दोनों सेनाओं के योद्धाओं ने एक – दूसरे पर जमकर चलाए हिंगोट रूपी अग्निबाण।
कई योद्धा हुए घायल।
इंदौर : दीपावली के चौथे याने गोवर्धन पूजा वाले दिन बुधवार को इंदौर जिले के ग्राम गौतमपुरा में परंपरागत हिंगोट युद्ध खेला गया। कोरोनाकाल के दो साल के बाद हुए इस रोमांचक युद्ध को देखने ग्रामीणों के साथ शहर से भी बड़ी संख्या में लोग पहुंचे थे।
गौतमपुरा अौर रूणजी गांव की कलंगी अौर तुर्रा सेनाओं के बीच अामने-सामने यह युद्ध लड़ा गया।
एक – दूसरे पर जमकर बरसाए अग्निबाण (हिंगोट)
बुधवार शाम कलंगी और तुर्रा योद्धा झोले में हिंगोट रूपी अग्निबाण और हाथ में ढाल लेकर युद्ध के मैदान में डट गए। गांव के देवनारायण मंदिर में दर्शन के बाद दोनों सेनाओं के योद्धाओं ने एक – दूसरे पर हिंगोट रूपी अग्निबाण बरसाना शुरू कर दिया। दोनों ओर से चल रहे हिंगोट रोमांचक दृश्य उपस्थित कर रहे थे। कई बार निशाना चुके हिंगोट दर्शक दीर्घा में भी पहुंच गए, हालांकि दर्शकों की सुरक्षा के लिए मैदान के चारों ओर जालियां लगा दी गई थी। जलते हिंगोट जानलेवा साबित न हो, इसलिए ज्यादातर योद्धा सिर पर साफा पहने हुए थे। यह युद्ध करीब एक घंटे तक चला। दोनों तरफ के कई योद्धा इस युद्ध में घायल भी हुए जिनका मौके पर मौजूद डॉक्टरों ने त्वरित उपचार किया। किसी के गंभीर रूप से घायल होने की खबर नहीं मिली। करीब एक घंटे तक चले इस रोमांचक युद्ध के बाद कलंगी और तुर्रा योद्धा एक – दूसरे के गले मिले। यह युद्ध परंपरा के निर्वाह के लिए लड़ा गया।इसमें किसी की हार नहीं हुई।
कई दिनों से चल रही थी तैयारी।
दोनो गांवों में युद्ध की तैयारी बीते कई दिनों से चल रही थी। ग्रामीणों ने बताया कि हिंगोट एक तरह का फल होता है।इसका बाहरी आवरण कड़क होता है। पेड़ के फल का अावरण कड़क होता है। इसके अंदर का गुदा निकालकर उसमें बारुद भरा जाता है अौर बत्ती लगाकर लकड़ी के जरिए पैकिंग की जाती है। अाग लगते ही यह हिंगोट रॉकेट की तरह छूटते हैं। इस परंपरा को लेकर ग्रामीणों में इतना जबर्दस्त क्रेज है कि दूर दूर से लोग इसे देखने आते हैं। प्रशासन ने इसे कई बार रोकने का प्रयास किया पर ग्रामीणों के विरोध के चलते उसे अपने कदम वापस खींचने पड़े।