मरीजों की बढ़ती संख्या को देखते हुए जरूरी है नए अस्पताल।
एम वाय अस्पताल का बोझ कम करने इंदौर के जिला अस्पताल को शीघ्र प्रारंभ किया जाए।
मेडिकल कॉलेज और उससे संबद्ध अस्पतालों को प्रशासन की दखलंदाजी से रखें मुक्त।
मेडिकल टीचर्स एसो. और अन्य चिकित्सा संगठनों ने की मांग।
तीन फरवरी को चिकित्सा सेवा यात्रा के इंदौर आगमन पर पदयात्रा के साथ आयोजित होगी आमसभा।
इंदौर: चिकित्सा बचाओ,चिकित्सक बचाओ के नारे के साथ प्रदेश में निकाली जा रही चिकित्सा सेवा यात्रा आगामी 3 फरवरी को इंदौर आ रही है। प्रदेश के सरकारी अस्पतालों में चिकित्सा सुविधाओं के विकास और चिकित्सकों के लिए अनुकूल माहौल की मांग को लेकर निकाली जा रही इस रैली का इंदौर आगमन पर मेडिकल टीचर्स एसो. इंडियन मेडिकल टीचर्स एसो. नर्सिंग ऑफिसर्स एसो., नर्सिंग एसो. तृतीय वर्ग कर्मचारी संघ, अजाक्स, राज्य कर्मचारी संघ, अपाक्स कर्मचारी संघ, फार्मासिस्ट एसो. लघु वेतन कर्मचारी संघ सहित कई संगठन भव्य स्वागत करेंगे।
एमजीएम मेडिकल टीचर्स एसो. के अध्यक्ष डॉ. अरविंद घनघोरिया, सचिव डॉ. अशोक ठाकुर ने यह जानकारी दी। आईएमए, इंदौर के पूर्व अध्यक्ष डॉ. सुमित शुक्ला और अन्य वरिष्ठ चिकित्सक भी इस दौरान मौजूद रहे।
उन्होंने बताया कि तीन फरवरी को रैली का स्वागत करने के बाद सुपर स्पेशलिटी अस्पताल से केईएम स्कूल तक पदयात्रा निकाली जाएगी। पदयात्रा के समापन पर आमसभा होगी, जिसमें चिकित्सा क्षेत्र के उन्नयन, विकास और डॉक्टर्स के लिए काम को लेकर अनुकूल माहौल बनाने की मांग की जाएगी। इस सिलसिले में सोमवार को एम वाय अस्पताल के सभाकक्ष बैठक बुलाकर रैली के स्वागत सहित शासन के समक्ष रखे जाने वाले सभी मुद्दों पर चर्चा की गई।
चिकित्सा सुविधाओं के विस्तार और उन्नयन की महती जरूरत।
इस मौके पर अवर लाइव इंडिया. कॉम से चर्चा करते हुए मेडिकल टीचर्स एसो. के अध्यक्ष डॉ. अरविंद घनघोरिया ने बताया कि चिकित्सा व्यवस्थाओं पर प्रदेश सरकार का ध्यान नहीं है। जिला अस्पतालों को पंगु बना दिया गया है। छोटी – छोटी जांचों के लिए मरीजों को भटकना पड़ता है। सरकार को चाहिए कि जिला अस्पतालों को साधन संपन्न बनाएं , डॉक्टर्स पर दबाव बनाने से कुछ हासिल नहीं होगा। उन्होंने कहा कि एमवाय अस्पताल पर इंदौर के साथ आसपास के जिलों के मरीजों का भी बोझ है। करीब 65 साल पहले 4 से 5 लाख की जनसंख्या के लिए बना एम वाय अस्पताल आज 40 लाख की जनसंख्या वाले शहर को सेवाएं दे रहा है। जनसंख्या के अनुपात में मरीजों की तादाद कई गुना बढ़ गई पर सरकारी अस्पतालों की संख्या नहीं बढ़ी। आज एमवायएच जैसे 5 और अस्पतालों की जरूरत है। दुर्भाग्य है की प्रदेश की सरकारों ने अस्पतालों की संख्या बढ़ाने और संसाधन व सुविधाएं