भोपाल : मीडिया रिपोर्ट्स पर यकीन करें तो 8 नवम्बर को मप्र की राजधानी भोपाल के कमला नेहरू अस्पताल के पीआईसीयू में लगी आग में झुलसने से अभी तक 12 बच्चों की मौत हो चुकी है। हालांकि सरकार ने फिलहाल 4 बच्चों की ही मौत की पुष्टि की है। अस्पताल के बाहर अभी भी बच्चों के परिजनों का जमावड़ा है। बताया जाता है कि जिससमय आग लगी, उससमय अस्पताल के पीआईसीयू में 40 बच्चे भर्ती थे। 36 बच्चों को सुरक्षित निकालकर शिफ्ट करने का दावा अस्पताल प्रशासन ने किया था पर इलाज के दौरान 8 और बच्चों के दम तोड़ने की बात नेशनल और रीजनल मीडिया में कही जा रही है।
15 साल से नहीं हुआ फायर सेफ्टी ऑडिट।
बताया जाता है कि अग्निकांड के दौरान फायर ब्रिगेड तो समय पर पहुंच गई थी लेकिन फायर ब्रिगेड कर्मियों को अस्पताल में लगे सारे फायर सेफ्टी उपकरण खराब मिले। इससे आग पर काबू पाने में देरी हुई और कई बच्चों की जान चली गई। जांच के दौरान ये तथ्य भी सामने आया की बीते 15 वर्षों में भोपाल सहित प्रदेश के अन्य शहरों के सरकारी अस्पतालों में फायर सेफ्टी ऑडिट ही नहीं हुआ है। ये बताता है कि कमला नेहरू अस्पताल में हुआ हादसा गंभीर लापरवाही का नतीजा है।
मौतों के आंकड़ों को छुपा रही प्रदेश सरकार।
इस बीच विपक्षी दल कांग्रेस ने कमला नेहरू अस्पताल में हुए अग्निकांड के लिए प्रदेश की शिवराज को जिम्मेदार ठहराया है। पूर्व मंत्री और विधायक जीतू पटवारी ने दावा किया है कि अग्निकांड में अब तक 14 मासूमों की मौत हो चुकी है पर सरकार मौतों के आंकड़े छुपा रही है। उन्होंने सवाल किया कि सीएम शिवराज अभी तक घटनास्थल पर क्यों नहीं गए..? पटवारी ने चिकित्सा शिक्षा मंत्री और भोपाल कलेक्टर के इस्तीफे की भी मांग की है।
पीएम मोदी 15 नवम्बर के कार्यक्रम को निरस्त करें।
जीतू पटवारी ने पीएम मोदी से भी आग्रह किया है कि वे कमला नेहरू अस्पताल के अग्निकांड की भयावहता को देखते हुए 15 नवम्बर का प्रस्तावित भोपाल दौरा रद्द करे। उन्होंने 14 बच्चों की अग्निकांड में झुलसकर हुई बच्चों की मौतों के बारे में प्रदेश की शिवराज सरकार से जवाब- तलब करने की मांग भी पीएम मोदी से की है।