टीपीए के सेमिनार में बोले वक्ता।
इंदौर : टैक्स प्रैक्टिशनर्स एसोसिएशन इंदौर एवं इंदौर सीए शाखा द्वारा इनकम टैक्स पोर्टल पर उपलब्ध एआईएस/टीआईएस के उपयोग व रिकॉन्सिलीएशन पर सेमिनार का आयोजन किया गया, जिसे सीए दीपक माहेश्वरी ने संबोधित किया।
टीपीए के प्रेसिडेंट सीए जेपी सराफ ने बताया कि इनकम टैक्स विभाग आपके बैंक खाते, ब्याज,शेयर-म्युचुअल फंड निवेश, प्रॉपर्टी लेन-देन, क्रेडिट कार्ड खर्च आदि सभी वित्तीय गतिविधियों की जानकारी को AIS ( वार्षिक सूचना विवरणी) में शामिल करता है। लेकिन कई बार इसमें गलत, अधूरी या एक ही जानकारी बार-बार दिखती है। उदाहरण के लिए, एक ही म्युचुअल फंड रिडेम्प्शन कई बार दिखाई देती है अथवा एक ही संपत्ति की बिक्री दो अलग-अलग पैन पर दिखाई जा सकती है।
टीपीए के मानद सचिव सीए डॉ. अभय शर्मा ने बताया कि अगर आपने एआईएस की जानकारी का मिलान किए बिना रिटर्न दाखिल कर दिया और दोनों में भिन्नता पाई गई, तो आपके रिटर्न में धारा 143(1) के अंतर्गत संशोधन/एडजस्टमेंट किया जा सकता है। यह आगे चलकर स्क्रूटनी या धारा 148 के तहत पुनः करनिर्धारण का कारण भी बन सकता है।
सीए दीपक माहेश्वरी ने बताया कि रिटर्न दाखिल करने से पहले इन जानकारियों का मिलान अवश्य करें।
AIS (वार्षिक सूचना विवरण), TIS (टैक्सपेयर्स इनफॉर्मेशन समरी), फॉर्म 26AS (टीडीएस व टैक्स भुगतान विवरण), बैंक, डीमैट व म्युचुअल फंड स्टेटमेंट्स
के बिना मिलान के रिटर्न भरना भारी गलती साबित हो सकता है।
उन्होंने कहा कि एआईएस में कोई त्रुटि हो तो तुरंत फीडबैक दर्ज करें। AIS और रिटर्न में ₹50 लाख या अधिक का अंतर हुआ, तो 5 वर्षों बाद भी नोटिस आ सकता है, धारा 148 के तहत आयकर विभाग अब ऐसे मामलों में 5 से 10 साल बाद भी पुनः कर निर्धारण शुरू कर सकता है।
उन्होंने कहा कि पुराने टैक्स स्लैब के लिए विकल्प चुनना अब ज़रूरी है। नया टैक्स स्लैब अब स्वतः लागू होता है। अगर आप पुराने स्लैब का लाभ लेना चाहते हैं तो आईटीआर में स्पष्ट रूप से चयन करें, अन्यथा आपको छूटों (जैसे 80C, HRA आदि) का लाभ नहीं मिलेगा।
सीए माहेश्वरी ने कहा कि म्युचुअल फंड व शेयर की बिक्री पर पूंजी लाभ की सटीक जानकारी दें, ऐस में कभी-कभी म्युचुअल फंड के SWP, Redeem या Switch ट्रांजेक्शन गलत तरीके से दिखाई देते हैं। इसलिए ब्रोकर की रिपोर्ट और डीमैट स्टेटमेंट से मेल जरूर करें।
फॉर्म 16 में दी गई जानकारी कई बार अधूरी होती है, इसलिए उसे AIS, 26AS व बैंक ब्यौरे से जरूर मिलाएं।
आजकल आयकर विभाग AIS आधारित सूचना तकनीक से तुरंत अंतर पकड़ लेता है।इसलिए अपनी जानकारी, निवेश व लेन-देन का पूरा मिलान करने के बाद ही रिटर्न भरें। गलत रिटर्न भरने पर लग सकता है जुर्माना या जांच भी हो सकती है।
सभी करदाता समय पर, सही जानकारी के साथ ITR भरें, किसी कर विशेषज्ञ से मार्गदर्शन अवश्य लें। अंतिम तिथि से पहले ITR भरें और जांच कर ही रिटर्न जमा करें।
सेमिनार का संचालन टीपीए के मानस सचिव सीए डॉ अभय शर्मा ने किया। इस अवसर पर सीए शैलेन्द्र सिंह सोलंकी, सीए प्रमोद गर्ग, सीए उमेश गोयल, नीलेंदु देव सहित बड़ी संख्या में सदस्य मौजूद थे।