श्री अरबिंदो इंस्टीट्यूट ऑफ लॉ के उद्घाटन कार्यक्रम में बोले सुप्रीम कोर्ट के जज ( जस्टिस ) जेके माहेश्वरी।
इंदौर : एक सफल वकील बनने के लिए आपको अपनी रीडिंग, राइटिंग, डिस्कशन और थिंकिंग स्किल बेहतर करनी पड़ेगी। ये बात श्री अरबिंदो इंस्टीट्यूट ऑफ लॉ के उद्घाटन के मौके पर सुप्रीम कोर्ट जज (जस्टिस) जे.के. माहेश्वरी ने लॉ के नए स्टूडेंट्स को संबोधित करते हुए कही। शनिवार शाम आयोजित गरिमामय कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि कोविड के दौर ने हमें इस सच से रूबरू करा दिया है कि आधुनिक तकनीक हमारे लिए कितनी फायदेमंद है। इसलिए जहाँ तक हो सके खुद को अपडेट करते रहें और हरसमय कुछ नया सीखते रहें। हाल ही में शुरू हुई सुप्रीम कोर्ट से लाइव प्रसारित होने वाली सुनवाई जरूर सुनें।
इसंवेदनशील इंसान ही अच्छा वकील बन सकता है।
बतौर मुख्य अतिथि अपने संबोधन में जस्टिस माहेश्वरी ने कहा कि दूसरे की आंखों के आंसू अपनी आंखों में महसूस करने वाला संवेदनशील शख्स ही अच्छा वकील बन सकता है। उन्होंने कहा कि एकेडमिक रूप से बेहतर बनने के लिए विधि संस्थानों को अपने कोर्स में एनसीएलटी का समावेश अवश्य करना चाहिये। पहले मैं भी चिकित्सीय क्षेत्र में आने के लिए प्रयासरत था लेकिन जब मुझे कानूनी क्षेत्र में आना पड़ा तो मैंने इसमें टॉप पर आने की हरसंभव कोशिश की। इसलिए नए स्टूडेंट्स को मेरी सलाह है कि कमिटमेंट और डिटरमिनेशन से आप किसी भी फील्ड में टॉप पर पहुंच सकते हैं। बस, इसके लिए जरूरत लगातार ईमानदार प्रयासों की है।
लगातार बढ़ता पेंडिंग मामलों का बोझ बड़ी चिंता।
मेहनत, लगन और ईमानदारी का पाठ सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जस्टिस दीपक वर्मा ने भी दिया। उन्होंने कहा कि कोविड महामारी के दौरान श्री अरबिंदो संस्थान ने इन्हीं तीनों गुणों के बूते हजारों मरीजों की ऐसी सेवा की, जो मिसाल बन गई। एक और बात कहते हुए जस्टिस वर्मा ने कहा कि वकील को अदालतों में अच्छी बहस तो करनी पड़ती है लेकिन अच्छा वकील वही होता है जिसे इस बात का भी पता हो कि उसे बहस के दौरान कब रुक जाना चाहिए। आज हमारी सबसे बड़ी चिंता लगातार बढ़ते जा रहे पेंडिंग मामलों का दबाव है। इससे निपटने के लिए नीति-नियंताओं को और गंभीर प्रयास करने होंगे।
किताबी ज्ञान के साथ कोर्ट क्राफ्ट भी सीखें।
राजस्थान हाई कोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश जस्टिस वीएस कोकजे ने हर जरूरतमंद को न्याय मिलने के तरीकों को विकसित करने पर जोर देते हुए कहा कि कानूनी शिक्षा का स्तर सुधारने के प्रयास पिछले करीब तीन दशकों से हो रहे हैं। लेकिन नए बच्चों को किताबी ज्ञान के साथ कोर्ट क्राफ्ट भी सीखना होगा। हाल ही में लाइव सुनवाई की जो व्यवस्था शुरू हुई है उसके भविष्य में बहुत अच्छे परिणाम देखने को मिलेंगे। नियमों की जानकारी वकीलों के साथ-साथ आम लोगों और खासतौर पर डॉक्टरों को भी होनी चाहिए। इस लिहाज से श्री अरबिंदो संस्थान द्वारा शुरू किए गये लॉ कॉलेज की पहल सराहनीय है।
हेल्थ लॉ सब्जेक्ट महत्वपूर्ण, कोर्स में शामिल करें।
द इंडियन लॉ इंस्टीट्यूट, डीम्ड यूनिवर्सिटी, दिल्ली के निदेशक प्रो. मनोज कुमार सिन्हा के कहा कि हेल्थ लॉ सब्जेक्ट बहुत महत्वपूर्ण है। इसे कोर्स में शामिल किया जाना चाहिए। लॉ कॉलेज की शुरुआत कर श्री अरबिंदो संस्थान ने साबित कर दिया कि वो स्वास्थ्य और चिकित्सीय शिक्षा के साथ-साथ क्षेत्र के युवाओं को कानूनी रूप से भी सुदृढ़ बनाने के लिए कृत-संकल्पित है। अतिथियों का स्वागत करते हुए विश्वविद्यालय की कुलाधिपति डॉ. मंजूश्री भंडारी ने लॉ कॉलेज की जरूरत पर प्रकाश डाला। प्रतिकुलाधिपति डॉ. महक भंडारी ने संस्थान की शुरुआत से लेकर यूनिवर्सिटी के विजन और मिशन के बारे में विस्तार से जानकारी दी। इस अवसर पर फाउंडर चेयरमैन डॉ. विनोद भंडारी, प्रतिकुलाधिपति डॉ. मोहित भंडारी, कुलपति डॉ. ज्योति बिंदल, राज्यसभा सदस्य विवेक तन्खा, जस्टिस अमरनाथ केसरवानी, जस्टिस सुभाष काकड़े, जस्टिस जे.के. जैन, जस्टिस ए.के. गोयल, जस्टिस सुबोध जैन, सुरेश भदोरिया, मुन्नालाल यादव, डॉ. छपरवाल, अनिल धूपर समेत अनेक गणमान्य अतिथि, विधि विशेषज्ञ, डॉक्टर, फैकल्टीज और स्टूडेंट्स उपस्थित थे। आभार इंस्टीट्यूट ऑफ लॉ के निदेशक राजीव जैन ने माना। संचालन कैलाश व्यास ने किया।