इनपुट टैक्स क्रेडिट के लिए सप्लायर की गलती की सजा क्रेता को भुगतनी होगी

  
Last Updated:  February 20, 2022 " 09:14 pm"

इंदौर : जीएसटी के अंतर्गत सरकार द्वारा इनपुट टैक्स क्रेडिट के माध्यम से कर की चोरी रोकने के प्रयास किये गए हैं पर वो नाकाफी सिद्धहो रहे हैं। सरकार द्वारा जीएसटी को लागू करने के पहले यह वादा किया गया था कि किसी भी व्यव्हार से सम्बंधित क्रेडिट बिना किसी बाधा के प्राप्त होगी परन्तु पिछले करीब पांच वर्षो में सरकार द्वारा इनपुट टैक्स क्रेडिट का गलत उपयोग रोकने के लिए इतने सारे प्रावधान लाए गए हैं कि जीएसटी की मूल भावना निर्बाध क्रेडिट ही मर गयी है ! अब किसी सप्लायर द्वारा बेचे गए माल या सर्विस के सम्बन्ध में कोई गलती की जाती है या समय पर जीएसटी रिटर्न नहीं भरे जाते हैं अथवा जीएसटी का भुगतान नहीं किया जाता है तो उसका खामियाजा क्रेता को ही भुगतना पड़ेगा !

यह बात सी ए सुनील खंडेलवाल, पूर्व चेयरमैन, सीए इंदौर शाखा ने कही। वे टैक्स प्रैक्टिशनर्स एसोसिएशन एवं चार्टर्ड एकाउंटेंट्स की इंदौर शाखा द्वारा बजट 2022 में जीएसटी से सम्बंधित प्रस्तावित प्रावधानों पर चर्चा के दौरान बोल रहे थे।

सप्लायर द्वारा कर का भुगतान नहीं करने पर क्रेता को नहीं मिलेगा क्रेडिट।

वेबिनार को सम्बोधित करते हुए सी ए सुनील खंडेलवाल ने आगे कहा कि बजट में यह प्रावधान प्रस्तावित किया गया है कि अभी तक किसी सप्लायर द्वारा बेचे गए माल या सर्विस की जानकारी 2 बी फॉर्म में उपलब्ध होने पर क्रेडिट ली जा सकती थी, परन्तु अब उसे सप्लायर द्वारा उक्त सप्लाई पर कर का भुगतान नहीं करने पर, उसके द्वारा भरे गए रिटर्न में अंतर होने पर, उसके द्वारा पोर्टल में उपलब्ध क्रेडिट से अधिक क्रेडिट लेने की दशा में, क्रेता को 2बी में क्रेडिट दिखने के बावजूद उसकी क्रेडिट नहीं मिलेगी ! उन्होंने कहा की पूर्व में विभिन्न कोर्ट यह व्याख्या की गयी थी की एक क्रेता से यह उम्मीद नहीं की जानी चाहिए कि वह सप्लायर के द्वारा कर का भुगतान किया गया या नहीं यह भी देखे परन्तु इस बात को पूर्णतया नकार दिया गया है।

किसी करदाता द्वारा किसी वर्ष की इनपुट क्रेडिट लेने और सुधार की समय सीमा अगले वर्ष 30 नवंबर तक भरने वाले जीएसटी रिटर्न में करने का प्रस्ताव एवं कुछ शर्तो के साथ एक ही पैन पर रजिस्टर्ड यूनिट्स के आपस में कैश रजिस्टर में शेष राशि आपस में ट्रांसफर की सुविधा को करदाताओं के हित में बताया ! साथ ही पहले करदाता द्वारा गलत क्रेडिट लेकर यदि उसका उपयोग नहीं किया जाता था तो भी विभाग द्वारा ब्याज लिया जाता था ! अब ऐसी दशा में क्रेडिट लेकर उपयोग करने पर ही ब्याज का प्रावधान 1जुलाई 2017 से प्रभावशील करने के प्रस्ताव से करदाता को, जहां उसने गलत क्रेडिट को उपयोग में नहीं लिया है, ब्याज की जिम्मेदारी से छुटकारा मिलेगा !

उन्होंने यह भी बताया कि अभी तक किसी करदाता द्वारा 6 माह तक के रिटर्न फाइल नहीं किए जाने पर उसका रजिस्ट्रेशन कैंसिल किया जा सकता था परन्तु अब सरकार द्वारा कम समय के रिटर्न ( जो नोटिफाइड होगा) और कंपोजिशन डीलर द्वारा 3 माह के रिटर्न फाइल नहीं करने पर भी रजिस्ट्रेशन कैंसिल किया जा सकता है।

रजिस्टर्ड व्यक्ति किसी माह का जीएसटी-1 रिटर्न, पिछले माह का जीएसटी-1 एवम जीएसटी- 3 बी रिटर्न फाइल करने बाद ही भर पाएगा। साथ ही किसी माह का जीएसटी रिटर्न -3 बी उसी माह का जीएसटी -1 फाइल करने के बाद ही भर सकेगा।

उन्होंने बताया कि बजट पारित होने और नोटिफिकेशन जारी होने पर यह संशोधित प्रावधान लागू होंगे।

कार्यक्रम का संचालन सेंट्रल जी एसटी सचिव सी ए कृष्ण गर्ग ने किया ! आभार प्रदर्शन मानद सचिव सी ए अभय शर्मा ने किया ! कार्यक्रम में बड़ी संख्या में चार्टर्ड अकाउंटेंट, टैक्स कंसलटेंट एवं अधिवक्ता उपस्थित थे।

Facebook Comments

Related Posts

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *