इंदौर के डीएनए में हैं सफाई के संस्कार, साहित्योत्सव के अंतिम दिन बोले अपर आयुक्त संदीप सोनी

  
Last Updated:  November 28, 2021 " 09:06 pm"

इंदौर : मध्य भारत के सबसे बड़े साहित्य उत्सव इंदौर लिटरेचर फेस्टिवल का समापन रविवार 28 नवम्बर को हुआ। तीन दिनी इस साहित्यिक अनुष्ठान के अंतिम दिन पर चर्चा सत्र, साहित्य संगोष्ठी, सम्मान आदि कार्यक्रम सम्पन्न हुए जिसमें फिल्म सेलिब्रिटी, साहित्यकार, लेखक, पत्रकार, संस्कृतिकर्मी, विद्यार्थी और शहर के प्रबुद्ध नागरिक शामिल हुए।
अंतिम दिन सत्र की शुरूवात गांधी हॉल में सुबह 9.30 बजे से हुई। इसके बाद देर शाम तक विभिन्न सत्रों का सिलसिला चलता रहा।

इंदौर के डीएनए में है सफाई के संस्कार।

‘एक शहर का कायाकल्प’ विषय पर आयोजित टॉक शो में नगर निगम के अपर आयुक्त संदीप सोनी ने कहा की इंदौर के डीएनए में सफाई का संस्कार है, इसलिए इस शहर ने पांचवी बार सफलता का पंच लगया। छठी बार भी इंदौर सफाई का नम्बर वन का खिताब जीतेगा। उन्होंने कहा कि इंदौर को यह उपलब्धि केवल सिस्टम से नहीं मिली, इसमें जनता की भागीदारी, सफाईकर्मियों की मेहनत और एनजीओ का सहयोग शामिल है। इंदौर में आज 6 टाइप का कचरा निकलता है, जो निगम की गाड़ी में रोजाना डोर टू डोर एकत्रित होता है। आयोजक प्रवीण शर्मा से बातचीत में सोनी ने आगे कहा कि 2015 के पहले इंदौर में बेहद गंदगी थी, लेकिन बाद मैं उसमे क्रांतिकारी सुधार किया गया। निगमकर्मियों के लिए बायोमेट्रिक अटेंडेंस शुरू की। लोगों को सफाई का महत्व समझाया। आज स्थिति यह है इस शहर के नागरिकों को गर्व है कि वे इंदौर के नागरिक हैं।

सम्प्रेषण का अर्थ केवल बातचीत नहीं होता।

संप्रेषण का मतलब केवल बातचीत या संचार नहीं होता। संप्रेषण का अर्थ जब 2 व्यक्ति ह्रदय, मन और बुद्धि के धरातल पर बराबरी पर हो। अपनी बात कहना ही नहीं, दूसरों को सुनना भी सम्प्रेषण है। यह बात आईआईएम के निदेशक प्रो. हिमांशु राय ने टिस्का रॉय और प्रोफेसर शानू मेहता से बातचीत मैं कही। हिमांशु राय ने कहा कि दूसरों की अपेक्षाओं पर बना जीवन कभी भी आनंद नहीं दे सकता है।अत: अपने देखे सपनों पर ही अपना महल बनाएं, वो आपको अधिक खुशी देगा।

अपनी परंपरा और संस्कृति से जुड़े रहें।

भारतीय लोक कला और परंपरा हजारों वर्ष पुरानी है, वह हमें अपनी मिट्टी से जोड़ती है। हमारी जड़ें बहुत मजबूत हैं। नदियां, जंगल, पहाड़, मंदिर सब हमारी संस्कृति के हिस्से हैं। हम सबका सम्मान करें और उनके प्रति श्रद्धा रखें। यह बात पदम्श्री संस्कृतिकर्मी कपिल तिवारी ने वरिष्ठ साहित्यकार नर्मदा प्रसाद उपाध्याय से बातचीत करते हुए कही।

हम खुद से हों मोटिवेट।

लेखक नीलोत्पल मृणाल ने कहा हमें दूसरों से मोटिवेट होने की जरूरत नहीं। हम स्वयं से मोटिवेट हों। किताबों से अच्छा कोई मोटिवेटर नहीं। इस मौके पर उन्होंने बाल गीत भी सुनाए।

पत्रकार मनोज राजन त्रिपाठी ने कहा कि आज के बच्चों को अगर गांधी के बारे में बताना हो तो हमें भी मुन्ना भाई एमबीबीएस जैसी फिल्में बनाना होगी। लेखक वैभव विशाल और दिव्य प्रकाश ने कहा कि देश को बच्चों से बड़ी उम्मीद है।

बच्चों की ऊर्जा को सही दिशा दें।

अभिनेता कबीर बेदी ने कहा कि बच्चों के बीच जाना और उनसे बात करना अच्छा लगता है। बच्चों में खूब ऊर्जा होती है उसे सही दिशा में लगाए।

कार्यक्रम में एक सत्र वर्चुअल हुआ जिसमें बीबीसी के पूर्व संवाददाता मार्क टुली ने कहा कि भारत विविधताओं भरा देश है। संचालन किया सोनाली नरगुंदे ने।

साहित्यकारों व संस्था पदाधिकारियों का सम्मान।

इस मौके पार साहित्य अकादमी मप्र के निदेशक डॉ. विकास दवे की अध्यक्षता एवं समाजसेवी आनंदमोहन माथुर के आतिथ्य में शहर के नौ वरिष्ठ साहित्यकारों एवं छह साहित्यिक संस्थाओं के पदाधिकारियों का सम्मान किया गया। इसमें सत्यनाराण सत्तन, डॉ. शरद पगारे, प्रो. सरोज कुमार, हरेराम वाजपेयी, कृष्णा अग्निहोत्री, रश्मि रमानी, सत्यनारायण व्यास, डॉ. सूर्यकांत नागर व सतीश राठी शामिल थे। कार्यक्रम का संचालन गरिमा दुबे और मुकेश तिवारी ने किया।

आभासी दुनिया के अभाव और प्रभाव विषय पर भी एक सत्र हुआ। अध्यक्षता वरिष्ठ पत्रकार शिखा परिहार ने की। इस मौके पर दीपा व्यास ने कहा कि हम सब आभासी दुनिया में जी रहे हैं एक क्लिक पर दुनिया को जान लेते हैं। शांत भवन में टिके, रहना किंतु पहुंचना उस सीमा तक जिसके आगे राह नहीं। महिमा वर्मा, माधुरी व्यास, अदिति सिंह भदौरिया, डॉ. उषा गौर, मनीषा व्यास ने भी विचार रखे। संचालन किया संध्याराय चौधरी ने।
कार्यक्रम में वरिष्ठ पत्रकार कृष्ण कुमार अष्ठाना, नर्मदा प्रसाद उपाध्याय, डॉ. प्रकाश हिंदुस्तानी, रितिका जैन, संध्याराय चौधरी, सुषमा व्यास, सीमा व्यास, राधेश्याम व्यास, प्रवीण जोशी, पंकज राग, सुषमा दुबे, संजय आरजू बड़ौतवी, सोनाली खरे देविका, संतोष मोहंती, प्रदीप नवीन सहित बड़ी संख्या मैं गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।

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