इंदौर : वरिष्ठ अधिकारियों के जनप्रतिनिधियों के साथ अपमानजनक बर्ताव को लेकर बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय द्वारा आवेश में कही गई बात को कांग्रेस ने लपक लिया। मूल मुद्दा तो पीछे रह गया और निशाने पर कैलाशजी आ गए। भोपाल से लेकर इंदौर तक बड़े से लेकर छुटभैये कांग्रेसी नेता बयानवीर बनकर कैलाशजी को टूट पड़े। डीजीपी से लेकर संभगायुक्त को ज्ञापन सौंपकर कार्रवाई की मांग की गई।
गरमाए सियासी तापमान के बीच इंदौर आए दिग्विजय सिंह ने कैलाशजी के बयान की निंदा करते हुए कहा कि ये उनकी गलती नहीं है। आरएएस की पाठशाला में बचपन से ही नफरत और हिंसा का पाठ पढ़ाया जाता है।
दिग्विजय पुत्र नगरीय प्रशासन मंत्री जयवर्धन सिंह भी कैलाशजी को बड़ा नेता बताते हुए नसीहत देने से नहीं चूके।
भोपाल में सीपी शेखर व अन्य नेताओं ने डीजीपी पर दबाव बनाया की कैलाश विजयवर्गीय पर कार्रवाई होनी चाहिए। इधर शहर कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष विनय बाकलीवाल अपने समर्थकों के साथ संभागायुक्त के पास पहुंच गए और कैलाश विजयवर्गीय पर मामला दर्ज करने की मांग की। इसके अलावा कांग्रेस के कई छुटभैये नेता भी सक्रिय हो गए।किसी ने थाने में आवेदन दिया तो कोई शाब्दिक बाण चलाने लगा।
कैलाश छाप माचिस रही चर्चा में।
कांग्रेस के जय- वीरू कहे जाने वाले दो नेता जो अक्सर विरोध के अटपटे तरीके अपनाते हैं, ने तो कैलाश छाप माचिस ही वितरित करवा दी।
इसके अलावा भी कई अन्य कांग्रेस नेता कैलाशजी के नाम पर अपनी राजनीतिक रोटी सेकते रहें।
ये कहा था कैलाशजी ने…
सूत्रों के मुताबिक कैलाशजी ने बीजेपी नगर अध्यक्ष के जरिये पत्र लिखकर जिला, पुलिस और निगम प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारियों को रेसीडेंसी कोठी पर चर्चा के लिए मिलने का आग्रह किया था। शुक्रवार दोपहर जब वे निर्धारित समय पर रेसीडेंसी कोठी पहुंचे तो कोई भी वरिष्ठ अधिकारी उनसे चर्चा के लिए मौजूद नहीं था। एडीएम और एएसपी स्तर के अधिकारी वहां नजर आए। वरिष्ठ अधिकारियों ने अपने नहीं आने की सूचना देना तक उचित नहीं समझा। यह देखकर कैलाशजी नाराज हो गए। उन्होंने नाराजगी जताते हुए कहा था कि अधिकारी जनता के सेवक हैं। सूचना देने के बाद भी नहीं आकर उन्होंने जनप्रतिनिधियों का अपमान किया है। इसे हम बर्दाश्त नहीं करेंगे। कैलाशजी आवेश में बोल गए कि संघ के पदाधिकारी शहर में हैं नहीं तो वे आग लगा देते शहर में। उनका आशय विरोध प्रदर्शन से था पर कांग्रेस ने उनकी आखरी लाइन को पकड़ लिया और हमलावर हो गई। इस चक्कर में किसी ने यह जानने की कोशिश ही नहीं की, की कैलाशजी की नाराजगी की वजह क्या थी।