उस दिन खुद कमलनाथ फोन करते तो सरकार नहीं गिरती…!

  
Last Updated:  May 3, 2025 " 04:43 pm"

🔹किस्सा अनसुना / कीर्ति राणा🔹

इंदौर : भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता नरेंद्र सलूजा को अंतिम विदाई देने रीजनल पार्क मुक्तिधाम पर जुटे कांग्रेस-भाजपा नेताओं के बीच ‘किन कारणों से सलूजा ने भाजपा ज्वाइन की’ जैसे मुद्दे पर शुरु हुई चर्चा में कमलनाथ के अहं से लेकर सरकार गिरने के अनसुने किस्से भी चल पड़े। दोनों दलों के नेता उन दिनों चली उठापटक को याद कर रहे थे और आसपास जुटे लोग कान लगा कर सुन रहे थे।

शिखर तक पहुंचा व्यक्ति जब इस मुकाम तक पहुंचाने वाले अपने साथ के लोगों की अहमियत को ही नजरअंदाज करने लगे तो क्या हश्र हो सकता है यह राजनीति में दिलचस्पी रखने वालों को मप्र में कमलनाथ सरकार की डेढ़ साल में अप्रत्याशित रूप से हुई बिदाई से समझ तो आ गया था लेकिन यह भी सच है कि अपने विश्वस्त साथियों की सलाह मान कर खुद कमलनाथ उन रूठे विधायकों को फोन करते तो शायद कांग्रेस सरकार बच जाती।

मप्र की राजनीति का यह घटनाक्रम तब भूचाल आने जैसा ही था। उस वक्त चली सरगर्मी के साक्षी और सलाह देने वाले नेता मानते हैं कि बस एक फोन ही तो करना था कमलनाथजी को, अहं ऐसा कि वो अपने विश्वस्तों से कहते रहे कि तुम फोन करो, इन लोगों का कहना था आप बात करेंगे तो उसका वजन अधिक होगा।उन्हें यह ठीक नहीं लगा कि फोन मुझे (कमलनाथ ) करना चाहिए।

यही नहीं उस दौरान दिल्ली में चल रही भाजपा कार्यसमिति की बैठक में एक बड़े कारोबारी की सलाह पर कमलनाथ को भाजपा में शामिल करने की सहमति भी दे दी गई थी लेकिन भाजपा से जुड़े सिख नेताओं की आपत्ति से यह मामला भी टल गया।

पूर्व मंत्री सज्जन वर्मा, अभी मंत्री तुलसी सिलावट, भाजपा विधायक मधु वर्मा और अन्य नेताओं के बीच राजनीति को लेकर शुरु हुई चर्चा को बाकी लोग सुनने के साथ ही ताज्जुब भी करते रहे।कांग्रेस के पूर्व मंत्री वर्मा का कहना था तुलसी भाई की ईमानदारी का मैं आज भी बैठकों में जिक्र करता हूं। तब मुझे फोन कर के आगाह किया था कि इन-इन विधायकों और बड़े नेता को कमलनाथ जी फोन कर लें, उनकी बात मान लेंगे। हमने उन्हें बताया भी, उनका जवाब था तुम फोन करो। उनका फोन जाता तो विधायकों के साथ उनके नेता भी मान लेते। तुलसी सिलावट का कहना था राजनीति इगो से नहीं समन्वय से चलती है। कमलनाथ जी यदि सिंधिया जी को फोन लगा कर बात कर लेते तो शायद ये नौबत नहीं आती।सरकार बनाने में जब उनका सहयोग रहा तो उनके मान-सम्मान का ध्यान रखना भी कमलनाथ जी का दायित्व था।

दोनों दलों के नेताओं में चल रही इस चर्चा में दिग्विजय सिंह का जिक्र ना आए यह कैसे संभव है। कमलनाथ जी पर उनका जादू चल रहा था इसी कारण उन्होंने हमारी सलाह को अनसुना कर दिया।कमलनाथ जी सब को फोन लगा लेते तो सरकार नहीं गिरती। सरकार चली गई और दिग्गी राजा के मन की हो गई।

कांग्रेस की सरकार गिरने के बाद मची राजनीतिक उथलपुथल के चलते कमलनाथ के भाजपा में जाने की अफवाह में वाकई सच्चाई थी क्या ? अब भाजपा विधायक मधु वर्मा बोले अफवाह नहीं, उनको शामिल करने की तो सहमति बन चुकी थी।भाजपा कार्यसमिति की बैठक में चर्चा भी हुई थी लेकिन सिख समाज के नेताओं ने साफ कह दिया यदि ऐसा कोई निर्णय होता है तो देश का सिख समाज विरोध करेगा। हां उनके बेटे (नकुल नाथ) को लेने पर कोई आपत्ति नहीं है।

मुक्तिधाम पर चल रही इस चर्चा में शामिल कांग्रेस के नेता ने जब राज खोला कि देश के एक बड़े कारोबारी ने भाजपा के दिग्गजों से उनके नाम की पैरवी की थी। इस चर्चा के चश्मदीद मीडिया मित्रों ने कहा ये कारोबारी वही तो नहीं जिनकी बात मान कर मोदी जी छिंदवाड़ा में चुनावी सभा करने नहीं गए थे। पूर्व मंत्री सज्जन वर्मा कहने लगे कमलनाथ जी की सरकार भाजपा के कारण नहीं हमारी तात्कालिक राजनीतिक कमजोरी से ही गिरी, पूरे पांच साल सरकार चलती तो प्रदेश के लोगों को भी लगता कि पहली बार इतना अनुभवी सीएम मिला, कमलनाथ जी पूरे प्रदेश का नक्शा बदल देते । तब लोगों को मोदी जी के गुजरात मॉडल की हवाबाजी भी समझ आ जाती।

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