कश्मीर से धारा 370 हटाकर पीएम मोदी ने डॉ. मुखर्जी के सपने को साकार किया

  
Last Updated:  July 7, 2021 " 03:31 pm"

इंदौर : बीजेपी नगर अध्यक्ष गौरव रणदिवे ने बताया कि शिक्षाविद्, चिंतक, भारतीय जनसंघ के संस्थापक डॉ. श्यामाप्रसाद मुखर्जी की 120 वीं जयंती पर विजयनगर चौराहा स्थित उनकी प्रतिमा पर भाजपा के वरिष्ठ नेताओं और कार्यकर्ताओं ने माल्यार्पण कर उनका स्मरण किया।
इस अवसर पर प्रमुख रूप से भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय, वरिष्ठ नेता, सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया, वरिष्ठ नेता, पूर्व सांसद कृष्णमुरारी मोघे, संभागीय संगठन मंत्री जयपालसिंह चावड़ा, केबिनेट मंत्री तुलसीराम सिलावट, जिला अध्यक्ष डॉ राजेश सोनकर, विधायक रमेश मेंदोला, मालिनी गौड़, महेंद्र हार्डिया, जीतू जिराती, मधु वर्मा, उमेश शर्मा, अंजू मखीजा, मुद्रा शास्त्री, गणेश गोयल, घनश्याम शेर, कमल बाघेला, विपिन खुजनेरी, अभिषेक बबलू शर्मा, नानूराम कुमावत, संदीप दुबे, मुकेश मंगल, कमल वर्मा, वीरेंद्र व्यास, विजय मालानी, मनस्वी पाटीदार, गंगाराम यादव, ब्रजेश शुक्ला, डॉ. श्रद्धा दुबे, सरोज चौहान, ज्योति तोमर, प्रकाश राठोर, मंजूर अहमद, मोहन राठौर, सतपालसिंह खालसा, मुन्नालाल यादव, प्रणव मंडल, मनोज पाल, राजा कोठारी, सुरेश कुरबाड़े सहित अन्य भाजपा नेताओं व कार्यकर्ताओं ने माल्यार्पण कर डॉ. मुखर्जी का स्मरण किया।
कैलाश विजयवर्गीय ने डॉ श्यामाप्रसाद मुखर्जी की जयंती पर माल्यार्पण करते हुए कहा कि डा. मुखर्जी का बलिदान कभी भुलाया नहीं जा सकता। कश्मीर व देश के अन्य हिस्सों के विभाजन को डॉ. मुखर्जी के नेतृत्व ने ही बचाया। धर्म के आधार पर विभाजन के डॉ. मुखर्जी कट्टर विरोधी थे। डॉ. मुखर्जी बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने डॉ. मुखर्जी के सपने को साकार करते हुए धारा 370 को हटाया तथा डॉक्टर मुखर्जी को सच्ची श्रद्धांजलि अर्पित की।

ज्योतिरादित्य सिंधिया ने डॉ. मुखर्जी की प्रतिमा पर माल्यार्पण करते हुए उनका स्मरण किया और कहा कि कश्मीर को बचाने के लिए पहला बलिदान देने वाले डॉ. मुखर्जी थे।उन्होंने कहा कि जब पूरे देश में एक संविधान, एक निशान है तो फिर कश्मीर में दो विधान, दो निशान कैसे हो सकते हैं, डॉ. मुखर्जी ने इसका कड़ा विरोध करते हुए, समान विचारधारा के लोगों को साथ लेकर आंदोलन किया। हम सभी भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ता डॉ. मुखर्जी के पद चिन्हों पर चलकर देश और जनता की सेवा करें।
इस मौके पर कृष्णमुरारी मोघे ने कहा कि डॉ मुखर्जी सच्चे अर्थों में मानवता के उपासक और सिद्धांतवादी थे। उन्होंने विषम परिस्थितियों में कार्य करते हुए देश के लिए अपने प्राण न्योछावर कर दिए। उस समय जब मुस्लिम लीग की राजनीति से बंगाल का वातावरण दूषित हो रहा था, वहां उस समय ही सांप्रदायिक विभाजन की नौबत आ रही थी, सांप्रदायिक लोगों को ब्रिटिश सरकार प्रोत्साहित कर रही थी। ऐसी विकट व प्रतिकूल परिस्थिति में उन्होंने यह सुनिश्चित करने का बीड़ा उठाया कि बंगाल के हिंदुओं की उपेक्षा न हो, और उनके प्रयासों ने बंगाल के विभाजन वाले मुस्लिम लीग के प्रयासों को नाकाम कर दिया था।

Facebook Comments

Related Posts

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *