इंदौर : कोरोना संक्रमण के लगातार बढ़ रहे आंकड़े लोगों में भय का माहौल पैदा कर रहे हैं। शुक्रवार को तो अबतक के सबसे अधिक 3169 संक्रमित पाए गए। इसी के साथ 3 मरीजों की मौत भी कोरोना संक्रमण से दर्ज की गई। जनवरी माह में ही संक्रमितों की कुल संख्या 25 हजार के ऊपर पहुंच गई है। मौजूदा एक्टिव मरीजों की तादाद 20 हजार से ज्यादा है। ऐसी चिंताजनक स्थिति के बीच आगे क्या हालात बन सकते हैं..? क्या कोरोना का यह नया वैरिएंट भी खतरनाक साबित हो सकता है.? किसतरह इसका सामना किया जा सकता है..? इन सारे सवालों को लेकर अवर लाइव इंडिया ने एमजीएम मेडिकल कॉलेज के मेडिसिन विभाग के एचओडी डॉ. वीपी पांडे से चर्चा की।
मौजूदा संख्या से कई गुना ज्यादा हो सकता है संक्रमण।
डॉ. वीपी पांडे ने बताया कि जितने टेस्ट हो रहे हैं और जितने लोग संक्रमित पाए जा रहे हैं, इससे कई गुना ज्यादा संक्रमितों की तादाद हो सकती है, क्योंकि नए ओमिक्रोन वैरिएंट का संक्रमण बेहद तेजी से फैलता है। हालांकि इससे डरने या दहशत में आने की जरूरत नहीं है। 98 फीसदी से ज्यादा मामलों में इसका असर गले में खराश और बुखार तक ही सीमित है। बड़ी संख्या ऐसे संक्रमितों की भी है जिनमें कोई लक्षण दिखाई नहीं देते। ज्यादातर मरीज 3 से 5 दिन में सामान्य उपचार से ठीक हो रहे हैं।
बड़ी उम्र और बीमारियों से ग्रसित लोगों के लिए हो सकता है घातक।
डॉ. पांडे ने कहा कि कोरोना वायरस हर तीन से छह माह में नए रूप में सामने आता है। ओमिक्रोन, कोरोना का ऐसा ही नया वैरिएंट है। ये बेहद संक्रामक है। इसके संक्रमण को रोक पाना खासा मुश्किल है। उन्होंने बताया कि कोरोना की पहली लहर कम घातक थी पर दूसरी लहर ने विभीषिका के रूप में अपना असर दिखाया था। राहत की बात ये है कि तीसरी लहर में आए नए वैरिएंट का संक्रमण, घातक नजर नहीं आ रहा है। हालांकि 65 साल से अधिक उम्र के बुजुर्गों और गंभीर बीमारियों जैसे लीवर, किडनी, हार्ट, कैंसर, डायबिटीज, अस्थमा और अनियंत्रित ब्लड प्रेशर से ग्रसित मरीजों के लिए यह खतरनाक सिद्ध हो सकता है। उन्हें अतिरिक्त सावधानी बरतने की जरूरत है। अगर किसी को जरा भी सर्दी, गले में खराश और बुखार जैसे लक्षण नजर आएं तो तुरंत डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए।
निमोनिया जैसे लक्षण नहीं।
डॉ. पांडे के मुताबिक इस बार कोरोना संक्रमितों में निमोनिया के लक्षण दिखाई नहीं दे रहे हैं, ये अच्छी बात है। सामान्य फ्लू की तरह ही इसका असर देखा जा रहा है। विकसित देशों में वैज्ञानिकों ने इसे सामान्य फ्लू की श्रेणी में ही रखा है।
टीकाकरण से संक्रमण का असर कम, बूस्टर डोज लगवाएं।
डॉ. पांडे ने बताया कि टीकाकरण ही कोरोना से बचाव का उपाय है।जिन लोगों को वैक्सीन के दोनों डोज लग चुके हैं, उनमें कोरोना संक्रमण का असर मामूली ही दिखाई दे रहा है। वैक्सीन का कोई साइड इफेक्ट नहीं है। गंभीर बीमारी से पीड़ित लोगों को प्राथमिकता से वैक्सीन लगवानी चाहिए। 65 वर्ष से अधिक उम्र के ऐसे लोग जिन्हें दूसरा डोज लिए 9 माह बीत गए हैं, वे बूस्टर डोज जरूर लगवाएं।
दो सप्ताह बाद कम हो सकता है संक्रमण।
डॉ. पांडे के अनुसार यह देखने में आया है कि ओमिक्रोन का संक्रमण जितनी तेजी से फैलता है, उतनी ही तेजी से कम भी हो जाता है। हमारे देश, प्रदेश और शहर में फिलहाल यह पीक पर है। अनुमान लगाया जा सकता है कि दो- तीन सप्ताह बाद इसमें कमीं आने लगेगी।
WHO ने दो और दवाइयों को दी है मंजूरी।
डॉ. पांडे ने बताया कि डब्ल्यूएचओ ने कोरोना के इलाज के लिए दो और दवाइयों को मंजूरी दी है पर यह दवाइयां उन्हीं लोगों को दी जा सकती हैं, जिनकी हालत गंभीर पाई जाती है। ज्यादातर मरीज सामान्य इलाज से ही ठीक हो रहे हैं।