जुटाने पर ध्यान नहीं दिया। एम वाय अस्पताल में भी कई तरह की जांच नहीं हो पाती, ऐसे में मरीजों को मजबूरन बाहर से जांच करवाने के लिए कहना पड़ता है। सिटी स्कैन व एमआरआई जैसी जांचें पीपीपी मोड पर दे रखी हैं। जितना पैसा उस पर अबतक खर्च हो चुका है, उससे कम में सरकार, अस्पताल में खुद मशीन खरीदकर दे सकती थी। असल में अस्पतालों की संख्या बढ़ाने के साथ वर्तमान में संचालित अस्पतालों के विस्तार और उन्नयन की सख्त जरूरत है।
सुपर स्पेशलिटी का किया जा सकता है उपयोग।
डॉ. घनघोरिया ने इस बात से सहमति जताई की एम वाय अस्पताल पर मरीजों के भारी बोझ को देखते हुए इमरजेंसी सेवाओं के लिए सुपर स्पेशलिटी अस्पताल का उपयोग किया जाना चाहिए। इस बारे में मेडिकल कॉलेज के डीन को ज्यादा अधिकार मिलना चाहिए ताकि वे जरूरी होने पर तत्काल निर्णय ले सकें।
जिला अस्पताल को जल्दी शुरू करें सरकार।
एमजीएम मेडिकल टीचर्स एसो. के सचिव डॉ. अशोक ठाकुर का कहना था कि जिला अस्पतालों और सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों को सक्षम और साधन संपन्न बनाया जाना चाहिए। इंदौर का जिला अस्पताल बीते पांच साल में भी बन कर तैयार नहीं हो पाया है। सरकार को चाहिए कि उसे जल्द शुरू करवाने के साथ मरीजों की जांच व उपचार के लिए जरुरी तमाम संसाधन मुहैया करवाएं। लोगों को जिला अस्पताल में ही समुचित इलाज मिलने लगेगा तो एम वाय अस्पताल पर मरीजों के बढ़ते बोझ में कमी आएगी।इससे इलाज की गुणवत्ता में भी इजाफा होगा। उन्होंने कहा कि जिलों में सीएमएचओ की पूर्णकालिक नियुक्ति हो। अभी अधिकांश जिलों में कार्यवाहक सीएमएचओ काम कर रहे हैं।चिकित्सा शिक्षा और स्वास्थ्य विभाग में समन्वय स्थापित करने, मेडिकल कॉलेज के डीन, अस्पतालों के अधीक्षक और सीएमएचओ को अधिकार संपन्न बनाने और उन्हें प्रशासन के दबाव से मुक्त रखने पर भी डॉ. ठाकुर ने जोर दिया।
चिकित्सकीय पेशे से जुड़े लोगों की ही हो प्रशासकीय पदों पर नियुक्ति।
डॉ. अशोक ठाकुर के मुताबिक मेडिकल कॉलेज से जुड़े अस्पतालों की प्रशासकीय व्यवस्थाएं आम प्रशासनिक कामकाज से अलग होती हैं। ऐसे में अस्पतालों में प्रशासकीय पदों पर भी ऐसे ही लोगों की नियुक्ति की जानी चाहिए जो चिकित्सकीय पेशे से जुड़े हों और उसका अनुभव रखते हों। इससे अस्पतालों की व्यवस्थाएं भी सुचारू चलेंगी और डॉक्टर्स भी तनाव मुक्त होकर मरीजों की सेवा कर पाएंगे।
डॉ. घनघोरिया और डॉ. ठाकुर ने बताया कि चिकित्सा सेवा यात्रा के समापन पर चिकित्सा सेवाओं की तमाम कमियों, खूबियों और जरूरतों को लेकर विस्तृत रिपोर्ट बनाई जाएगी। यह रिपोर्ट प्रदेश सरकार को प्रेषित की जाएगी ताकि उसका अध्ययन कर सरकार चिकित्सा सेवाओं में सुधार के लिए कारगर कदम उठा सकें।