इंदौर : श्रुति संवाद संगीत समिति, अभिनव कला समाज एवं लयशाला ललित कला समिति के संयुक्त तत्वाधान में तबला नवाज़ स्व. अरविन्द अग्निहोत्री एवं वरिष्ठ नृत्यांगना स्व. सविता गोडबोले की याद में आयोजित चार दिवसीय कार्यक्रम ‘संगीत अर्ध्य’ के दूसरे दिन नृत्यांगना कीर्ति साठे व साथियों ने कथक नृत्य और शास्त्रीय गायक पं. सुनील मसूरकर ने गायन की प्रस्तुति दी।
नृत्यांगना कीर्ति साठे ने कार्यक्रम की शुरुआत अर्धनारी नटेश्वर की स्तुति से की। उसके उपरान्त ताल धमार में उठान, थाट, आमद, नटवरी के टुकड़े, परन, फरमाइशी तत्कार के प्रदर्शन से उपस्थित श्रोताओं का मन मोह लिया। कालिया दमन के गतभाव से आपने भगवान श्री कृष्ण के विराट रूप के दर्शन करवाए। अंत में कृष्णरंग में रंगे एक भजन की प्रस्तुति से अपने नृत्याभिनय की विलक्षण प्रतिभा का प्रदर्शन कर अपनी प्रस्तुति का समापन किया। तबले पर मृणाल नागर एवं विनय राठौड़, सितार पर स्मिता वाजपेयी एवं कथक सहयोगी कलाकार के रूप में उर्वी गोरे, कुमार जडे, दिया तिवारी ने कीर्ति का बखूबी साथ निभाया।
द्वितीय सत्र में ग्वालियर के वरिष्ठ गायक पं. सुनील मसूरकर ने गायन पेश किया। आपने अपने गायन में राग बिहाग में निबद्ध विलंबित एकताल की बंदिश ‘कैसे सुख सोवे’ की प्रस्तुति से अपने सुदीर्घ सांगितिक अनुभव का परिचय दिया। तत्पश्चात मध्यलय तीनताल में ‘लट उलझी सुलझाए’ से राग बिहाग को मूर्तरूप दिया। इसके बाद द्रुत तीनताल में एक तराना पेश कर अपने चिर-परिचित अंदाज से उपस्थित श्रोताओं को तृप्त किया। अंत में आपने दादरा ‘सांवरिया तुझ बिन चैन कहाँ से पाऊं’ की पेशकश से अपने गायन का समापन किया। तबले पर अनूप राजे पंवार एवं हार्मोनियम पर दीपक खसरावत ने संगत की।
इसके पूर्व कार्यक्रम का शुभारम्भ ख्यातनाम संगीतज्ञ डॉ. शशिकांत तांबे, वरिष्ठ नृत्यगुरु श्रीमती जयश्री तांबे,वरिष्ठ तबला वादक पं. दीपक गरुड, अभिनव कला समाज के अध्यक्ष प्रवीण कुमार खारीवाल, उपाध्यक्ष डॉ. पूर्वी निमगांवकर, संयुक्त प्रधानमंत्री सत्यकाम शास्त्री ने दीप प्रज्वलन कर किया। अतिथियों का स्वागत डॉ. प्रशांत बंसोड, विश्वास पूरकर, बालकृष्ण सनेचा, दिलीप मुंगी, जगन फाल्के, खगेश रामदुर्गेकर, वसंत खरगोणकर, सोनाली यादव ने किया। अंत में आदित्य गोडबोले एवं रोहित अग्निहोत्री ने आभार माना।