चतुर्वेदी बनने चले थे, द्विवेदी भी नहीं बन पाए..!

  
Last Updated:  October 21, 2020 " 06:13 pm"

🔹 नरेंद्र भाले 🔹

वह संभावनाओं से इतना ज्यादा लबरेज है कि उससे ज्यादा विशेषण किसी क्रिकेटर के पास नहीं है।जनाब माही,,कैप्टन कूल ,मैच फिनिशर और न जाने क्या-क्या। सबसे ऊपर है ब्रांड का सांड ,जो नवजात उत्पादकों को बाजार में आने का मौका ही नहीं दे रहा है । उसे हम एमएसडी के नाम से भी जानते हैं। यहां तो विराट भी उनके सामने ब्रांड के मामले में बौना ही है।
खेल के मुद्दे पर आते हैं, कप्तान खुद (39) ,वाटसन (39), जडेजा (32), रायडू (35),केदार जाधव (35), चावला (32), डुप्लेसिस (36), इन युवाओं के अलावा टीम में मात्र तीन बुजुर्ग हैं, सेम करेंन (22), दीपक चाहर (28) और हेजलवुड (29)। इन सब में सबसे भारी केदार जाधव के तो क्या कहने, नाक का बाल है बंदा।
समुंदर में तैरती व्हेल (धोनी) के मुंह पर चिपक कर अपना जीवन यापन करने वाला परजीवी अर्थात जिसे प्राणी शास्त्र में पैरासाइट कहते हैं। इस धरती पकड़ ने अधिकांश मैच खेले और 60 से अधिक रनों का पहाड़ खड़ा कर दिया। अब ईमानदारी से बात मैच की करते हैं।
गलत मान्यताओं से लबरेज इस टीम ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी को चुना और बड़ी शान से 20 ओवर में 5 विकेट पर 125 रनों का विशाल स्कोर खड़ा कर दिया। एक के बाद एक बल्लेबाज जल्दी यह सोच कर वापस आ रहे थे कि युवा धोनी और नवजात जडेजा सब संभाल लेंगे। इन युवाओं ने रन जोड़े भी। कर्णधार धोनी (28) और जडेजा ने नाबाद 34 रन जोड़कर स्कोर बोर्ड को सशक्त चेहरा प्रदान किया। सारी नालायकी का श्रेय श्रेयस गोपाल एवं जोफ्रा आर्चर की गेंदबाजी को जाता है जिन्होंने रन बनाने नहीं दिए और विकेट भी ले गए , मक्खीचूस के अंदाज में। करेन (19), वाटसन (10), रायडु (13),डुप्लेसिस (10) ने भी गेंदबाजों की जी जान से मदद की। सारे युवा नेता एक असंभव सा 125 का लक्ष्य राजस्थान के माथे शाही अंदाज में मार गए।
जवाब में स्टोक्स (29), उथप्पा (4) ,सैमसन (0) ने वास्तव में युवा चाहर की मदद की लेकिन मुख्य रूप से श्रीमंत बटलर ने रनों की दमदार शास्त्रीय बनेठी घुमा कर चेन्नई के लिए सारा खाना ही खराब कर दिया। कप्तान स्मिथ ने अनावश्यक जवाबदारी दिखाते हुए बताया कि एक छोर पर मैं तो खड़ा हूं बटलर तू ही देख ले भाई।
अब असल क्रिकेट की बात पर आते हैं। वास्तव में अपनी शानदार गेंदबाजी, उत्कृष्ट क्षेत्ररक्षण एवं बाद में संवेदनशील बल्लेबाजी ने चेन्नई को चारों खाने चित कर दिया। भला हो सुरेश रैना तथा हरभजन सिंह का जिन्होंने स्पर्धा से पूर्व ही अपना नाम वापस ले लिया अन्यथा वे भी इमरान ताहिर की जमात में शामिल हो जाते। ताहिर बेचारा दक्षिण अफ्रीका से केवल डगआउट में ही बैठने के लिए इतनी दूर आया।
चेन्नई के वास्तविक युवाओं के लिए dream11 एक नाइट मेयर साबित हुआ। क्या करते बेचारे टीम में तो थे लेकिन मौका ही नहीं मिला। इस पराजय से यह बात तो पुख्ता हो गई कि जिस माही को चेन्नई में थाल कहा जाता है, निश्चित ही उस कैप्टन कूल का यह अंतिम आईपीएल है। वजह साफ है है कि वास्तविक युवाओं की बद्दुआ इसे कहीं का नहीं छोड़ेगी।

Facebook Comments

Related Posts

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *