इंदौर: छठ महापर्व के तीसरे दिन रविवार को शहर एवं इसके आसपास क्षेत्रों – महू, राऊ पीथमपुर, देवास, उज्जैन में बसे पूर्वांचल के हज़ारों छठ व्रतधारी शहर के विभिन्न तालाबों, प्राकृतिक जलाशयों, कृत्रिम जलकुण्डों में खड़े होकर गोधूलि बेला में अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य देंगे। पूर्वोत्तर सांस्कृतिक संस्थान के पदाधिकारियों के अनुसार, शहर में इस वर्ष लगभग 125 जगहों, विशेष रूप से विजय नगर, बाणगंगा, स्कीम नंबर 78, तुलसी नगर, समर पार्क निपानिया, पिपलियाहाना तालाब, सिलिकॉन सिटी, शंखेश्वर सिटी, वेंकटेश नगर,श्याम नगर एनेक्स, एरोड्रम रोड, अन्नपूर्णा तालाब, सूर्य मंदिर कैट रोड सुखलिया, शिप्रा, देवास नाका इत्यादि जगहों पर सार्वजनिक छठ महापर्व मनाया जा रहा है जहाँ छठ व्रती सार्वजनिक जलाशयों तथा कृत्रिम जलकुण्डों में खड़े होकर सूर्यदेव को अपने संतानों, परिवार, समाज, शहर एवं प्रदेशवासियों के अच्छे स्वास्थ्य,सुख समृद्धि एवं दीर्घायु होने की छठ मैया से कामना करेंगे।
अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य देंगे।
पूर्वोत्तर सांस्कृतिक संस्थान के अध्यक्ष ठाकुर जगदीश सिंह, महासचिव के के झा ने बताया कि छठ पर्व के पहले दिन से ही शहर के समस्त पूर्वांचल परिवारों में, खासकर छठ व्रतियों के घरों में उत्सव एवं उल्लास का माहौल था। जहाँ परिवार की महिलाऐं अपने अपने घरों की साफ़ सफाई कर खरना का प्रसाद बनाने में व्यस्त थी, वहीँ दूसरी तरफ घर के पुरुष छठ पूजा एवं पूजा में उपयोग होने वाले फलों की खरीदारियों में व्यस्त रहे। प्रसाद के रूप में महिलाओं ने गुड एवं गेहूं, घी मिश्रित ठेकुआ के अलावा चावल के भुसवा, इत्यादि का प्रसाद मिटटी के बने चूल्हे पर बनाया।
छठ महापर्व के दूसरे दिन शनिवार को छठ व्रतियों के घरों में खरना का आयोजन हुआ। दिन भर व्रत रखने के पश्चात व्रतियों ने शाम को गंगाजल मिश्रित जल से स्नान किया और भगवान सूर्य का ध्यान कर छठ मैया की पूर्ण विधि विधान से पूजा की। उसके बाद मिटटी के बने चूल्हे पर पूर्ण स्वछता एवं पवित्रता के साथ अरवा चावल, दूध व गुड़ की खीर और गेहूं की रोटी का प्रसाद बनाकर कर भगवान सूर्य और छठ मैया को समर्पित किया पश्चात उसे ग्रहण किया। इसके साथ ही व्रतियों का 36 घंटे का निर्जला उपवास शुरू हो गया। व्रती अपने निर्जला उपवास का पारण सोमवार (20 नवंबर ) को सुबह 6 बजकर 42 मिनट पर उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देने के बाद करेंगे।