इंदौर : आलू प्याज मंडी में आढ़तियों द्वारा प्याज पर किसानों से कोई भी कमीशन नहीं लिया जाता। मीडिया में इस बारे में जो खबरें आ रहीं हैं, वह पूरीतरह गलत हैं। जो भी कमीशन लिया जाता है वह खरीददार से लिया जाता है, किसान से नहीं। मप्र कृषि उपज विपणन बोर्ड द्वारा मंडी कर्मचारियों से प्याज की नीलामी करवाने का जो आदेश जारी किया गया है, वो नियम विरुद्ध है। इससे आढ़तियों को भारी नुकसान उठाना पड़ेगा। ये कहना है आलू प्याज कमीशन एजेंट एसोसिएशन के अध्यक्ष ओमप्रकाश गर्ग, उपाध्यक्ष पुरुषोत्तम दास राजवानी और मार्गदर्शक विजय गर्ग का। वे शनिवार को इंदौर प्रेस क्लब में पत्रकार वार्ता के माध्यम से अपना पक्ष रख रहे थे।
अच्छे प्याज के मिल रहे उचित भाव।
आलू प्याज कमीशन एजेंट एसोसिएशन के पदाधिकारियों के अनुसार किसानों को प्याज के उचित भाव नहीं मिलने की बात भी सही नहीं है। हकीकत ये है कि प्याज की फसल में वायरस जनित बीमारी लगी है। इसके चलते जो खराब व हल्के किस्म का प्याज मंडी में आ रहा है, वह 2 से 5 रूपए किलो बिक रहा है, जबकि अच्छी किस्म का प्याज आज भी किसानों से 12 से 15 रूपए किलो में खरीदा जा रहा है।
अभी भी आलू प्याज मंडी में आलू, प्याज, लहसुन की 50 से 60 हजार बोरी की आवक रोज हो रही है। सीजन में यह आंकड़ा 2 लाख बोरी तक पहुंच जाता है। खास बात यह है कि किसानों से सारा माल नकद में खरीदा जाता है, जबकि आढ़तिए खरीददारों को दो- दो हफ्ते की उधारी पर माल देते हैं।आढ़तियों का करोड़ों रुपया कारोबार में फंसा रहता है।
एसोसिएशन के पदाधिकारियों के मुताबिक आढ़तियों और किसानों के बीच बरसों से विश्वास का रिश्ता बना हुआ है। इसे खत्म करने का प्रयास किया जा रहा है।
एमडी का आदेश नियम विरुद्ध।
आलू प्याज कमीशन एजेंट एसो. के अध्यक्ष ओमप्रकाश गर्ग के अनुसार मप्र राज्य कृषि विपणन बोर्ड भोपाल के प्रबंध संचालक ने आदेश जारी किया है की आलू प्याज मंडी में प्याज की नीलामी मंडी कर्मचारियों के माध्यम से करवाई जाए। हम इस आदेश का विरोध करते हैं। इससे हमारा कारोबार चौपट हो जाएगा और करोड़ों रूपए डूब जाएंगे। हम चाहते हैं कि किसान और आढ़तियों के बीच भरोसे का जो रिश्ता बना हुआ है, उसमें दरार न आए। अतः इस आदेश को निरस्त कर वर्तमान व्यवस्था को कायम रखा जाना चाहिए।