गीता विषाद को प्रसाद में बदलने का ग्रंथ है : जगद्गुरु स्वामी निश्चलानंद सरस्वती

  
Last Updated:  December 12, 2024 " 10:53 pm"

गीता भवन में चल रहे अ.भा. गीता जयंती महोत्सव में आएंगे जगदगुरू वल्लभाचार्य गोस्वामी वल्लभराय महाराज।

इंदौर : गीता का प्रत्येक मंत्र अनुशीलन योग्य है।सृष्टि में ज्ञान को ही सर्वोपरि माना गया है। जैसे शरीर के अन्य अंगों को भी अलग-अलग पदार्थों से तृप्ति मिलती है, वैसे ही आत्मा को भी ज्ञान से ही तृप्ति मिलती है। जीव ही कर्म उपासना करता है, इसलिए जीव को सबसे ऊपर माना गया है। गीता के छठे अध्याय में स्पष्ट कहा गया है कि हम दूसरों से जैसा व्यवहार चाहते हैं, हमें भी उनके साथ वैसा ही व्यवहार करना चाहिए। एक हिंसक भी दूसरे से अपने प्रति अहिंसा की अपेक्षा रखता है। समाज के प्रत्येक वर्ग में यह आम बात है कि लुटेरे और चोर भी चाहते हैं कि उनके साथ वैसा व्यवहार नहीं हो, जैसा वे दूसरों के साथ करते हैं। गीता कर्म योग का सबसे उत्कृष्ट उदाहरण है। गीता विषाद को प्रसाद में बदलने का ग्रंथ है। हम कहते हैं अधर्म का नाश हो, जबकि होना चाहिए अधर्मी का नाश।

ये प्रेरक विचार जगदगुरु शंकराचार्य, पुरी पीठाधीश्वर स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने व्यक्त किए। वे गुरुवार शाम गीता भवन में चल रहे 67वें अ.भा. गीता जयंती महोत्सव की महती धर्मसभा में बोल रहे थे।

शंकराचार्य के गीता भवन आगमन पर ट्रस्ट मंडल की ओर से वैदिक मंगलाचरण के बीच ट्रस्ट के अध्यक्ष राम ऐरन, मंत्री रामविलास राठी, कोषाध्यक्ष मनोहर बाहेती, ट्रस्ट मंडल के महेशचंद्र शास्त्री, प्रेमचंद गोयल, टीकमचंद गर्ग, दिनेश मित्तल, हरीश माहेश्वरी, पवन सिंघानिया, राजेश गर्ग केटी, संजीव कोहली, विष्णु बिंदल आदि ने पादुका पूजन किया। अध्यक्षता अंतर्राष्ट्रीय रामस्नेही संप्रदाय के आचार्य जगदगुरू स्वामी रामदयाल महाराज ने की। गीता भवन में प्रतिदिन भक्तों का सैलाब बढ़ता जा रहा है। बाहर से आए संतों के लिए शनि उपासक मंडल के प्रदीप अग्रवाल एवं उनकी टीम द्वारा गीता भवन से जुड़े भक्तों के सहयोग से भंडारे की व्यवस्था पहले दिन से ही की जा रही है। आचार्य पं. कल्याणदत्त शास्त्री के निर्देशन में श्री विष्णु महायज्ञ का दिव्य अनुष्ठान भी जारी है। समापन अवसर पर संध्या को खरगोन जिले के तपोनिष्ट संत जय सियाराम बाबा और गीता भवन के संरक्षक ट्रस्टी गोपालदास मित्तल के चित्र पर पुष्पांजलि समर्पित कर संतों एवं भक्तों ने श्रद्धांजलि भी अर्पित की।

संतों के प्रवचनों के बाद शाम ढले सागर के गड़ाकोटा से आए दिव्यांग कलाकारों ने भगवान कृष्ण के जीवन चरित्र पर आधारित नृत्य नाटिका मनोहारी मंचन किया। निर्देशक उमेश कुमार वैद्य और अन्य कलाकारों का स्वागत ट्रस्ट के पदाधिकारियों ने किया।

शुक्रवार के कार्यक्रम :-

अ.भा. गीता जयंती महोत्सव के छठे दिन शुक्रवार को दोपहर 1 बजे से स्वामी देवकीनंदन दास, 1.15 बजे से वृंदावन से आए स्वामी केशवाचार्य महाराज, 1.45 बजे से उज्जैन से आए परमानंद महाराज, 2.15 बजे से भीकनगांव से आए पं. पीयूष महाराज, 2.45 बजे से ऋषिकेश परमार्थ निकेतन से आए शंकर चैतन्य महाराज, 3.15 बजे से हरिद्वार से आए स्वामी सर्वेश चैतन्य महाराज, 4 बजे से जगदगुरू वल्लभाचार्य गोस्वामी वल्लभ राय महाराज सूरत के आशीर्वचन होंगे। शाम 5 बजे युग तुलसी स्वामी रामकिंकर महाराज की शिष्या दीदी मां मंदाकिनी देवी के प्रवचन होंगे। शाम 5.45 बजे से जगदगुरू स्वामी रामदयाल महाराज अध्यक्षीय आशीर्वचन देंगे।

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