इंदौर : मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मंगलवार को प्रमुख आध्यात्मिक गुरुओं और आचार्य शंकर सांस्कृतिक एकता न्यास के सदस्यों के साथ ‘कोविड-19 की चुनौतियाँ और एकात्म बोध’ विषय पर विस्तार से चर्चा की।
श्री चौहान ने कहा कि 28 अप्रैल आचार्य शंकर एवं रामानुज का जयंती दिवस है। प्रदेश के ओंकारेश्वर में शंकराचार्य की प्रतिमा स्थापित करने और अन्य कार्यों से सभी न्यासी अवगत हैं। उन्होंने कहा है कि कोरोना ने एक चुनौती उत्पन्न की है। हम धैर्य, साहस और संयम से इसका मुकाबला कर रहे हैं। प्रधानमंत्री श्री मोदी के नेतृत्व में देश में सभी जरूरी कदम उठाए गए हैं। धर्म और दर्शन भी इस संकट से निपटने में राह दिखा रहा हैं।
नई जीवन पद्धति अपनाने की जरूरत।
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कोरोना संकट यह संदेश भी दे रहा है कि हमें नई जीवन पद्धति अपनानी पड़ेगी। नए ढंग से जीना पड़ेगा। यह प्रश्न उत्पन्न हो रहा है कि हमारा विकास किस तरह हो ? अर्थ-व्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए स्वदेशी अपनाते हुए पारंपरिक ज्ञान का उपयोग कर कुटीर ग्रामीण उद्योगों को विकसित करना होगा। श्री चौहान ने कहा कि प्रकृति की आराधना की परंपरा सशक्त हो। हम नदी को माँ और वृक्षों को पूजनीय मानते हैं। सभी नदियां हमारे लिए पूजनीय हैं। पशु-पक्षी, जीव-जंतु सब में एक ही आत्मा का दर्शन किया जा सकता है। उन्होंने आध्यात्मिक गुरुओं से कहा कि एकात्म बोध कैसे जागे और हम अंधेरे से उजाले की तरफ कैसे बढ़े। आप सभी का दर्शन इस संबंध में उपयोगी होगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि शीघ्र ही आचार्य शंकर सांस्कृतिक व्यास की बैठक भी आयोजित की जाएगी।
कोरोना पर नियंत्रण में आयुर्वेदिक काढ़ा गुणकारी।
वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में आध्यात्मिक गुरुओं ने मुख्यमंत्री श्री चौहान द्वारा मध्यप्रदेश में कोरोना पर नियंत्रण और शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए आयुर्वेदिक काढ़े के उपयोग की सराहना की। उन्होंने कहा कि अन्य राज्यों के लिए भी यह आयुर्वेदिक काढ़ा अनुकरणीय होगा। स्वामी अवधेशानंद गिरि, स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती और स्वामी संवित सोम गिरि ने मध्यप्रदेश के इस नवाचार की प्रशंसा की।