबकी अलग – अलग होती है। उन्होंने कहा कि जिम में किए जाने वाले व्यायाम को तीन श्रेणियों में बांटा जा सकता है। नरम और सीमित (Mild), मध्यम (Moderate) और कठिन व श्रमसाध्य (Strenous & Vigourous) व्यायाम करने के पूर्व रिस्क फैक्टर की अनिवार्य रूप से जांच कर ली जानी चाहिए और उसके अनुसार ही शरीर की क्षमतानुसार व्यायाम करना चाहिए ताकि शरीर स्वस्थ्य रहे और हार्ट पर कोई अतिरिक्त दबाव भी न आए।
व्यायाम को लेकर प्रतिस्पर्धा न करें।
डॉ. पंचोलिया ने कहा कि व्यायामशाला की ट्रेड मिल मशीन के विरुद्ध या अपने साथी द्वारा किए जाने वाली व्यायाम शैली से प्रतियोगिता ना करते हुए खुद की आवश्यकता अनुसार ही व्यायाम करना चाहिए।
परेशानी महसूस होते ही रोक दें व्यायाम।
उन्होंने कहा कि प्रति सप्ताह 150 मिनट्स का व्यायाम लाभकारी है। हालांकि चक्कर, सीने में दर्द या साँस लेने में परेशानी होने पर व्यायाम तुरंत रोक देना चाहिए।
45 वर्ष की उम्र के बाद मेडिकल जांच करवाकर ही व्यायाम करें।
डा. पंचोलिया ने टारगेट हार्ट रेट और टॉक-सिंगिंग टेस्ट के बारे में भी विस्तृत जानकारी दी।उन्होंने कहा कि पुरुषों को 45 तथा महिला को 55 वर्ष की सीमा में आने पर व्यायाम के पूर्व मैडिकल जांच अवश्य करा लेनी चाहिए। इससे आकस्मिक व असामयिक होनेवाली मौतों से बचा जा सकता है।
डॉ. सीपी कोठारी ने सवाल उठाया कि आज के युवा 6 पैक ऐब्स प्राप्त करने के लिए भोजन और व्यायाम में अपने आप को चैलेंज क्यों करते हैं..? ये अस्वीकार्य है। शरीर को वसा की सुरक्षा परत की भी आवश्यकता होती है।इसे ध्यान में रखा जाना चाहिए।
ट्रेनर्स को देना चाहिए सीपीआर का प्रशिक्षण।
डॉक्टर एडी भटनागर ने आधुनिक व्यायाम शाला में ट्रेनर्स को सीपीआर का प्रशिक्षण देने पर जोर दिया। उन्होंने जिम में प्राण रक्षक AED (defibrillator) रखे जाने की भी बात कही, जिस पर इंडियन मेडिकल एसोसिएशन, इंदौर के अध्यक्ष डॉ अनिल भदौरिया ने सीपीआर की ट्रेनिंग के संबंध में संस्था द्वारा किए जा रहे प्रयासों की जानकारी दी। डॉ. भदौरिया ने भरोसा दिलाया कि आधुनिक व्यायामशाला के प्रशिक्षकों को भी सीपीआर से प्रशिक्षित करने के प्रयास किए जाएंगे।
डॉक्टर संग्राम सिंह ने इंदौर के नागरिकों से आग्रह किया कि वह अपने शरीर को स्वस्थ्य रखने के लिए व्यायाम का समावेश अपनी जीवन शैली में अनिवार्य रूप से करें पर सावधानी भी बरतें।
जिम में होनेवाली मौतों का कोरोना वैक्सीन से लेना- देना नहीं।
डॉक्टर मुकेश बिरला ने बताया कि व्यायामशाला में होने वाली मौतों और कोरोना के वैक्सीन का आपसी कोई संबंध नहीं है। हर व्यक्ति को अपनी जीवन शैली में पैदल चलने/ दौड़ने/ साइकिल चलाने/ तैरने जैसे व्यायाम अनिवार्य रूप से करना चाहिए ताकि वे स्वस्थ रह सकें।
डॉ. निशांत खरे का सम्मान।
चिकित्सकों के इस कार्यकम में मध्यप्रदेश युवा आयोग के नवनियुक्त अध्यक्ष डॉ. निशांत खरे का सम्मान किया गया, वहीं आई एम ए 23-24 टीम द्वारा प्रकाशित प्रथम बुलेटिन का विमोचन भी किया गया।