इंदौर प्रेस क्लब में पूर्व अध्यक्ष कृष्णकुमार अष्ठाना को दी गई आदरांजलि।
शहर के सामाजिक, साहित्यिक, सांस्कृतिक एवं राजनीतिक संगठनों ने किया याद।
इंदौर : सहज, सरल, दृढ़ संकल्पित, कर्तव्यनिष्ठ, विराट व्यक्तित्व के धनी और कार्यकर्ता निर्माण के जीवित गुरुकुल थे कृष्णकुमार अष्ठाना। अपने जीवन में उन्होंने कभी भी अहंकार को गले नहीं लगाया। आजीवन राष्ट्रसेवा में लीन रहे। उन्होंने अनेक अच्छे स्वयंसेवक, साहित्यकार, सामाजिक कार्यकर्ता और पत्रकार तैयार किए।
इन भावों और शब्दों के साथ इंदौर प्रेस क्लब में पूर्व अध्यक्ष, दैनिक स्वदेश के पूर्व संपादक, बाल मासिक पत्रिका देवपुत्र के पूर्व प्रधान संपादक कृष्णकुमार अष्ठाना को स्मरण सभा में याद किया गया। सभा की शुरुआत में इंदौर प्रेस क्लब के अध्यक्ष अरविंद तिवारी ने श्री अष्ठाना के इंदौर प्रेस क्लब और मीडिया जगत से घनिष्ठ संबंधों को याद करते हुए उन्हें श्रद्धासुमन अर्पित किए। उन्होंने कहा कि हमने अपना मार्गदर्शक,अभिभावक खोया है तो शहर ने एक अच्छा सामाजिक कार्यकर्ता और संघ ने एक श्रेष्ठ स्वयंसेवक श्री अष्ठाना के रूप में खोया है।
इंदौर प्रेस क्लब के पूर्व अध्यक्ष सतीश जोशी ने कहा कि श्री अष्ठाना ने यायावर की भांति खुद को स्थापित किया। अनेक चुनौतियां उनके सामने आई, जिनका उन्होंने डटकर सामना किया। खासियत यह थी कि चुनौतियों से जीत जाने के बाद भी उनमें अहंकार नहीं आया। वरिष्ठ पत्रकार तपेन्द्र सुगंधी ने कहा कि अष्ठाना जी अपने आप में संस्थान थे। नई पीढ़ी के कई पत्रकार तैयार करने में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही।
विश्व संवाद केंद्र मालवा प्रांत के अध्यक्ष दिनेश गुप्ता ने श्री अष्ठाना को विराट व्यक्तित्व का धनी, आदर्श स्वयंसेवक और ओजस्वी वक्ता बताया। उस्ताद अलाउद्दीन खां संगीत और कला अकादमी के पूर्व निदेशक जयंत भिसे ने कहा कि वे कर्तव्यनिष्ठ थे और आजीवन राष्ट्रसेवा में लीन रहे। मध्यभारत हिन्दी साहित्य समिति के प्रचारमंत्री हरेराम वाजपेयी ने श्री अष्ठाना को बिरला व्यक्तित्व बताते हुए कहा कि छोटा हो या बड़ा वे सबको एकसा सम्मान और मार्गदर्शन देते थे। सेवा सुरभि के प्रमुख ओमप्रकाश नरेडा ने श्री अष्ठाना के निधन को सामाजिक क्षेत्र और झंडा ऊंचा रहे अभियान के लिए बड़ा आघात बताया। दैनिक स्वदेश इंदौर के संपादक शक्तिसिंह ने कहा कि हमने अपना प्रकाश स्तंभ खोया है। अष्ठाना जी दैनिक स्वदेश और अपनी विचारधारा के प्रति सजग रहते थे और लगातार इसकी चिंता किया करते थे। वामा साहित्य मंच की अध्यक्ष श्रीमती ज्योति जैन ने कहा कि मातृशक्ति के प्रति उनके भाव अनुकरणीय हैं। उनके विचार और संस्कार हमेशा हमारे बीच रहेंगे। अभ्यास मंडल की सचिव श्रीमती माला ठाकुर ने कहा कि श्री अष्ठाना शहर के चारित्रिक विकास के लिए चिंतित रहा करते थे। वह विभिन्न क्षेत्रों में संबंध कमाकर गए हैं।
देवपुत्र के कार्यकारी संपादक गोपाल माहेश्वरी ने कहा कि श्री अष्ठाना कार्यकर्ता निर्माण के जीवित गुरुकुल थे। वह देवपुत्र में हमेशा रहेंगे। ब्रह्मकुमारी प्रजापिता ईश्वरीय विश्वविद्यालय की ओर से बहन आस्था ने कहा कि उन्होंने पूरा जीवन अपने लिए नहीं मानवता के लिए जिया। भाजपा के मीडिया प्रभारी रितेश तिवारी ने विद्यार्थी जीवन में श्री अष्ठाना से मिले प्रथम बौद्धिक का स्मरण किया। दयानंद शिक्षण समिति के जी.डी. अग्रवाल ने कहा कि वे पारस थे, जिसको छू लिया, सोना ही नहीं हीरा हो गया। अटल बिहारी वाजपेयी शा. कला एवं वाणिज्य महाविद्यालय की प्राचार्य डॉ. ममता चन्द्रशेखर ने एक वाकये को याद करते हुए कहा कि अष्ठाना जी ने आगे बढऩे के लिए मुझे सब्र रखने की सीख दी थी। इंदौर उत्थान अभियान के अजीत सिंह नारंग ने कहा कि हमने एक संत सिपाही को खो दिया है।
जीवन के अंतिम समय में श्री अष्ठाना का इलाज करने वाले डॉ. राकेश शिवहरे ने कहा कि वे सरलता के पर्याय थे, दृढ़शक्ति और संकल्प वाले व्यक्ति थे। बहुत बीमार होने के बाद भी बार-बार कह रहे थे कि मुझे एक दिन का समय दे दीजिए, ताकि मैं राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक के इंदौर में आयोजित कार्यक्रम में जा सकूं। सामाजिक कार्यकर्ता किशोर कोडवानी ने कहा कि शहर ने एक पितातुल्य व्यक्तित्व को खो दिया है। विचार प्रवाह साहित्य मंच के अध्यक्ष मुकेश तिवारी ने श्री अष्ठाना को राष्ट्रवादी पत्रकारिता का नायक बताते हुए कहा कि राष्ट्रवादी पत्रकारिता ने अपना अभिभावक खो दिया है। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के अध्यक्ष डॉ. अर्पण जैन ने कहा कि हिन्दी योद्ध अष्ठाना जी का अक्षरदेह में परिवर्तन सदा स्मरण में रहेगा। स्वयंसेवक की भांति वे मूक साधक बने रहे। स्मरण सभा का संचालन प्रेस क्लब के उपाध्यक्ष प्रदीप जोशी ने किया। इस मौके पर इंदौर प्रेस क्लब के पदाधिकारियों के साथ ही मीडिया के साथी और शहर के अनेक गणमान्य लोग मौजूद थे।