इंदौर : आरई-2 का निर्माण नगर निगम के साथ इंदौर विकास प्राधिकरण द्वारा भी किया जा रहा है। पिछले दिनों कतिपय जमीन मालिकों ने आरोप लगाए कि आरई-2 का अलाइनमेंट कुछ लोगों को फायदा पहुंचाने के लिए बदल दिया गया। इंदौर हाईकोर्ट में भी कई याचिकाएं इसको लेकर दायर की गई। आरई-2 के साथ-साथ एमआर-9 और एमआर-10 को लेकर भी ये याचिकाएं चल रही हैं,इसके चलते हाईकोर्ट के आदेश पर नगर निगम ने आरई-2 का फिर से अलाइनमेंट किया है, जिसकी रिपोर्ट वह जल्द ही हाईकोर्ट में प्रस्तुत करेगा, जिसके चलते हाईकोर्ट ने रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए समय देते हुए सुनवाई की तारीख आगे बढ़ा दी।
पिछले दिनों मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने भी यह घोषणा कर दी थी कि सडक़ निर्माण के लिए बेटरमेंट टैक्स की राशि नहीं ली जाएगी। हालांकि इस निर्णय से नगर निगम की परेशानी बढ़ गई क्योंकि बिना बेटरमेंट राशि के सडक़ निर्माण कैसे किया जाएगा यह बड़ा सवाल है।इसके लिए फंड की कोई व्यवस्था नहीं है। इतना ही नहीं, निगम ने जो निर्णय लिया वह कैबिनेट की मंजूरी के आधार पर ही लिया।
दरअसल आरई-2 का एक हिस्सा प्राधिकरण ने बनाया है। शेष निर्माण नगर निगम द्वारा किया जा रहा है। पिछले दिनों भी हाईकोर्ट के निर्देश पर निगमायुक्त प्रतिभा पाल ने आरई-2 का दौरा किया था और जमीन मालिकों से भी उनकी आपत्तियां जानी थी।
पिछले दिनों आरई-2 में 500 से अधिक बाधित मकानों को भी नगर निगम ने हटाया था। इन्हें भूरी टेकरी पर प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत बने पक्के मकान आवंटितकिए गए।
आर ई – 2 का साढ़े 4 किलोमीटर का हिस्सा निगम बना रहा है, जिस पर 42 करोड़ रुपए की राशि खर्च होना है। पहले चरण में 24 मीटर सीमेंट कांक्रीट पर ही 33 करोड़ खर्च होंगे। योजना 140 में 700 मीटर का हिस्सा प्राधिकरण ने बना दिया है। वहीं भिचौली से कनाडिय़ा की 1.7 किलोमीटर की सडक़ भी प्राधिकरण ही बना रहा है। जमीन मालिकों की ये आपत्ति थी कि कुछ खास लोगों को फायदा पहुंचाने के लिए नगर तथा ग्राम निवेश ने भी रोड का अलाइनमेंट बदल दिया और पूर्व में जहां से रोड जा रही थी वहां पर अभिन्यास मंजूर कर दिए, जिसके चलते हाईकोर्ट ने निगम को फिर से अलाइनमेंट करने के आदेश दिए। अब निगम जल्द ही हाईकोर्ट में इसकी रिपोर्ट प्रस्तुत करेगा।