इंदौर : एमरल्ड हाइट्स में आयोजित राउंड स्क्वेयर इंटर नेशनल कॉन्फ्रेंस में भाग लेने आए नोबल पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी ने मीडिया कर्मियों से भी चर्चा की। उन्होंने कहा कि दुनिया के देशों में सतत लक्षित विकास के बावजूद बाल श्रम, बच्चों की शिक्षा, स्वास्थ्य और सुरक्षा को लेकर अपेक्षित प्रगति नहीं हुई है। ऐसा ही चलता रहा तो 2030 तक 22 करोड़ बच्चे शिक्षा से वंचित होंगे और 12 करोड़ बालश्रम में जुटे होंगे। जबकि संयुक्त राष्ट्र ने 2025 तक बालश्रम से मुक्ति का संकल्प लिया है।
ऑनलाइन चाइल्ड एब्यूज सबसे बड़ी चुनौती।
कैलाश सत्यार्थी ने कहा कि ऑनलाइन चाइल्ड एब्यूज वर्तमान दौर की सबसे बड़ी चुनौती है। चाइल्ड पोर्नोग्राफी का कारोबार 8 अरब से अधिक का हो गया है। बच्चों का यौनशोषण कर उन्हें देह व्यापार में धकेला जा रहा है। श्री सत्यार्थी ने कहा कि चाइल्ड पोर्नोग्राफी की रोकथाम को लेकर कोई अंतरराष्ट्रीय कानून नहीं है। हम इसके लिए लड़ाई लड़ रहे हैं और प्रयास कर रहे हैं कि अगले वर्ष यूएन में यह कानून लाया जाए। इससे इंटरपोल को भी कार्रवाई का अधिकार मिल जाएगा।
बच्चों की शिक्षा, स्वास्थ्य पर बजट बढ़ाएं सरकारें।
मप्र के विदिशा में जन्में श्री सत्यार्थी ने कहा कि दुनिया के अधिकांश देशों में बच्चों की शिक्षा, स्वास्थ्य और सुरक्षा के लिए बहुत कम बजट रखा जाता है। हमारे देश की ही बात करें तो बच्चों पर होनेवाला खर्च जीडीपी का महज 4 फीसदी है। इसे बढाने की जरूरत है।
ग्लैमर वर्ल्ड में काम करने वाले बच्चों के लिए हैं नियम- कायदे।
यह पूछे जाने पर की घर- परिवार की मदद के लिए कारखानों, होटल्स, रेस्टोरेंट्स, दुकानों आदि में काम करनेवाले बच्चों के मामले बालश्रम की श्रेणी में गिने जाते हैं और इसे अपराध माना जाता है पर टीवी सीरिअल्स, रियलिटी शोज, फ़िल्म आदि में काम करने वाले बच्चों को हुनरमंद कहा जाता है। क्या यह दोहरा मापदंड नहीं है ? इसपर सत्यार्थी का कहना था कि ग्लैमर वर्ल्ड में काम करने वाले बच्चों को लेकर सख्त दिशा- निर्देश हैं। उनके अनुपालन पर जोर दिया जाना चाहिए।