चुनाव में मोदी फैक्टर रहा बेअसर

  
Last Updated:  November 27, 2018 " 03:54 pm"

इंदौर: मप्र विधानसभा के चुनाव में इस बार मुद्दे तो कई उछाले गए पर वक़्त के साथ बदलते भी रहे। जो मुद्दे चुनाव घोषित होने के पहले तक मीडिया और जनमानस में छाए हुए थे वे सिरे से गायब हो गए। एक और बात जो इस चुनाव की रही वो ये की प्रदेश की बजाय राष्ट्रीय मुद्दों को ज्यादा तरजीह दी गई। नोटबन्दी, जीएसटी और राफेल के मुद्दों को जोर- शोर से उठाया गया। वहीं प्रादेशिक और स्थानीय मुद्दों में व्यापम, किसानों की नाराजगी और बेरोजगारी जैसे मुद्दे हावी रहे।
मालवा- निमाड़ सहित प्रदेश के कई क्षेत्रों का दौरा करके लौटे वरिष्ठ पत्रकार और इंदौर प्रेस क्लब के अध्यक्ष अरविंद तिवारी जी से हमने चुनाव में प्रभवि रहे मुद्दों पर चर्चा की। उनका कहना था कि नोटबन्दी और जीएसटी इस चुनाव के बड़े और असरकारक मुद्दे रहे क्योंकि इनसे आम जनता और व्यापारी वर्ग को परेशानी उठाना पड़ी थी। राफेल सौदे को कांग्रेस लगातार उठाती रही पर उसका कोई असर जनमानस में नहीं देखा गया। अरविंद जी के मुताबिक ग्रामीण इलाकों में किसानों की नाराजगी प्रमुख मुद्दा बनी। उन्हें उपज का उचित दाम नहीं मिलना, कर्ज़ माफी, उपज का पूरा भुगतान नकद में नहीं मिलना नाराजगी की वजह बने। शहरी क्षेत्रों में रोजगार की कमीं, महिला सुरक्षा प्रमुख मुद्दे रहे। इसके अलावा वर्तमान विधायकों के प्रति आक्रोश भी मुखर होकर सामने आया।
अरविंद जी ने सबसे महत्वपूर्ण बात कही वो ये की ग्रामीण हो या शहरी सीएम शिवराज के प्रति लोगों में नाराजगी नहीं है। असल नाराजगी उनके मंत्रियों और विधायकों को लेकर रही। दूसरी महत्वपूर्ण बात अरविंद जी ने कही वो ये की इस बार मोदी फैक्टर का कोई असर नज़र नहीं आया। पीएम मोदी की सभाओं का लोगों पर कोई खास प्रभाव नहीं पड़ा।
दैनिक दोपहर अखबार के प्रधान संपादक और इंदौर प्रेस क्लब के महासचिव नवनीत शुक्ला जी से भी हमने चर्चा की। उनका कहना था कि चुनाव के पहले जो मुद्दे ज्वलंत दिखाई दे रहे थे, हैरत की बात है कि चुनाव में उनका जिक्र तक नहीं हुआ।एट्रोसिटी एक्ट और पेट्रोलियम पदार्थों के बढ़ते दाम चुनाव के पहले तक बड़े मुद्दे थे पर बाद में गायब हो गए। उन्होंने भी माना कि नोटबन्दी, जीएसटी और किसानों की नाराजगी चुनाव में प्रमुख मुद्दे बने।
कुल मिलाकर निष्कर्ष यही निकला कि प्रदेश की बजाय देश के मुद्दे इस चुनाव में ज्यादा परोसे गए।अब वाकई ये जमीनी हकीकत से मेल खाते हैं या केवल हवा- हवाई साबित होंगे इसका फैसला प्रदेश की जनता 28 नवंबर को अपने वोट के जरिये कर देगी, हालांकि परिणाम क्या होगा इसके लिए 11 दिसंबर तक इंतजार करना पड़ेगा।

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