🔹 नरेंद्र भाले 🔹
कितनी उम्मीदें थी दिल्ली से ,आगाज में डार्क हॉर्स फिर प्रबल दावेदार। विगत मैचों से पराजय की माला जपने वाली टीम आखिर राम – राम करते प्ले आॅफ में तो पहुंच गई लेकिन जैसे ही मुंबई सामने आई मुगालते की सारी हेकड़ी बेहद अनाड़ी अंदाज में निकल गई।
कहते हैं घर में नहीं दाने और अम्मा चली भुनाने। मुंबई को न्यौता दे दिया और समझे कि किला फतह हो गया। डिकॉक ने अपने ही अंदाज में शुरुआत की लेकिन रोहित शर्मा (0) पैर भारी के अंदाज में पहली गेंद पर पगबाधा हो गए। वास्तव में बंदा ऐसा आलसी कप्तान है जो टीम पर भारी पड़ रहा है (अपने वजन और वर्तमान खेल के अनुसार)।खैर डिकॉक की ताबड़तोड़ 40(25) रनों की पारी के पश्चात एक बार फिर सूर्यकुमार यादव ने लाजवाब अर्धशतक (55) के अंदाज में मोर्चा संभाल लिया जबकि दूसरी तरफ ईशान किशन अनमनी शुरुआत के बाद भी अपने पैर जमाने में कामयाब रहे। सूर्यकुमार के पश्चात छक्का मास्टर पोलार्ड भी खाता खोलने से पूर्व रबाडा़ के उम्दा कैच का शिकार बन गए। कृणाल पंड्या (13) जल्दी लौट गए । ऐसा लगा कि मुंबई 150 के अंदर ही निपट जाएगी। ईशान किशन और हार्दिक पंड्या के मंसूबे अलग ही थे। अच्छी गेंदबाजी कर रहे एनरिच, अक्षर पटेल ,डेनियल सैम्स और रबाडा़ को जमकर लबूरते हुए हुए इन दोनों ने स्कोर बोर्ड को बाज़ की गति प्रदान कर दी। 3, 7, 7, 3, 3 रन प्रति ओवर के बाद मानों रनों की बारिश आसमानी अंदाज में होने लगी।
हार्दिक ने मात्र 17 गेंदों में 5 छक्कों की सहायता से नाबाद 37 रन बनांए वहीं ईशान किशन ने पारी की अंतिम गेंद पर एनरिच को छक्का जमाते हुए मात्र 30 गेंदों में नाबाद 55 रनों की पारी से मुंबई को 200 रनों का मुंह दिखाया। इन दोनों ने छठे विकेट की साझेदारी में अंतिम 6 ओवर में नाबाद 92 रन जोड़ दिए।
जवाब में वहं आया जिसकी कल्पना बोल्ट- बुमराह ने सपने में भी सोची नहीं होगी। जहां बोल्ट ने अपने पहले ही ओवर में पृथ्वी- राहणे को खाता खोले बगैर चलता कर डबल विकेट मैडन ओवर फेंका वही बुमराह ने अपने अचूक याॅर्कर पर धवन को भी खाता खोलने नहीं दिया। जहां स्कोर बोर्ड 2 ओवर में मात्र 6 रन पर 3 विकेट की बर्बादी के आंसू रो रहा था वही आठवें ओवर में 5 विकेट खोकर मात्र 42 रनों की टटपूंजी पर।
पंत (3) ने एक बार फिर जमकर लजवाया। इस मंजर में स्टोइनिस (65) और अक्षर पटेल (42) ने स्कोर बोर्ड को थोड़ी बहुत इज्जत प्रदान की लेकिन दूसरे स्पैल में बुमराह के आते ही स्टोइनिस और डेनियल सैम्स (0) के साथ ही बल्लेबाजी क्रम में रबाडा के रूप में अंतिम सांसे बची थी। भला हो बोल्ट का जो दो ओवर बाद घायल होकर डगआउट में लौट गए अन्यथा दिल्ली को कंधा देने के लिए चार भी नसीब नहीं होते। चार बार की चैंपियन मुंबई बड़े आराम से फाइनल में पहुंच गई। सौभाग्य से दूसरे स्थान पर आने के कारण दिल्ली को एलिमिनेटर में एक बार फिर मौका मिलेगा लेकिन यकीन माने जिसने रणभूमि में एक बार पीठ दिखाई वहं पलटवार के काबिल नहीं रहता। प्रदर्शन के आधार पर एक बार फिर साबित हो गया की गधा खच्चर तो बन सकता है लेकिन घोड़ा निश्चित ही नहीं।